कपास की महंगाई से सूती धागा उद्योग के लाभ पर चल सकती है 2-4 प्रतिशत की कैंची: रिपोर्ट
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल को घरेलू कपास की तुलनात्मक रूप से ऊंची कीमत और निर्यात में गिरावट के चलते 2019-20 में सूती धागा कताई (स्पिनिंग) उद्योग के परिचालन लाभ में 2 से 4 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है।
क्रिसिल रेटिंग ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि पिछले वित्तवर्ष की तुलना में कपास और सूती धागे के भावों के बीच का अंतर कम होगा।
इससे कताई उद्योग का मार्जिन प्रभावित होगा। रिपोर्ट के अनुसार 50 हजार तकुओं से ऊपर की क्षमता की बड़ी इकाइयों का मार्जिन दो प्रतिशत तक और छोटी मिलों का मार्जिन दो प्रतिशत तक प्रभावित हो सकता है।
इसमें कहा गया है कि अप्रैल-अक्टूबर 2019 के दौरान अंतरराष्ट्रीय कीमतों की तुलना में घरेलू बाजार में कपास की कीमत ऊंची होने तथा मुख्य रूप से चीन और पाकिस्तान को सूत का निर्यात गिरने के परिणामस्वरूप सूत की घरेलू आवश्यकता से अधिक आपूर्ति की स्थिति में मार्जिन कम होने के आसार हैं।
क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक गौतम शाही ने कहा,
“सूत की घरेलू मांग (जो घरेलू उत्पादन का 70 प्रतिशत हिस्सा है) इस वित्त वर्ष में 3-4 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। कम निर्यात होने के कारण स्थानीय बाजार में सूत की आपूर्ति बढ़ रही है। अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के कारण चीन में सूती धागे की मांग प्रभावित हुई है। भारत ने पाकिस्तान को धागे के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।”
शाही ने कहा,
“चीन और पाकिस्तान का भारत से आयात 50-60 प्रतिशत तक कम हो गया है।”
वित्तवर्ष 2018-19 में भारत के कुल सूत निर्यात में इन देशों का हिस्सा क्रमशः 35 प्रतिशत और पांच प्रतिशत था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल-अक्टूबर 2019 के बीच ब्राजील और अमेरिका में कपास की जोरदार फसल तथा वैश्विक उपभोक्ता देशों, मुख्यत: चीन में स्टॉक बाहर लाने से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कपास की कीमतों में 15 फीसदी की गिरावट आई है। लेकिन भारत में न्यूनतम समर्थन मूल्य ऊंचा होने से कपास के भाव केवल 10 प्रतिशत तक ही गिरे हैं।
आपको बता दें कि हाल ही में इंडिया रेटिंग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था,
‘‘चीन से धागे की कमजोर मांग के कारण, चीन को शुल्क मुक्त निर्यात का लाभ ले रहे पाकिस्तान की वजह से भारतीय यार्न निर्माता क्षमता और उत्पादन का नुकसान झेल रहे हैं।”
(Edited by रविकांत पारीक )