कबाड़ से कलाकृति बनाने वाले देवल को आज जान रही है दुनिया
कबाड़ हमेशा बेकार नहीं होता। अगर आपमें प्रतिभा है तो आप कबाड़ को भी खूबसूरत सी कलाकृति में तब्दील कर देंगे। ऐसी ही कहानी है इंदौर के देवल वर्मा की, जिन्होने अपनी इस अनोखी और शानदार प्रतिभा को न सिर्फ निखारा, बल्कि आज अपनी प्रतिभा के दम पर वो देश-विदेश में खासा नाम कमा रहे हैं।
कबाड़ सिर्फ बेकार नहीं होता, उसे खूबसूरत कलाकृति में भी तब्दील किया जा सकता है... बचपन के दिनों में कार्टून चैनल पोगो पर आने वाले शो MAD से प्रेरणा लेने वाले देवल वर्मा ने कबाड़ को अपने भीतर छिपी प्रतिभा को दिखाने का जरिया बनाया।
अपनी कला के बारे में बात करते हुए देवल कहते हैं,
"कविता एक कला है, फिल्म बनाना एक कला है, पढ़ाना एक कला है, सीखना भी एक कला है, लेकिन मेरे लिए मेटल (धातु) एक कला है। मेरी कहानी कचरे को खजाने में बदलने की है।"
बचपन में कचरे से भिन्न-भिन्न तरह की कलाकृतियों को बनाने वाले देवल के सपनों को और उड़ान तब मिली जब उन्होने मकैनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया।
अपनी बात आगे बढ़ाते हुए देवल बताते हैं,
“आपको जो कचरा दिख रहा है, मेरे लिए वो संसाधन था। मेरे लिए सिक्के किसी मोटरसाइकल के पहिये जैसे थे, पेन के ढक्कन पेट्रोल टैंक जैसे थे, इन्हीं सब को जोड़कर मैंने कबाड़ से पहली बार किसी मोटरसाइकल की एक छोटी सी कलाकृति तैयार की।”
देवल के अनुसार उन्हे साई-फ़ाई मूवीज़ से काफी प्रेरणा मिलती है। मूवी के दौरान वे कहानी से ज्यादा किरदारों के कपड़ों और फिल्म के सेट से रोमांचित होते थे।
देवल ने अपनी इंजीनियरिंग के अंतिम साल में कबाड़ से ही बाइक निर्माता कंपनी ‘हारले डेविडसन’ का लोगो बनाया, जिसे कंपनी के शो रूम में लगाया गया।
तमाम इंजीनियरिंग छात्र की तरह देवल भी पढ़ाई के बाद नौकरी को लेकर आश्वस्त थे, लेकिन देवल ने तब सिर्फ वो करने की ठानी जिसमें उनका दिल लगता था।
देवल बताते हैं,
“लोग मेरे घर आते थे और मेरे माता-पिता से पूछते थे कि आपका बेटा करता क्या है? लेकिन उस समय मेरे माता-पिता के पास उतना साहस नहीं था कि वो उन लोगों से यह कह सकें कि मेरा बेटा कलाकार है।”
अपनी कला को और निखारने के लिए देवल ने अपनी इंजीनियरिंग के बाद डिज़ाइन में पोस्ट ग्रैजुएशन करना चुना। पुणे के एमआईटी इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन में दाखिला लेकर देवल ने कई नई तरह कलाओं और तरीकों के बारे में सीखा, जिससे उन्हे अपनी कला को और निखारने में ख़ासी मदद मिली।
देवल के लिए आगे बढ़ना कतई आसान नहीं रहा। देवल के अनुसार इस काम से रेवेन्यू न मिल पाने के कारण उन्हे करियर को लेकर घर से भी विरोध का सामना करना पड़ा।
इन सब से पार पाते हुए देवल ने दुबई की एक प्रदर्शनी में हिस्सा लिया, जहां उन्होने 2 किलो कबाड़ से बने गिटार को प्रदर्शित किया। इसके बाद देवल ने अपने मेंटर समीर शर्मा और जनक पालटा की मदद लेते हुए देश भर की कई प्रदर्शियों में जाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
देवल कहते हैं कि,
“अगर आप अपनी जिंदगी को कचरे जैसा नहीं करना चाहते हैं, तो कुछ नया करिए, अपनी जिंदगी का उद्देश्य ढूंढिए। आज मैं गर्व से कह सकता हूँ कि मैं मेटल में सपने देखता हूँ, मैं मेटल के साथ सोंचता हूँ और मैं मेटल के साथ ही विकसित हो रहा हूँ।”