सरकार ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों के लिए जारी किए दिशानिर्देश, उल्लंघन करने पर 50 लाख का जुर्माना
केंद्र ने प्रसिद्ध हस्तियों, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों के लिए विज्ञापन संबंधी दिशानिर्देश जारी किए हैं. विज्ञापन में स्पष्टीकरण को प्रमुखता से और साफ-साफ शब्दों में प्रदर्शित किया जाना चाहिए. किसी भी प्रोडक्ट के प्रचार के लिए 'विज्ञापन', 'प्रायोजित' या 'सशुल्क प्रचार' जैसे शब्दों का उपयोग करें.
उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत उपभोक्ता कार्य विभाग ने प्रसिद्ध लोगों, प्रभावशाली व्यक्तियों और सोशल मीडिया पर असर डालने वाली जानी-मानी हस्तियों के लिए 'एंडोर्समेंट नो-हाउ!' (Endorsement Know-hows!) नाम से दिशानिर्देश जारी किये हैं. इस दिशा निर्देशिका का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोग उत्पादों या सेवाओं का विज्ञापन करते समय अपने श्रोताओं एवं दर्शकों को गुमराह न करें और विज्ञापन, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम तथा किसी भी अन्य संबंधित नियम या दिशानिर्देशों के अनुपालन में ही प्रदर्शित हों.
उपभोक्ता कार्य विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने 'एंडोर्समेंट नो-हाउ!' दिशा निर्देशिका जारी की है, क्योंकि तेजी से बढ़ती डिजिटल दुनिया के लिए विज्ञापन अब प्रिंट, टेलीविजन या रेडियो जैसे पारंपरिक मीडिया तक ही सीमित नहीं रह गए हैं और ऐसे में नियमों का स्पष्ट होना आवश्यक है. फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म तथा सोशल मीडिया की बढ़ती पहुंच के साथ ही प्रसिद्ध लोगों, प्रभावशाली व्यक्तियों और सोशल मीडिया पर असर डालने वाली जानी-मानी हस्तियों के प्रभाव में भी बढ़ोत्तरी हुई है. इससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इन व्यक्तियों द्वारा विज्ञापनों के प्रचार और अनुचित व्यापार प्रणालियों से उपभोक्ताओं के गुमराह होने का खतरा बढ़ गया है.
'एंडोर्समेंट नो-हाउ!' दिशा निर्देशिका यह निर्दिष्ट करती है कि किसी भी विज्ञापन में स्पष्टीकरण को प्रमुखता से और साफ-साफ शब्दों में प्रदर्शित किया जाना चाहिए, क्योंकि उन्हें याद करना बेहद मुश्किल हो जाता है. कोई भी प्रसिद्ध सेलिब्रिटी, प्रभावशाली व्यक्ति और सोशल मीडिया पर असर डालने वाले जानी-मानी हस्ती, जिसकी उपभोक्ताओं तक अधिक पहुंच है और वह किसी उत्पाद, सेवा, ब्रांड या अनुभव के बारे में उनके क्रय निर्णयों या विचारों को प्रभावित कर सकता है, तो उसे विज्ञापनदाता के साथ किसी भी अपने भौतिक संबंध का खुलासा करना चाहिए. इसमें न केवल लाभ और प्रोत्साहन शामिल हैं, बल्कि मौद्रिक या अन्य फायदे, यात्राएं अथवा होटल में ठहरने, मीडिया बार्टर्स, कवरेज तथा पुरस्कार, शर्तों के साथ या बिना मुफ्त उत्पाद, छूट, उपहार और कोई भी पारिवारिक या व्यक्तिगत अथवा रोजगार संबंध शामिल हैं.
विज्ञापन सरल, स्पष्ट भाषा में किया जाना चाहिए और किसी भी उत्पाद के प्रचार के लिए 'विज्ञापन', 'प्रायोजित' या 'सशुल्क प्रचार' शब्द का उपयोग किया जा सकता है. उन्हें ऐसे किसी भी उत्पाद या सेवा और कार्य का विज्ञापन नहीं करना चाहिए, जिसमें मूल बातों को उनके द्वारा उचित तरीके से व्यक्त न किया गया हो या जिसे उन्होंने व्यक्तिगत रूप से इस्तेमाल अथवा अनुभव नहीं किया हो.
दिशा निर्देशिका को 2019 के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुरूप जारी किया गया है. अधिनियम ने उपभोक्ताओं को अनुचित व्यापार कार्य प्रणालियों और भ्रामक विज्ञापनों से बचाने के लिए दिशानिर्देश तैयार किए हैं. उपभोक्ता कार्य विभाग ने 9 जून 2022 को भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम और भ्रामक विज्ञापनों के लिए प्रचार- 2022 के लिए दिशानिर्देश प्रकाशित किए हैं. ये दिशानिर्देश वैध विज्ञापनों के मानदंड और निर्माताओं, सेवा प्रदाताओं, विज्ञापनदाताओं तथा विज्ञापन एजेंसियों की जिम्मेदारियों को रेखांकित करते हैं. इन दिशानिर्देशों ने मशहूर हस्तियों और विज्ञापन बनाने वालों के लिए निर्देश स्पष्ट किये हैं. इसमें कहा गया है कि किसी भी रूप, प्रारूप या माध्यम में भ्रामक विज्ञापन कानून द्वारा प्रतिबंधित है.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) के इन्फ्लुएंसर दिशानिर्देशों के साथ जोड़कर नए दिशानिर्देश जारी किए.
विभाग के अनुसार, एक ब्रांड के साथ आपसी संबंध में मौद्रिक लाभ, होटल में ठहरने, पुरस्कार, रोजगार संबंध, प्रतिस्पर्धात्मक प्रवेश और मीडिया का आपसी आदान-प्रदान शामिल है.
नए दिशा-निर्देशों का अनुपालन न करने पर विनिर्माताओं, विज्ञापनदाताओं और प्रचारकों को दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा, जिसके तहत 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. बार-बार उल्लंघन करने पर यह जुर्माना 50 लाख रुपये तक भी बढ़ाया जा सकता है.
मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि बार-बार उल्लंघन करने पर हस्तियों और इन्फ्लुएंसरों को भी भविष्य में एंडोर्समेंट पाने के लिए भी प्रतिबंधित किया जा सकता है. इसके साथ ही छह महीने की जेल की सजा भी संभव है जो दो वर्ष तक के लिए भी बढ़ाई जा सकती है.
ऐसे नियमों के महत्त्व को बताते हुए सचिव ने संवाददाताओं से कहा कि 2022 में भारत में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बाजार का आकार 1,275 करोड़ रुपये था और इसके 2025 तक 19-20 फीसदी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAG) के साथ 2,800 करोड़ रुपये होने की संभावना है.
इन दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि खुलासे और एंडोर्समेंट एक ही भाषा में होने चाहिए. साथ ही, ट्विटर जैसे सीमित स्थान वाले प्लेटफॉर्म के मामले में, हैशटैग में विज्ञापन, स्पॉन्सर्ड, भुगतान जैसे संक्षिप्त शब्द भी स्वीकार्य होंगे.
पिक्चर के एंडोर्समेंट के लिए इमेज के ऊपर ऐसे प्रदर्शन करना होगा कि उसे दर्शक देख सकें, वहीं वीडियो सामग्री के लिए एंडोर्समेंट का खुलासा वीडियो रूप में होना चाहिए, सिर्फ विवरण नहीं माना जाएगा. जब वीडियो एंडोर्समेंट की बात आती है, तो इन्फ्लुएंसरों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी कि खुलासे को वीडियो में रखा जाए, न कि केवल विवरण में और यह ऑडियो और वीडियो दोनों माध्यमों में होना चाहिए.
हालांकि लाइवस्ट्रीम में, खुलासे स्ट्रीमिंग के दौरान लगातार पूरे समय और प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए.
दिशानिर्देश जारी करने के लिए आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सोशल मीडिया पर असर डालने वाली कई जानी-मानी हस्तियों और एजेंसियों ने भाग लिया. उद्योग जगत ने इन दिशानिर्देशों को जारी करने की सराहना की और समर्थन दिया. उन्होंने कहा कि इससे उद्योग को और मजबूती मिलेगी तथा उपभोक्ता हितों की रक्षा होगी.