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दूसरी लहर से स्वास्थ्य कर्मियों, ग्राहकों को बचाने के लिए इस इंजीनियर की कंपनी ने बनाए 70 लाख फेस मास्क

नोएडा की कंपनी Kara के को-फाउंडर और प्रेसिडेंट (टेक्निकल) राजेश निगम ने बताया कि उनकी कंपनी के बनाए फेस मास्क देशभर के मेडिकल स्टोर्स और फ्लिपकार्ट और अमेजन सहित सभी ईकॉमर्स वेबसाइटों पर बिक्री के लिए मौजूद हैं। पेशे से मेटालर्जिकल इंजीनियर राजेश ने बताया कि ये मास्क karamonline.com पर भी उपलब्ध है।

दूसरी लहर से स्वास्थ्य कर्मियों, ग्राहकों को बचाने के लिए इस इंजीनियर की कंपनी ने बनाए 70 लाख फेस मास्क

Sunday May 16, 2021 , 5 min Read

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच भारत ने सभी वयस्कों को टीका लगाने के लिए अपना टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया है। हालांकि इसके बावजूद चेहरे पर फेस मास्क पहनना अभी भी बीमारी के प्रसार को रोकने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है।


हालांकि, सप्लाई चेन बाधित होने के चलते मेल्ट-ब्लोन एक्स्ट्रूजन के लिए उपयुक्त कच्चे माल की अनुपलब्धता हो गई। मेल्ट-ब्लोन एक्स्ट्रूजन एक प्रक्रिया है, जिससे अच्छे-मानक के मास्क के लिए गैर-बुना कपड़ा बनाया जाता है।


हाल के महीनों में, नोएडा स्थित विनिर्माण उद्यम 'करम' ने गैर-बुने हुए कपड़े के साथ-साथ बड़े पैमाने पर फेस मास्क का उत्पादन करने की चुनौती को स्वीकारा है।


करम के को-फाउंडर और प्रेसिडेंट (टेक्निकल) और मेटालर्जिकल इंजीनियर राजेश निगम ने YourStory को दिए एक इंटरव्यू में बताया,

"हमने निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की आपूर्ति में सहयोग देने के लिए अपने ब्रांड में विविधता लाने पर ध्यान दिया, जो सप्लाई चेन से जुड़ी चुनौतियों से जूझ रही है। हमने स्वास्थ्य कर्मियों, चिकित्सा कर्मियों और उपभोक्ताओं के लिए आईएसआई-प्रमाणित मास्क की एक नई श्रृंखला शुरू करने के लिए जल्दी से काम किया।”

राजेश का दावा है कि सितंबर 2020 से लेकर अब तक करम ने 70 लाख से अधिक फेस मास्क का उत्पादन किया है। ये मास्क अमेजन और karamonline.com सहित देश के सभी मेडिकल स्टोर्स और ईकॉमर्स वेबसाइटों पर बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।

गैर बुने हुए कपड़े हैं क्या?

मेल्ट-ब्लो एक्सट्रूज़न एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग पॉलीप्रोपाइलीन जैसे पॉलिमर से गैर-बुना कपड़ा बनाने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में पिघले हुए पॉलिमर के अलग-अलग फाइबर से एक साथ सामग्री को बांधना और एक जाल जैसी सामग्री बनाना शामिल है।


यह गैर-बुने हुए कपड़े पारंपरिक सामग्री जैसे कपास से बने कपड़े के विपरीत होते हैं। इसमें यार्न की इंटरलेस्ड या बुनी हुई शीट्स होती हैं।


मेल्ट-ब्लो एक्सट्रूज़न से बने गैर-बुने हुए कपड़ों का उपयोग उच्च श्रेणी के फेस मास्क बनाने में किया जाता है क्योंकि यह सामग्री अधिक शोषक करने वाली होती है, बैक्टीरिया के प्रवेश में बाधा के रूप में कार्य करती है, कुशनिंग और फिल्टरिंग मुहैया कराती, लिक्विड को हटाती है। इसके अलावा और भी इसमें बहुत गुण होते हैं।


राजेश कहते हैं, “आधुनिक टेस्ट लैबोरेटरीज प्रयोगशालाओं की गैरमौजूदगी और सप्लाई चेन में दिक्कत के चलते देश में कड़े गुणवत्ता मानकों का पालन करते हुए किफायती सामग्री बनाना मुश्किल हो गया था। करम की गिनती देश के प्रमुख पीपीई निर्माताओं में होती है और इसलिए हमने गैर-बुने हुए कपड़े और मास्क का उत्पादन करने का भी फैसला लिया।”


पीपीई के निर्माण में करम की विशेषज्ञता रासायनिक स्पैल्श चश्मे और मेडिकल फेस शील्ड्स में अपने हालिया एंट्री आती है। साथ ही सुरक्षा हेलमेट, सुरक्षा आईवियर और फाल सुरक्षा उपकरणों की एक श्रृंखला बनाने से भी यह विशेषज्ञता हासिल करने में मदद मिली।

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कोविड-19 के लिए चश्मे और फेस शील्ड्स

2020 में महामारी की शुरुआत के बाद से करम ने पीपीई के लिए घरेलू मांग में अचानक वृद्धि देखी और इसे पूरा करने के लिए काम किया। इसने वायरस के प्रकोप के दौरान विस्तार के पहले चरण में डॉक्टरों और देश भर के पुलिस कर्मचारियों को केमिकल स्पैल्श चश्मे मुहैया कराने के लिए केंद्र के साथ साझेदारी की।


इसने कोविड-19 रोगियों का इलाज करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए मेडिकल फेस शील्ड का निर्माण भी शुरू किया। करम ने वादा किए गए उत्पादों की संख्या देने के लिए अपनी इन-हाउस विनिर्माण क्षमताओं में निवेश किया।


एक पुराने साक्षात्कार के दौरान राजेश ने कहा था, “करम के पास आधुनिक, प्रौद्योगिकी-संचालित मशीनरी से सुसज्जित एक मजबूत विनिर्माण सेटअप है। सभी प्रणालियों और प्रक्रियाओं को एसजीएस यूके द्वारा मूल्यांकन किया जाता है और आईएसओ 9001-2015 में पंजीकृत किया जाता है।"


उन्होंने बताया, "हमारे पास एक विनिर्माण इकाई लखनऊ के बाहरी इलाके में है और दूसरी हिमालयी रेंज की तलहटी में, सितारगंज, उत्तराखंड की छोटी बस्ती में है।"

30 से अधिक वर्षों की विरासत

करम के इतिहास की 1990 के दशक में हुई थी। आईआईटी कानपुर से मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग में डिग्री लेने के बाद राजेश ने 1992 में अपने परिवार के केमिकल बिजनेस के कारोबार में शामिल होने का फैसला किया। उन्होंने दो साल तक वहां काम किया और फिर उनकी मुलाकात सुरक्षा उपकरणों की सप्लाई करने वाले हेमंत सपरा से हुई।


हेमंत सुरक्षा उपकरण और पीपीई के साथ निर्माण कंपनियों को प्रदान करता था। उन्होंने राजेश को बताया कि एलएंडटी जैसी बड़ी इंजीनियरिंग और निर्माण कंपनियां अच्छी गुणवत्ता वाले सुरक्षा उपकरणों की तलाश में थीं।


हालांकि, उस समय सुरक्षा उपकरण महंगे थे क्योंकि इन्हें उत्तर और दक्षिण अमेरिकी देशों से आयात किया जा रहा था। इसने अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप किफायती सुरक्षा उपकरणों के निर्माण के लिए मेक इन इंडिया उत्पाद बनाने का अवसर मुहैया कराया।


हेमंत और राजेश दोनों उस समय क्रमशः सुरक्षा उपकरणों और रसायनों के अपने कारोबार से जुड़े हुए थे। उन्होंने एक दूसरे के पूरक कौशल को पहचान लिया और एक सुरक्षात्मक उपकरण व्यवसाय शुरू करने के लिए एक साथ आए।


इसी के साथ 1994 में करम की स्थापना हुई।


पिछले साल करम का राजस्व 520 करोड़ रुपये का था और इस कंपनी में करीब 3,300 सदस्य हैं।