भारी निवेश के साथ टेक्नोलॉजी बेस्ड स्टार्टअप्स ने भी मार्केट का ध्यान खींचा
"फ्रीलांसर्स और एजेंसियों के लिए विशिष्ट प्लेटफॉर्म टेक्नोलॉजी सेक्टर में भी स्टार्टअप ने कामयाब पहल की है। फेसबुक, ट्विटर तो ऐसे भारतीय स्टार्टअप्स पर नजर रख ही रहे हैं, देश में अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी क्षेत्र में कई स्टार्टअप कंपनियों ने पहल की है। इस सेक्टर में अल्ट्रानॉट्स, वॉल्वो कार्स आदि की भी टेक्नोलॉजी बेस पहल गौरतलब है।"
फ्रीलांसर्स और एजेंसियों के लिए विशिष्ट प्लेटफॉर्म टेक्नोलॉजी सेक्टर में भी स्टार्टप की रफ्तार तेज होने लगी है। फेसबुक और ट्विटर ऐसे भारतीय स्टार्टअप में निवेश की पहल कर चुके हैं। आज न्यूयॉर्क की क्वालिटी इंजीनियरिंग स्टार्टअप कंपनी अल्ट्रानॉट्स विशेष तरह की सक्रियता के साथ पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही है। टेक्नोलॉजी बेस्ड स्टार्टअप की संख्या में भी काफी तेजी आई है।
आज टेक्नोलॉजी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल मार्केटिंग में हो रहा है। ऐसे कई और भी सेक्टर हैं, जहां टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से लोगों की जिन्दगी को आसान बनाया जा रहा है। अमेरिका में तो पिछले साल 90 प्रतिशत से अधिक बिज़नस ने अपनी रणनीति में डिजिटल टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर जोर दिया है।
हाल ही में वॉल्वो कार्स ने अपनी वेंचर कैपिटल इंवेस्टमेंट इकाई वॉल्वो कार्स टेक फंड के जरिये इजरायल की दो उभरती स्टार्टअप कंपनियों में निवेश किया है। एमडीजीओ की टेक्नोलॉजी का लक्ष्य लोगों की जिंदगी बचाना है। दो स्टार्टअप कंपनियों यूवीईवाईई और एमडीजीओ का मुख्यालय तेल अवीव में है, जहां मोबिलिटी सेक्टर में नई कंपनियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य के साथ वॉल्वो कार्स 2017 से ‘ड्राइव’ के साथ मिलकर प्रयासरत है। यूवीईवाईई और एमडीजीओ ने क्रमशः गुणवत्ता और सुरक्षा को बेहतर करने की दिशा में ड्राइव के साथ मिलकर हाल के वर्षों में अपने कारोबार को आगे बढ़ाया है। टेक फंड की ओर से अमेरिका और यूरोप के बाहर यह पहला निवेश है।
एमआईटी के अपने रूममेट आर्ट शेटमैन के साथ जब राजेश आनंदम ने अल्ट्रानॉट्स स्टार्टअप कंपनी बनाई तो वह साबित करना चाहते थे कि न्यूरोडायवर्सिटी और ऑटिज़्म से कारोबार में भी प्रतिस्पर्धी लाभ मिल सकता है। ऑटिस्टिक स्पेक्ट्रम के वयस्कों में अविश्वसनीय प्रतिभा है, जिसे ग़लत वजहों से अनदेखा किया गया है। वह दफ़्तर, काम के ढांचे और कारोबारी दस्तूर के कारण सफल नहीं हो पाते। ये दस्तूर किसी के लिए विशेष रूप से प्रभावी नहीं हैं, लेकिन अलग तरह की तंत्रिका कोशिकाओं वाले लोगों के लिए विशेष रूप से नुक़सानदेह हैं। न्यूयॉर्क की यह क्वालिटी इंजीनियरिंग स्टार्ट-अप कंपनी अकेली नहीं है। ऑटिस्टिक प्रतिभा की ओर देखने वाली कंपनियों की तादाद बढ़ रही है।
जहां तक, ऑटिस्टिक स्पेक्ट्रम में स्टार्टअप की संभावनाओं की बात है, ब्रिटेन की नेशनल ऑटिस्टिक सोसायटी (एनएएस) के रिसर्च से पता चला है कि ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों के रोज़गार के आंकड़े अब भी बहुत कम हैं। दो हजार ऑटिस्टिक वयस्कों के सर्वे में पाया गया कि उनमें से सिर्फ़ 16 फ़ीसदी पूर्णकालिक नौकरी में हैं, जबकि 77 फ़ीसदी बेरोज़गार लोग काम करना चाहते हैं। ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों के काम करने में बड़ी-बड़ी बाधाएं हैं।
अल्ट्रानॉट्स का 75 फ़ीसदी स्टाफ़ ऑटिस्टिक है। इस स्टार्टअप कंपनी में कोई इंटरव्यू नहीं होता और आवेदकों के लिए यह ज़रूरी नहीं है कि उनके पास किसी विशेष तकनीकी दक्षता का अनुभव हो। इस स्टार्टअप ने आवेदकों की स्क्रीनिंग का नया तरीक़ा अपनाया है जो दूसरी जगहों से ज़्यादा निष्पक्ष माना गया है। अपने दफ़्तर के सेट-अप और ऑटिस्टिक ज़रूरतों के लिए कंपनी के व्यवहार में लचीलापन लाने से अल्ट्रानॉट्स को स्टार्टअप में कामयाबी मिली है।
उल्लेखनीय है कि हमारे देश में अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम करने वाली कई स्टार्ट-अप कंपनियों की नई पौध सामने आई है। इन कंपनियों ने निवेशकों का भी ध्यान अपनी ओर खींचा है। ये कंपनियां हथेली के आकार का उपग्रह बनाने से लेकर स्वच्छ ऊर्जा के बल पर उपग्रह को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने तक का काम कर रही हैं। बेंगलुरु की बेलाटिक्स एरोस्पेस के सह-संस्थापक यशास करनम का कहना है कि उनकी कंपनी ने कई निवेशकों से 30 लाख डॉलर (करीब 21 करोड़ रुपये) जुटा लिए हैं। यह कंपनी इलेक्ट्रिक और नॉन-टॉक्सिक केमिकल के सहारे उपग्रहों को धरती की कक्षा में स्थापित करना चाहती है। वेंचर कैपिटल फंड आइडीएफसी परंपरा बेलाटिक्स के प्री-सीरीज ए राउंड का अग्रणी निवेशक है।
मुंबई की कंपनी कावा स्पेस के एक निवेशक विशेष रंजन के मुताबिक, इस कंपनी ने सीड फंड का एक चरण पूरा कर लिया है। रंजन स्पेशिएल इन्वेस्ट के मैनेजिंग पार्टनर हैं। कावा स्पेस पृथ्वी का ऑब्जर्वेशन करने वाले उपग्रहों की डिजाइन और उसका परिचालन करने का काम करती है।
एक दर्जन से अधिक स्टार्ट-अप्स उपग्रह, रॉकेट्स और संबंधित सहायक प्रणालियों के विकास का काम कर रहे हैं। भारत में इस क्षेत्र में लगभग सरकार का एकाधिकार है, लेकिन इन कंपनियों ने निजी क्षेत्र से बड़े पैमाने पर निवेश हासिल किया है। ऑनलाइन स्पेस प्रोडक्ट्स मार्केटप्लेस स्टैटसर्च के सह-संस्थापक नारायण प्रसाद बेलाटिक्स की फंडिंग का हवाला देते हुए बताते हैं कि टेक्नोलॉजी में निवेश करने वाली किसी भी वेंचर कैपिटल कंपनी ने स्पेस टेक्नोलॉजी में पहले इतना बड़ा निवेश नहीं किया था।