HCL के शिव नादर परोपकार के लिए हर रोज़ देते हैं करीब 3 करोड़ रुपये का दान
YourStory हिंदी की 'दानवीर' सीरीज में आज हम आपको बताने जा रहे हैं भारत के सबसे बड़े दानवीरों में गिने जाने वाले शिव नादर द्वारा समाज, शिक्षा और देशहित में दिए गए दान के बारे में.
बीते साल, अक्टूबर महीने में हुरुन इंडिया (Hurun India) और एडेलगिव ने 'एडेलगिव हुरुन इंडिया परोपकार सूची 2022' (EdelGive Hurun India Philanthropy List 2022) जारी की थी. इस लिस्ट में HCL और शिव नादर फाउंडेशन (Shiv Nadar Foundation) के फाउंडर शिव नादर (Shiv Nadar) सबसे बड़े दानवीर बनकर उभरे. 77 वर्षीय शिव नादर, 1,161 करोड़ रुपये के वार्षिक दान के साथ भारत के सबसे बड़े परोपकारी बन गए. यानि कि हर रोज़ करीब 3 करोड़ रुपये का दान करते हैं.
दिसंबर, 2022 में फोर्ब्स एशिया (Forbes Asia) की परमार्थ कार्य करने वाले नायकों (Heroes of Philanthropy) की सूची का 16वां एडिशन रिलीज किया गया. शिव नादर ने इस लिस्ट में भी जगह बनाई. ये बिना किसी रैंकिंग वाली सूची थी. नादर ने शिव नादर फाउंडेशन के माध्यम से एक दशक के दौरान 1 अरब डॉलर परमार्थ कार्यों में लगाए हैं. उन्होंने फाउंडेशन को 11,600 करोड़ रुपये (14.2 करोड़ डॉलर) का दान दिया है. इस फाउंडेशन की स्थापना 1994 में हुई थी. उन्होंने फाउंडेशन की मदद से कई शैक्षणिक संस्थानों...मसलन स्कूलों और विश्वविद्यालयों की स्थापना की है.
साल 2019 में एडलगिव हुरुन इंडिया की ओर से जारी परोपकारियों की लिस्ट में भी शिव नादर ने परमार्थ के लिए 826 करोड़ रुपए दिए थे. इसी के साथ वे देश के सबसे बड़े दानी हो गए.
भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति और समाजसेवी शिव नादर मानते हैं — "लक्ष्य तय करने के लिए सपने देखें, अगर आप सपने ही नहीं देखेंगे तो जीवन में आपका कोई लक्ष्य ही नहीं होगा और बिना लक्ष्य के सफलता नहीं पाई जा सकती."
टेक्नोलॉजी सेक्टर के दिग्गज और देश के बड़े उद्योगपतियों में से एक शिव नादर का जन्म 14 जुलाई 1945 को हुआ था. नादर ने अपना करियर पुणे में वॉलचंद ग्रुप कूपर इंजीनियरिंग के साथ शुरू किया. इसके बाद 1967 में उन्होंने सात साथियों के साथ मिलकर माइक्रोकॉप कंपनी बनाई और उसे बाद में टेलीडिजिटल कैलकुलेटर को बेच दिया.
1976 में उन्होंने 1,87000 रुपये के साथ HCL की स्थापना की. 1980 के दौरान सिंगापुर में पहली ब्रांच खोलकर HCL को एक इंटरनेशनल कंपनी बनाया.
शिव नादर ने चेन्नई में ‘एसएसएन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग’ की स्थापना की. यह कॉलेज उनके पिता की याद में शुरू किया गया. शिव नादर चाहते हैं कि भारतीय स्टूडेंट्स विदेशी यूनिवर्सिटीज के साथ रिसर्च प्रोजेक्ट्स में भी आगे बढ़ कर भाग लें. यही नहीं शिव नादर ने उत्तर प्रदेश में विज्ञान स्कूल भी खोले हैं और इनकी तरफ से 50 जिलों में 200 स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप भी दी जाती है.
2008 में उन्हें आईटी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया. यही नहीं मद्रास यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि भी दी.