आज पानी से भी सस्ता हो चुका है कच्चा तेल, लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय कैसे होती हैं? इधर जानें
आपको पेट्रोल, डीजल या केरोसिन किस कीमत पर मिलेगा, यह उस समय कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रिय कीमत के साथ ही उस पर सरकार द्वारा लगाए जा रहे कर पर निर्भर करता है।
वर्तमान में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है, जिसका असर अब भारतीय बाज़ार में तेल की कीमतों में दिखाई देना शुरू हो गया है। राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 70.29 रुपये तक पहुँच गई है। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का मुख्य कारण रूस और सऊदी अरब के बीच चल रहा प्राइस वार है, हालांकि इस समय कोरोना वायरस के चलते भी कच्चे तेल की मांग में कमी आई है।
आज कच्चे तेल की कीमतों में जिस तरह की गिरावट दर्ज़ की जा रही है, इसके पहले कीमतों में इतनी बड़ी गिरावट साल 1991 में दर्ज़ की गई थी। तेल निर्यातक देशों के संगठन OPEC ने मांग कम होने के चलते कच्चे तेल के उत्पादन में कमी लाने के संदर्भ में सदस्य देशों की बैठक आयोजित की थी, लेकिन इस पर कोई बात नहीं बन सकी। अंतरराष्ट्रिय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें भारत समेत वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रिय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें तय कैसे होती हैं?
आपको पेट्रोल, डीजल या केरोसिन किस कीमत पर मिलेगा, यह उस समय कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रिय कीमत के साथ ही उस पर सरकार द्वारा लगाए जा रहे कर पर निर्भर करता है।
पहले तय होता है बेस प्राइज़
सबसे पहले कच्चे तेल के बेस प्राइज़ का निर्धारण किया जाता है। बेस प्राइज़ अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत, उसके ट्रांसपोर्टेशन में लगने वाला खर्च, प्रोसेसिंग चार्ज और रिफाइनरियों द्वारा लगाया गया चार्ज शामिल होता है। इस तरह कच्चे तेल से प्रोसेसिंग के बाद प्राप्त हुए प्रति लीटर पेट्रोल-डीजल का बेस प्राइज़ तय किया जाता है।
यही बेस प्राइज़ केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले करों का आधार होता है। अमूमन पेट्रोल की कुल कीमत में बेस प्राइज़ करीब 48 फीसदी होता है, इसके अलावा उसमें सरकारों द्वारा लगाए गए कर शामिल होते हैं।
लगने वाला कर बढ़ा देता है कीमत
बेस प्राइज़ के निर्धारण के बाद उस तेल पर सरकार उस पर कर लगती है। इन करों में एक्साइज़ ड्यूटी, सेल्स टैक्स और कस्टम ड्यूटी शामिल है। मालूम हो कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है, इसलिए इस पर एक्साइज़ ड्यूटी और वैट दोनों ही लगते हैं। पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज़ ड्यूटी केंद्र सरकार वसूलती है, जबकि वैट राज्य सरकारों के हिस्से आता है।
पेट्रोल-डीजल के बेस प्राइज़ पर लगने वाले ये सभी कर पेट्रोल-डीजल की वास्तविक कीमत को बेस प्राइज़ से दोगुना कर देते हैं। हालांकि अंतिम कीमत में पंप डीलर का कमीशन भी जुड़ा होता है। सरकार ने 2017 के बाद से ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों से अपना नियंत्रण हटा लिया था, जिसके बाद से ही देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें अंतरराष्ट्रिय बाज़ार के हिसाब से हर दिन तय होती हैं। अंतरराष्ट्रिय बाज़ार में कच्चे तेल का सौदा प्रति बैरल के हिसाब से होता है। एक बैरल में करीब 162 लीटर तेल आता है।
पानी से भी सस्ता कच्चा तेल
जी हाँ! फिलहाल कच्चा तेल पानी से भी सस्ता हो चुका है और यह कोई मज़ाक नहीं है। इसे ऐसे समझें, आज कच्चे तेल की कीमत 31 डॉलर प्रति बैरल है, यानी यह कीमत प्रति 162 लीटर के हिसाब से करीब 2294 रुपये हुई। इस लिहाज से एक लीटर कच्चे तेल की कीमत 14.16 रुपये हुई, जबकि भारत में आमतौर पर एक लीटर बोतलबंद पानी की कीमत 20 रुपये है।