छोटी सी उम्र में कैंसर को दी मात, आज स्पोर्ट्स क्लाइम्बिंग में कर रही हैं देश का नाम रोशन
मिलें स्पोर्ट्स क्लाइम्बिंग में देश का नाम रोशन करने वाली शिवानी चरक से
"कैंसर के इलाज के दौरान की जाने वाले कीमोथेरिपी सभी कैंसर मरीजों की तरह शिवानी के लिए भी आसान नहीं थी। कीमोथेरेपी के चलते शिवानी ने भी अपने सारे बाल खो दिये थे और बतौर एक लड़की शिवानी के लिए यह समय काफी कठिन था।"
कठिन समय आने पर डटे रहना और मजबूती के साथ वापसी करना ही एक चैंपियन की निशानी होती है और शिवानी एक ऐसी ही चैंपियन हैं। आज स्पोर्ट्स क्लाइम्बिंग में देश का नाम रोशन कर रहीं शिवानी चरक बेहद कम उम्र में कैंसर की चपेट में आ गई थीं। जिस समय शिवानी को कैंसर होने का पता चला वह सिर्फ 9 साल की थीं।
समय ऐसा था कि शिवानी तब खुद भी कैंसर और उसके साथ जुड़ी परेशानियों से अंजान थीं। उनके घर वालों ने भी उनकी बीमारी के बारे में उन्हें विस्तार से नहीं बताया था कि कहीं वो परेशान न हो जाएँ।
कैंसर के इलाज के दौरान की जाने वाले कीमोथेरिपी सभी कैंसर मरीजों की तरह शिवानी के लिए भी आसान नहीं थी। कीमोथेरेपी के चलते शिवानी ने भी अपने सारे बाल खो दिये थे और बतौर एक लड़की शिवानी के लिए यह समय काफी कठिन था।
बहन से मिली खेल की प्रेरणा
गौरतलब है कि बीमारी से पहले शिवानी टाइक्वांडो खेला करती थीं, लेकिन बीमारी के बाद उन्हें उसे पूरी तरह छोड़ना पड़ गया और इसी दौरान स्पोर्ट्स क्लाइम्बिंग में उन्हें एक उम्मीद की एक नई किरण दिखाई दी।
जम्मू से ताल्लुक रखने वाली शिवानी को स्पोर्ट्स क्लाइम्बिंग में आने की प्रेरणा दरअसल अपनी बड़ी बहन से मिली जो खुद भी एक माहिर स्पोर्ट्स क्लाइम्बिंग खिलाड़ी हैं। स्पोर्ट्स क्लाइम्बिंग को शौक की तरह अपनाने के कुछ समय बाद ही शिवानी ने इस खेल के प्रति लगातार बढ़ती अपनी रुचि को देखते हुए यह तय कर लिया था कि वह इसी खेल में अपना करियर बनाएँगी।
कैंसर की बीमारी को हराने के बाद वापसी करते हुए किसी खेल में हिस्सा लेना शिवानी के लिए शारीरिक स्तर पर भी इतना आसान नहीं था। शिवानी ने इसके लिए बकायदा डॉक्टरों से सलाह भी ली और तब ही आगे बढ़ने का फैसला लिया।
शिवानी ने मीडिया से बात करते हुए यह बताया है कि इतने कठिन समय के दौरान उनके लिए सबसे बड़े प्रेरणाश्रोत उनके दादा जी थे, जो आज़ादी से पहले एक स्वतंत्रता सेनानी भी रहे हैं, वो उन्हें लगातार आगे बढ़ने और हार न मानने के लिए प्रेरित करते रहते थे।
ओलंपिक मेडल है लक्ष्य
शिवानी तब महज 16 साल की थीं जब उन्होने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया था, यह 2017 की चीन में सम्पन्न हुई एशियन यूथ चैम्पियनशिप प्रतियोगिता थी।
शिवानी स्पोर्ट्स क्लाइम्बिंग में देश के लिए अब तक कई मेडल जीत चुकी हैं और शिवानी की इच्छा है कि वो ओलंपिक और एशियन गेम्स जैसे बड़े टूर्नामेंट में हिस्सा लें और देश के लिए अधिक से अधिक मेडल लेकर आयें।
चुनौतियाँ भी हैं तमाम
गौरतलब है कि स्पोर्ट्स क्लाइम्बिंग देश में चर्चित खेल नहीं है और इसी वजह से इस खेल को करियर की तरह अपनाते हुए आगे बढ़ना और भी चुनौती भरा है, लेकिन शिवानी अपनी मेहनत और लगन के दम पर खुद को लगातार साबित कर रही हैं।
इसी के साथ शिवानी अपने एक इंटरव्यू में राज्य में खिलाड़ियों और खासतौर पर स्पोर्ट्स क्लाइम्बिंग से जुड़े खिलाड़ियों के लिए सुविधाओं के अभाव का जिक्र करती हैं। शिवानी के अनुसार जम्मू में फिलहाल स्पोर्ट्स क्लाइम्बिंग खिलाड़ियों के लिए किसी भी तरह की सरकारी मदद उपलब्ध नहीं है, इससे जो खिलाड़ी आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं वे बीच करियर में ही इस खेल को छोड़ देते हैं।
Edited by Ranjana Tripathi