ओडिशा के इस उद्यमी ने कैसे खड़ी की 300 करोड़ रुपये के रेवेन्यू वाली डेयरी और जमा लिया 40 प्रतिशत मार्केट शेयर पर अपना कब्जा
जब 2008 में, प्रदोष कुमार राउत अपनी डेयरी कंपनी 'प्रगति मिल्क' को रजिस्टर करने के लिए कागजों पर साइन कर रहे थे तब इस कटक-बेस्ड उद्यमी का एक ही लक्ष्य था: ओडिशा के असंगठित डेयरी क्षेत्र में सेंध लगाते हुए उसे एक ब्रांड के अंडर लाना।
प्रदोष कहते हैं,
"मैंने देखा कि संगठित डेयरी क्षेत्र (ऑर्गनाइज्ड डेयरी सेक्टर) का केवल 20 प्रतिशत मौजूदा आपूर्तिकर्ताओं द्वारा कवर किया गया था। अन्य 80 प्रतिशत में काफी संभावनाएं थीं और उनके दोहन की प्रतीक्षा की जा रही थी।"
उन्होंने उसी साल प्रगति मिल्क लॉन्च किया, और गाँव के कलेक्शन प्वाइंट पर डेयरी किसानों से दूध खरीदना शुरू कर दिया। इसमें से अधिकतर गायों का दूध था, क्योंकि भैंस का दूध राज्य में कुल उत्पादन का सिर्फ 15 प्रतिशत ही है।
जिसके बाद गाय के दूध को एक प्रोसेसिंग प्लांट में इन्सुलेटेड टैंकरों में ले जाया जाता है। चिलिंग, पाश्चराइजेशन, और पैकेजिंग के बाद, दूध के पैकेट डिलीवरी वैन में चले जाते हैं, जो उस दूध को वितरकों के व्यापक नेटवर्क तक पहुँचाती हैं।
प्रगति शुरू से अब तक इसी दृष्टिकोण को फॉलो कर रही है। इसका 300 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व बताता है कि यह ओडिशा के सबसे प्रमुख डायरी प्लेयर्स में से एक है (कंपनी का दावा है कि यह राज्य में सबसे बड़ी डेयरी है)।
इंडस्ट्री कॉन्टेक्स्ट
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। देश का डेयरी सेक्टर 9,168 अरब रुपये (9.16 लाख करोड़ रुपये) का बाजार है जिसमें किसानों, डेयरी सहकारी समितियों, निजी ब्रांड और सहकारी संघों का एक जटिल नेटवर्क शामिल है। शीर्ष डेयरी कंपनियां, जैसे अमूल, मदर डेयरी, हेरिटेज और कर्नाटक कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन (जो नंदिनी ब्रांड के तहत अपने उत्पाद बेचती है), सभी में बड़े पैमाने पर उत्पादन क्षमता है।
सबसे बड़ा अमूल, रोजाना पांच मिलियन लीटर की दूध से निपटने की क्षमता का दावा करता है। मार्केट लीडर्स की तुलना में प्रगति एक छोटी डेयरी है। इसकी शुरुआत पांच हजार लीटर प्रतिदिन की क्षमता से हुई थी और आज इसकी दूध की क्षमता लगभग 2.5 लाख लीटर है।
प्रदोष का दावा है कि उन्होंने उद्यम में 6 करोड़ रुपये का निवेश किया और इसने ओडिशा में लगभग 40 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी पर कब्जा कर लिया है। वे कहते हैं,
"मैंने अपनी जेब से 2 करोड़ रुपये का निवेश किया। बाकी 4 करोड़ रुपये बैंक के लोन से आए।"
2010 में, प्रगति ने दूध, आइसक्रीम, घी, दही और पनीर जैसे दुग्ध उत्पाद बनाना शुरू करके शीर्ष डेयरी कंपनियों के नक्शेकदम पर चलना शुरू किया।
डेयरी ब्रांड ऐसा करते हैं क्योंकि दूध की तुलना में इन वैल्यू-ऐडेड प्रोडक्ट्स पर मार्जिन अधिक है। वे कहते हैं,
"मजबूत योजना, कड़ी मेहनत और संबंधित उत्पादों के लिए संभावित बाजार की मांग को पहचानने के माध्यम से, हमने वैल्यू-ऐडेड प्रोडक्ट्स को बनाना शुरू किया।"
चुनौतियां और भविष्य की योजनाएं
कुछ शुरुआती चुनौतियों, जैसे टैक्स पेमेंट्स के अलावा, प्रदोष कहते हैं कि कंपनी को कोई बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ा। वह कहते हैं,
"दूध उत्पादों के क्षेत्र में बहुत गुंजाइश है इसलिए कोई और चुनौतियां सामने नहीं आईं। समस्याओं से पहले से ही निपटन के लिए, हम रेफ्रिजरेटेड वाहनों के माध्यम से कोल्ड चेन मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग करते हैं। हम खुदरा विक्रेताओं से भी सौ प्रतिशत कैश एडवांसमेंट लेते हैं, और अपना खुद का कैपिटल मैनेजमेंट करते हैं।"
हालांकि ऐसा लगता है कि प्रदोष ने डेयरी उद्योग में सफल होने के लिए रणनीति बनाई है, लेकिन ओडिशा में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता बढ़ाने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा 2016 के एक अध्ययन से पता चला है कि राज्य की प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता प्रतिदिन 117 ग्राम है। राष्ट्र का औसत 307 ग्राम प्रतिदिन है। हालांकि, एनडीडीबी अध्ययन में दिखाया गया है कि राज्य में दुग्ध उत्पादन में दो दशकों में वृद्धि हुई है, जो 1994-95 में 5.8 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2014-15 में 19 लाख मीट्रिक टन हो गई है।
ओडिशा दूध का प्रमुख उत्पादक स्थानीय राज्य सहकारी संघ है। लेकिन बाजार की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ प्रगति राज्य की प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता को बढ़ाने में योगदान दे सकती है। निजी, 600-कर्मचारी वाली कंपनी न केवल अपनी प्रसंस्करण क्षमता को बढ़ाने का लक्ष्य रखती है, बल्कि किसानों द्वारा उत्पादित अतिरिक्त दूध का उपयोग करने के लिए एक स्किम्ड मिल्क पाउडर प्लांट स्थापित करने की भी योजना है।