लोन कलेक्शन में भारत का ऑनलाइन चैंपियन बना 'क्रेडिटमेट' स्टार्टअप
'क्रेडिटमेट' की कामयाबी का राज है, उसने फाइनेंस कंपनियों से लोन के लेन-देन की स्थितियों का बड़ी बारीकी से अध्ययन किया तो उसे इस पूरे वित्तीय ढांचे की सबसे कमजोर नब्ज पकड़ में आ गई। उसी को उसने अपने स्टार्टअप का पहला अस्त्र बना लिया। आज क्रेडिटमेट की ऑनलाइन कलेक्शन सर्विस ने उसे शीर्ष पर पहुंचा दिया है।
फाइनेंशियल सेक्टर में मुंबई का 'क्रेडिटमेट(CreditMate)' एक ऐसा स्टार्टअप है, जिसने पहले लेंडिंग से शुरुआत की, फिर उसके काम-काज, चैलेंज, ग्रोथ आदि के अनुभवों के सहारे अन्य लेंडर्स के लिए कलेक्शन का काम शुरू कर दिया।
'क्रेडिटमेट' की ग्रोथ के लिए कंपनी के चार फाउंडर्स और कुछ एंजल इन्वेस्टर्स के करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए के शुरुआती निवेश के साथ पेटीएम (PayTM) की 50 लाख डॉलर की फंडिंग से बुनियादी ताकत मिली है।
'क्रेडिटमेट' की कामयाबी का राज ये रहा कि उसने फाइनेंस कंपनियों और बैंकों से लोन के लेन-देन, कर्ज डूब जाने की स्थितियों का बड़ी बारीकी से अध्ययन किया, जिससे उसे इस पूरे वित्तीय कारोबार की सबसे कमजोर नब्ज पकड़ में आ गई और उसी को उसने अपने स्टार्टअप का पहला अस्त्र बना लिया। इस स्टार्टअप के सहारे पेटीएम के लोन क्लाइंट्स के लिए कई बातें काफी सुविधाजनक हो गई हैं। इसका श्रेय 'क्रेडिटमेट' की ऋण प्रबंधन प्रणाली को जाता है।
वैसे भी कर्ज लेना आज बेहद आसान हो गया है। बैंक ही इसके लिए एकमात्र जरिया नहीं हैं। कई नए तरीके भी शुरू हो गए हैं। इन्हीं में से एक है पीयर-टू-पीयर लेंडिंग यानी पी2पी यानी एक व्यक्ति दूसरे से लोन लेता है। जिन लोगों को कर्ज की जरूरत होती है, वे उन लोगों से लोन ले लेते हैं, जो कर्ज देकर उस रकम पर ब्याज कमाना चाहते हैं। इस सिस्टम में लोन देने और लोन चाहने वाले, दोनों को फायदा होता है। देने वाला बचत इंस्ट्रूमेंट में पैसा लगाने की जगह कर्ज देकर उस रकम पर ज्यादा ब्याज कमा लेता है और कर्ज लेने वाले को वित्तीय संस्थानों से कम ब्याज दरों पर लोन मिल जाता है।
इस तरह के लोन लेन-देन ने रिकवरी के लिए 'क्रेडिटमेट' जैसे स्टार्टअप को जन्म दिया है। वर्ष 2015-16 के बीच इस क्षेत्र में 490 से अधिक स्टार्टअप लॉन्च हुए, जो मुख्य रूप से भुगतान और ऋण सेगमेंट में थे, जिनमें से एक रहा है जोनाथन बिल, आशीष दोषी, स्वाति लाड और आदित्य सिंह द्वारा स्थापित मुंबई का 'क्रेडिटमेट'।
गौरतलब है कि कर्ज न लौट पाने के सबसे खराब हालात का सामना करते हुए तमाम कंपनियों की नैया बीच मझधार में डूब चुकी है। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती लोन कलेक्शन की होती है। क्रेडिटमेट की कलेक्शन सर्विस ने ही उसे शीर्ष पर पहुंचा दिया। उसने अभी दो महीने पहले ही अपना पूरा मॉडल ही बदल कर ऑनलाइन कलेक्शन प्लेटफॉर्म क्रिएट कर दिया।
आज 'क्रेडिटमेट' की लिस्ट में लगभग दो दर्जन लेंडर्स जुड़ चुके हैं, जिनमे बैंक, एनबीएफसी समेत कई फाइनेंस कंपनियां शामिल हो चुकी हैं। किसी भी कीमत पर कर्ज न डूबे, इसके लिए 'क्रेडिटमेट' ने कलेक्शन सेंटर स्थापित करने के साथ ही कर्ज लेने वालों को आश्वस्त करने के लिए 70 परसेंट तक मोहलत देते हुए प्रशिक्षण की दिशा में भी पहलकदमी की है। विकसित देशों में ओपन बैंकिंग का कॉन्सेप्ट काफी लोकप्रिय होता जा रहा है। बैंक भले ही सेटलमेंट, सिक्योरिटी और क्रेडिट चेक के काम में महारथी हों, फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी (फिनटेक) कंपनियों से ग्राहकों को लोन लेने में आसानी होती है।
नए ट्रेंड की बात करें तो अब भारत में भी पश्चिम का लोन रिकवरी सिस्टम तेजी से ग्रोथ कर रहा है। फाइनेंशियल सर्विसेज मार्केट एपीआई बैंकिंग जैसे बैंकिंग के कम परंपरागत तरीके अपनाने को तैयार है और यूपीआई भी इस दिशा में एक बड़ी पहल है। ब्रिटेन की टाइड, यूरोप की होल्वी और अमेरिका की सीड जैसी स्टार्टअप्स कंपनियां जहां पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्खा को नए रास्ता दिखा रही हैं, वहीं भारत में भी इसकी लोकप्रियता बढ़ाने में टेक महारथी ऑन्त्रप्रेन्योर्स जुटे हैं।
अब बैंक भी ओपन बैंकिंग के लिए फिनटेक कंपनियों के साथ करार करने में दिलचस्पी लेने लगे हैं। कस्टमर्स की तरह-तरह की जरूरतें पूरी करने के लिए एपीआई बैंकिंग एरिया में अलग तरह के सॉल्यूशंस आ रहे हैं लेकिन बैंकिंग प्रोसेस की भी अपनी कुछ सीमाएं रहती हैं, जिनमें पार्टनर को ऑपरेट करना होता है। किसी भी तरह की अनियमितता होने पर बैंकिंग रेगुलेटर की गाज गिर पड़ती है।
अपने काम की शुरुआत से ही 'क्रेडिटमेट' स्टार्टअप की नजर खासकर भारत के छोटे, कस्बा किस्म के शहरों पर रही है, जहां बैकिंग बिजनेस के हिसाब से बड़े शहरों के मुकाबले ज्यादा उपभोक्ता हैं। इस स्टार्टअप ने कारोबारियों को डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म मुहैया कराकर फाइनेंस एवं बैंकिंग कंपनियों की मुश्किल तेजी से आसान की है।
बड़े शहरों में छोटे उद्यमों के राजस्व में जहां 100 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है, वहीं मझोले और छोटे शहरों में राजस्व में वृद्धि 75 प्रतिशत रही है, जो इंटरनेट की पहुंच की वजह से हुआ है। इंटरनेट की व्यापक पहुंच और सरकार द्वारा डिजिटलीकरण को बढ़ावा दिए जाने से फिनटेक कंपनियों को देश भर में बड़ी संख्या में ग्राहक बनाने में मदद मिली है।
हालांकि अभी भी उन्हें डिजिटल अशिक्षा, क्रेडिट प्रोफाइलिंग की कमी और मजबूत आपूर्ति श्रृंखला जैसे संकट से जूझना पड़ रहा है।