आपके घर के बुज़ुर्गों का 'अपनों' की तरह ख़्याल रख रहा यह स्टार्टअप
नोएडा का यह स्टार्टअप आपके सहयोग के लिए हाथ बढ़ा रहा है। आईवीच सीनियर केयर न सिर्फ़ बुज़ुर्गों की दवाइयों आदि का ख़्याल रखता है, बल्कि उनकी अन्य शारीरिक और मानसिक ज़रूरतों को पूरा करने का भी प्रयास करता है।
कंपनी के फ़ाउंडर्स ने बताया कि बुज़ुर्गों को हेल्थकेयर सेंटर तक लाना काफ़ी मुश्क़िल काम था और इसलिए तय किया गया कि आईवीएच सीनियर केयर के प्रतिनिधि घरों तक जाकर हेल्थकेयर असिस्टेंस देंगे।
आजकल की जीवनशैली में भागदौड़ में दिन का लंबा हिस्सा कब बीत जाता है, इसका पता ही नहीं चलता। रोज़मर्रा की इस जद्दोजहद में आप अपने परिवार और ख़ासतौर पर बुज़ुर्गों को उतना वक़्त नहीं दे पाते, जितना ज़रूरी है। ऐसे में नोएडा का यह स्टार्टअप आपके सहयोग के लिए हाथ बढ़ा रहा है। आईवीच सीनियर केयर न सिर्फ़ बुज़ुर्गों की दवाइयों आदि का ख़्याल रखता है, बल्कि उनकी अन्य शारीरिक और मानसिक ज़रूरतों को पूरा करने का भी प्रयास करता है।
नैशनल सेंटर फ़ॉर बायोटेक्ऩॉलजी इनफ़र्मेशन (एनसीबीआई) के एक शोध के मुताबिक़, सामाजिक आधुनिकीकरण की वजह से संयुक्त परिवार टूटते जा रहे हैं और अधिकतर लोगों को रोज़गार के बेहतर मौक़ों की तलाश में अपने घर को छोड़कर दूसरे शहरों और देशों में बसना पड़ रहा है। यह प्रमुख वजह है कि बुज़ुर्ग तनाव और अन्य कई तरह की मानसिक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।
आईवीएच केयर हर बुज़ुर्ग के लिए एक केयर मैनेजर नियुक्त करता है, जो उनकी हर छोटी-बड़ी ज़रूरत का ख़्याल रखता है। शुरुआत में पायलट प्रोजेक्ट्स के तौर आईवीएच दिल्ली एनसीआर, अंबाला, बेंगलुरु और पुणे में ही अपनी सेवाएं मुहैया करा रहा था, लेकिन हाल में, यह स्टार्टअप भारत के 25 शहरों में अपनी सेवाएं दे रहा है। कंपनी के को-फ़ाउंडर स्वदीप का कहना है कि उनकी कंपनी पूरी तरह से बुज़ुर्गों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है। स्वदीप और मनरीत ने 3.5 करोड़ रुपए के निवेश के साथ कंपनी की शुरुआत की थी। फ़िलहाल कंपनी 8 मिलियन डॉलर की सीड फ़ंडिंग जुटाने की कोशिश कर रही है।
मनरीत ने बताया कि इस स्टार्टअप को शुरू करने की प्रेरणा उन्हें अपने घर से ही मिली। 2008 में जब वह और उनकी बहन घर से बाहर रहती थीं, उस समय उनकी मां अकेली थीं और उन्हें किसी के साथ बेहद ज़रूरत थी। वह चाहती थीं कि समाज के हर घर में डिफेंस कम्युनिटी जैसा माहौल हो, जिसमें सेना के अधिकारियों और जवानों की गैरमौजूदगी में आस-पास के लोग उनके परिवार की ज़रूरतों का पूरा ख़्याल रखते हैं।
कंपनी के को-फ़ाउंडर्स ने तय किया कि अपने आइडिया को अमल में लाने के लिए केयर मैनेजर के तौर पर वे सेना के पूर्व अधिकारियों और जवानों की मदद लेंगी। कंपनी के फ़ाउंडर्स ने बताया कि बुज़ुर्गों को हेल्थकेयर सेंटर तक लाना काफ़ी मुश्क़िल काम था और इसलिए तय किया गया कि आईवीएच सीनियर केयर के प्रतिनिधि घरों तक जाकर हेल्थकेयर असिस्टेंस देंगे। कंपनी केयर मैनेजर्स, नर्सों और डॉक्टरों आदि की मदद से संचालन करती है और अपने ग्राहकों को ज़रूरी यातायात की सुविधाएं भी देती है।
स्वदीप कहते हैं, "हम एक ऐसे समय में हैं, जहां पर होम डिलिवरी का प्रचलन है। इस बात को ध्यान में रखते हुए, हम हेल्थकेयर सेक्टर को कैसे पीछे छोड़ सकते हैं।" उन्होंने जानकारी दी कि कंपनी के केयर मैनेजर्स तब भी ग्राहकों की सेवा में हाज़िर रहते हैं, जब वे छुट्टियों पर कहीं बाहर जा रहे हैं। कंपनी अपने ग्राहकों को नर्सिंग, फ़िज़ियोथेरपी, एमरजेंसी सपोर्ट और पोस्ट-हॉस्पिटलाइज़ेशन समेत कई सुविधाएं देती हैं।
आईवीएच सीनियर केयर मासिक सब्सक्रिप्शन के लिए 800 रुपए, तीन महीनों के लिए 3000 रुपए और छह महीनों के लिए 5400 रुपए की फ़ीस लेता है। जो ग्राहक सब्सक्रिप्शन लेते हैं, उनके लिए हर महीने एक विज़िट मुफ़्त होती है। औसत तौर पर केयर मैनेजर महीने में चार से पांच बार आपके घर आता है। आईवीएच सीनियर केयर कई हॉस्पिटलों के साथ मिलकर भी मरीज़ों तक अपनी सुविधाएं पहुंचा रहा है।
हाल में, आईवीएच ने मेट्रो हॉस्पिटल, पीएसआरआई, सर गंगाराम, इंद्रप्रस्थ अपोलो, रॉकलैंड, कोलंबिया एशिया, फ़ोर्टिस, मैक्स ग्रुप समेत 100 से भी ज़्यादा एनएबीएच हॉस्पिटल्स के साथ करार किया है। कंपनी विदेश में स्थित कुछ अस्पतालों के साथ मिलकर भी काम कर रही है।इतना ही नहीं, कंपनी ने 500 से अधिक विशेष सलाहकारों के साथ भी संपर्क बनाकर रखा है।
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