डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 24% उछाल के साथ 8.98 लाख करोड़ रुपये पहुंचा
8 अक्टूबर, 2022 तक ताजा आंकडों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में प्रत्यक्ष कर संग्रह (Direct Tax collections) 24 प्रतिशत बढ़कर 8.98 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के सकल संग्रह की तुलना में 23.8 प्रतिशत अधिक है. प्रत्यक्ष कर संग्रह, रिफंड के बाद शुद्ध संग्रह 7.45 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के शुद्ध संग्रह से 16.3 प्रतिशत अधिक है. यह संग्रह वित्त वर्ष 2022-23 के प्रत्यक्ष कर के कुल बजट अनुमान का 52.46 प्रतिशत है.
जहां तक सकल राजस्व संग्रह के संदर्भ में कॉर्पोरेट आयकर (Corporate Income Tax - CIT) और व्यक्तिगत आयकर (Personal Income Tax - PIT) की वृद्धि दर का संबंध है, CIT के लिए वृद्धि दर 16.73 प्रतिशत रही है, जबकि PIT (STT सहित) की वृद्धि दर 32.30 प्रतिशत दर्ज की गयी है. रिफंड के समायोजन के बाद, CIT संग्रह में शुद्ध वृद्धि 16.29 प्रतिशत रही है और PIT संग्रह में शुद्ध वृद्धि 17.35 प्रतिशत (केवल PIT) / 16.25 प्रतिशत (STT सहित PIT) है.
1 अप्रैल, 2022 से 8 अक्टूबर, 2022 की अवधि के दौरान 1.53 लाख करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया गया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान जारी किए गए रिफंड की तुलना में 81.0 प्रतिशत अधिक है.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस साल 81 फीसदी अधिक रिफंड जारी किया गया है. 1 अप्रैल, 2022 से 8 अक्टूबर, 2022 की अवधि के दौरान कुल 1.53 लाख करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया गया है. वस्तुओं के निर्यात में पिछले साल दर्ज हुई तेजी इस साल सितंबर में थमी है. सितंबर में वस्तुओं के निर्यात में 3.5 प्रतिशत की गिरावट आई है. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में व्यापार घाटा करीब दोगुना हो गया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि अर्थव्यवस्था रिकवरी मोड में है, जीएसटी और प्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि इसका संकेत है. वहीं दूसरी तरफ कुछ विश्लेषकों का मानना है कि आर्थिक वृद्धि सुस्त पड़ गई है लेकिन कंपनियों के मुनाफे की वजह से ‘इंजन’ दौड़ रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले महीने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि के अपने अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया है. अन्य रेटिंग एजेंसियों ने भी भू-राजनीतिक दबाव और सख्त होती वैश्विक वित्तीय स्थिति को देखते हुए वृद्धि दर के अनुमान में कमी की है.
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