साल 2018 में भारतीय बैडमिंटन के सबसे बड़े सितारे रहे सिंधू और साइना
साल 2018 के खत्म होने से पहले नाकामी का ठप्पा हटाकर पी वी सिंधू ने खिताब जीता है और साथ ही साइना नेहवाल का अच्छा प्रदर्शन भी जारी रहा, जिसे लेकर लक्ष्य सेन ने भविष्य के लिये उम्मीदें जगाई।
भारतीय खिलाड़ियों के लिए साल 2018 काफी मिला-जुला रहा, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि 2019 नई उम्मीदों और उपलब्धियों के साथ सामने आ सकता है।
पी. वी. सिंधु ने महज आठ साल की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा की चमक बिखेरने के साथ ही सिंधु ने अपने करियर की शुरुआत की थी। इन्होंने वर्ष 2009 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने कदम रखे और कोलंबो में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक विजेता बन गईं और तब से सफलता का सिलसिला थमा नहीं, लेकिन इस साल सिंधू ने कुछ कमाल तो नहीं दिखाया, मगर आखिरी मोर्चे पर नाकामी का ठप्पा हटाकर पी वी सिंधू ने साल के आखिर में खिताब जीता और साथ ही साइना नेहवाल का अच्छा प्रदर्शन भी जारी रहा, जिसे लेकर लक्ष्य सेन ने भविष्य के लिये उम्मीदें जगाई हैं।
साल 2012 के लंदन ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली साइना नेहवाल के लिए शिखर तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा कभी। बैडमिंटन की दुनिया में इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी है।
साल खत्म होने को है। खेल जगत के ज्ञानियों ने ऐसे में साल भर के प्रदर्शन को ध्यान में रखते भविष्य के लिए उम्मीदें जतानी भी शुरू कर दी हैं। विश्व बैडमिंटन महासंघ ने इस साल टूर्नामेंट का नया प्रारूप जारी किया जिसके तहत ईनामी राशि के आधार पर टूर्नामेंटों की ग्रेडिंग की गई । सिंधू ने सभी बड़े टूर्नामेंटों में रजत पदक जीता, लेकिन आखिर में विश्व टूर फाइनल्स खिताब अपने नाम किया।
पांच रजत पदक जीतने के बावजूद सिंधू की फाइनल में हार जाने को लेकर आलोचना होती रही है। उन्होंने आखिर में विश्व टूर फाइनल्स में स्वर्ण पदक जीतकर अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया है। उन्होंने इस साल राष्ट्रमंडल खेल, एशियाई खेल, विश्व चैम्पियनशिप, इंडिया ओपन और थाईलैंड ओपन में रजत पदक जीता।
दूसरी ओर कैरियर के लिये खतरा बनी घुटने की चोट से उबरकर साइना नेहवाल ने पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता। उन्होंने इस साल राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण और एशियाई खेलों में कांस्य पदक अपने नाम किया कर लिया। राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में उन्होंने सिंधू को हराकर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया।
साइना इंडोनेशिया मास्टर्स, डेनमार्क ओपन और सैयद मोदी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के फाइनल्स में पहुंची । इसके अलावा एशियाई चैम्पियनशिप और एशियाई खेलों में कांस्य पदक भी जीता। अभी कुछ दिन पहले ही साल के अंत में साइना ने अपने साथी बैडमिंटन खिलाड़ी और 2014 राष्ट्रमंडल खेलों के चैम्पियन पारूपल्ली कश्यप के साथ सात फेरे भी ले लिए।
पुरूष वर्ग में समीर वर्मा ने स्विस ओपन सुपर 300, सैयद मोदी अंतरराष्ट्रीय सुपर 300 और हैदराबाद ओपन सुपर 100 टूर्नामेंट जीता। इसके अलावा अपने पहले विश्व टूर फाइनल्स में वह सेमीफाइनल तक पहुंचे। सत्रह बरस के लक्ष्य ने एशियाई जूनियर चैम्पियनशिप खिताब जीतने के अलावा युवा ओलंपिक खेलों में रजत और विश्व जूनियर चैम्पियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया।
पिछले साल भारतीय खिलाड़ियों ने जितने खिताब जीते थे, उसे दोहरा नहीं सके। स्टार शटलर किदाम्बी श्रीकांत फार्म में नहीं थे और एक भी खिताब अपने नाम नहीं कर पाये। पिछले साल चार खिताब जीतने वाले श्रीकांत ने राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता और टीम वर्ग में स्वर्ण अपने नाम किया। कुछ समय के लिये वह नंबर वन रैंकिंग पर पहुंचे लेकिन बाद में आठवें स्थान पर खिसक गए। युगल में चिराग शेट्टी और सात्विक साइराज रांकिरेड्डी ने राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता। इसके अलावा सैयद मोदी टूर्नामेंट में भी उपविजेता रहे। अश्विनी पोनप्पा ने एन सिक्की रेड्डी के साथ राष्ट्रमंडल खेल महिला युगल में कांस्य पदक जीता।
भारतीय खिलाड़ियों के लिए साल 2018 काफी मिला-जुला रहा, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि 2019 नई उम्मीदों और उपलब्धियों के साथ सामने आ सकता है। देखना ये है कि खिलाड़ी खेल जगत के ज्ञानियों की उम्मीद पर कितने खरे उतरते हैं।
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