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आज ही के दिन राजेंद्र प्रसाद को चुना गया था भारत का पहला राष्ट्रपति

3 दिसंबर, 1884 को जन्मे राजेंद्र प्रसाद ने 24 जनवरी, 1950 को आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति पद की शपथ ली. इतना ही नहीं राजेंद्र प्रसाद देश में सबसे लंबे समय, 12 साल तक देश के राष्ट्रपति (President of India) बने रहे और उनका यह रेकॉर्ड अभी तक नहीं टूटा है.

आज ही के दिन राजेंद्र प्रसाद को चुना गया था भारत का पहला राष्ट्रपति

Tuesday January 24, 2023 , 3 min Read

आजादी की लड़ाई में महात्मा गाधीं, वल्लभभाई पटेल, जवाहर लाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री के अलावा राजेंद्र प्रसाद का नाम भी बड़ी सक्रियता से लिया जाता है. प्रसाद ने सत्याग्रह आंदोलन से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन तक में सक्रिय भागीदार रहे थे.

भारत की आजादी के बाद सवाल उठ रहे थे कि आखिर राष्ट्रपति किसे बनाया जाए. तभी पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इस पद के लिए राजेंद्र प्रसाद का नाम सुझाया.

उस समय  ॉराजेंद्र प्रसाद के अलावा राष्ट्रपति पद के लिए कोई और उम्मीदवार नहीं था. इसलिए असेंबली के सचिव एच वीर आर लेंगर ने उन्हें भारत का राष्ट्रपति बनाए जाने का ऐलान कर दिया.

3 दिसंबर, 1884 को जन्मे राजेंद्र प्रसाद ने 24 जनवरी, 1950 को आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति पद की शपथ ली. इतना ही नहीं राजेंद्र प्रसाद देश में सबसे लंबे समय, 12 साल तक देश के राष्ट्रपति (President of India) बने रहे और उनका यह रेकॉर्ड अभी तक नहीं टूटा है.

डॉ राजेंद्र प्रसाद का बिहार के सीवान के जीरादेई गांव में पैदा हुए थे जो उस समय बंगाल प्रेसिडेंसी के अंदर आता था. वे बचपन से हमेशा ही एक मेधावी छात्र थे.


उनकी प्रारंभिक शिक्षा छपरा, फिर पटना में हुई. कॉलेज की पढ़ाई कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में हुई. 1915 में कानून में पोस्ट ग्रेजुएट पास करने के बाद कानून के विषय में ही डॉक्टरेट की उपाधि भी ली और उसके बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद कहलाए गए.


राजेंद्र पढ़ाई, वकालत की डॉक्टरेट, वकालत के पेशे, सभी में अव्वल ही रहे. डॉ. राजेंद्र प्रसाद की प्रतिभा और विद्वता के कई किस्से मशहूर हैं. कहा जाता है एक बार परीक्षा के दौरान उनकी कॉपी में लिखा गया था कि 'एग्जामिनी इज बेटर देन एग्जामिनर' (Examinee is better than examiner).

वहीं दूसरी तरफ राजेंद्र बाबू अपनी परंपराओं से भी गहराई से जुड़े थे. पटना हाईकोर्ट कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और रिश्ते में डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाती मनोजेश्वर प्रसाद उर्फ मनोज बाबू सिवान जिला के रफीपुर गांव के नर्मदेश्वर प्रसाद के बेटे हैं.

उन्होंने बताया कि राजेंद्र प्रसाद उनके गांव रफीपुर का अन्न खाना तो दूर पानी तक नहीं पीते थे. जब कभी वे रफीपुर गए तो पड़ोस के गांव से उनके पीने के लिए पानी लाया जाता था.राष्ट्रपति के तौर पर उनकी एक बार परीक्षा भी हुई थी जब हिंदू कोड बिल के विवादित होने पर उन्होंने सक्रियता दिखाई थी.

1962 में उन्होंने रिटायर होने का ऐलान किया और राष्ट्रपति भवन छोड़ने के बाद वे पटना की बिहार विद्यापीठ रहने चले गए. इसके बाद 28 फरवरी 1963 को 78 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया. उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था.


Edited by Upasana