लोगों की जान बचा रहा डॉक्टरों का यह एनजीओ, कोरोना काल में 85,000 से अधिक लोगों का किया इलाज
कोविड-19 महामारी के दौरान न तो लोगों को अस्पतालों में भर्ती होने के लिए बेड मिल रहे थे, न ही ऑक्सीजन मिल पा रही थी. ऐसे समय में बड़े पैमाने पर अस्थायी अस्पतालों की जरूरत थी. तब साल 2007 से देशभर में आपदाओं के दौरान मेडिकल हेल्प पहुंचाने वाली डॉक्टरों के NGO ‘डॉक्टर्स फॉर यू’ सामने आया.
कोविड-19 महामारी के दौरान देश के बड़े से बड़े शहर की भी स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी. इस महामारी ने ग्रामीण इलाकों में पहले से कभी मौजूद न रहने वाली स्वास्थ्य व्यवस्था के साथ ही शहरी स्वास्थ्य व्यवस्था के भी खोखलेपन को सबके सामने ला दिया.
कोविड-19 महामारी के दौरान न तो लोगों को अस्पतालों में भर्ती होने के लिए बेड मिल रहे थे, न ही ऑक्सीजन मिल पा रही थी. ऐसे समय में बड़े पैमाने पर अस्थायी अस्पतालों की जरूरत थी. तब साल 2007 से देशभर में आपदाओं के दौरान मेडिकल हेल्प पहुंचाने वाली डॉक्टरों के गैर-सरकारी संगठन (NGO) ‘डॉक्टर्स फॉर यू’ (Doctors For You) सामने आया.
Doctors For You (DFY) ने सबसे पहले दिल्ली सरकार के साथ मिलकर लोक नायक जयप्रकाश नारायण (LNJP) अस्पताल के सामने स्थित एक बैंक्वेट हॉल को एक 100 बेड के मेकशिफ्ट अस्पताल में बदला. इसके बाद पूरे कोविड-19 के दौरान DFY की टीम ने 47 से अधिक मेकशिफ्ट अस्पताल बनाकर उनमें 9500 से अधिक बेड की व्यवस्था की.
आज DFY की 25 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के 250 से अधिक जिलों में मौजूदगी है. DFY के काम के बारे में संस्था के अध्यक्ष डॉ. रजत जैन ने YourStory से बात की और बताया कि संस्था कैसे काम करती है.
डॉ. जैन ने बताया, ‘’2007 में मुंबई में डेंगू के बड़े पैमाने पर मामले सामने आने के बाद प्लेटलेट्स की कमी हो गई थी. उस समय मुंबई के एक अस्पताल से प्लेटलेट्स डोनेशन की अपील की गई. इससे प्लेटलेट्स डोनेशन डबल हो गई.
उसी दौरान बिहार के कोसी नदी पर बाढ़ आई. वहां बड़े पैमाने पर मेडिकल हेल्थ की आवश्यकता थी. तब डॉक्टर्स कम्यूनिटी में मदद के लिए डॉक्टरों से आगे आने के लिए कहा गया. उस दौरान 120 डॉक्टरों की एक टीम को वहां भेजा गया. यहीं से युवा डॉक्टरों में डॉक्टर्स फॉर यू जैसी संस्था बनाने का विचार आया और आज DFY एक अंतरराष्ट्रीय संस्था के रूप में सामने है. DFY की स्थापना डॉ. रविकांत सिंह ने की है.’
1200 पेड स्टाफ और 20 हजार से अधिक वालंटियर
DFY में फुल टाइम और पार्ट टाइम दोनों तरह के लोग जुड़े हुए हैं. अधिकतर लोग अपनी प्रैक्टिस को जारी रखते हुए DFY के साथ काम करते हैं. हालांकि, बहुत से लोग केवल DFY के लिए काम करते हैं औऱ उन्हें पेड किया जाता है. इसमें डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, और नॉन-मेडिकल स्टाफ सभी शामिल होते हैं. DFY के पास 1200 पेड स्टाफ हैं जबकि 20,000 से अधिक वालंटियर हैं.
आपदा से लेकर प्राइमरी हेल्थ, कैंसर रोकथाम तक मदद के लिए बढ़ाए हाथ
डॉ. जैन कहते हैं, ‘DFY का उद्देश्य भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में बाढ़ या भूकंप जैसी आपदाओं के दौरान मेडिकल हेल्प मुहैया कराना है. 2007 के बाद से हम लगभग सभी आपदाओं के दौरान 24 घंटे के दौरान अपनी मदद पहुंचाने की कोशिश करते हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इसके बाद हमने महसूस किया कि आपदाओं के अलावा और भी बहुत कुछ है जिनमें हम अपना योगदान दे सकते हैं. इसके लिए हमने प्राइमरी हेल्थ और मैटर्नल एंड चाइल्ड जैसे हेल्थ सेक्टर में भी काम शुरू किया. शहरों में तो मेडिकल सुविधाएं फिर भी मिल जाती हैं लेकिन कई कारणों से सरकार गांवों में मेडिकल हेल्प नहीं मुहैया करा पाती है. हमने शहरी स्लम्स और ग्रामीण इलाकों के कुछ-कुछ जगहों पर प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स पर काम करना शुरू किया. कुछ समय बाद हमने कैंसर की रोकथाम पर भी काम करना शुरू किया. इस तरह आज के समय में हम आपदा, प्राइमरी हेल्थ, मैटर्नल एंड चाइल्ड हेल्थ और कैंसर रोकथाम पर काम कर रहे हैं.’
DFY 1400 से अधिक गर्भवती महिलाओं, 80 हजार से अधिक टीबी मरीजों, 1.5 लाख से अधिक कैंसर मरीजों, 85 हजार से अधिक कोविड-19 मरीजों का इलाज करने में सफल रहा है.
DFY ने 150 से अधिक अस्पतालों में क्रिटिकल मेडिकल सामानों की सप्लाई और सीटी स्कैन्स, डायलिसिस यूनिट्स जैसे डायग्नोस्टिक्स मशीनों का डोनेशन किया है. इसके साथ ही हजारों की संख्या में ऑक्सीजन सिलिंडर, ऑक्सीजन कंसनट्रेटर्स और 50 से अधिक एंबुलेंस डोनेट किए हैं. DFY ने 135 ऑक्सीजन प्लांट्स को स्थापित करने में भी मदद की है.
कोविड के दौरान मेकशिफ्ट अस्पतालों के लिए बढ़ाए हाथ
डॉ. जैन बताते हैं, अधिकतर लोग DFY को कोविड-19 की वजह से जानते हैं. आज भी सुदूर ग्रामीण इलाकों में मेडिकल हेल्प नहीं पहुंच पाया है. लेकिन कोविड-19 के दौरान शहरों में हेल्थ सिस्टम बिखर गया. उस दौरान मुझे दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री का बुलावा आया. उन्होंने हमसे मेकशिफ्ट अस्पताल बनाने पर सुझाव मांगे. क्योंकि आपदा के दौरान मेकशिफ्ट अस्पताल बनाने ही होते हैं और हमारे पास उसका पूरा अनुभव था.
उन्होंने आगे बताया, हमने उन्हें बैंक्वेट हॉल और स्टेडियम्स को मेकशिफ्ट अस्पताल में तब्दील करने का सुझाव दिया. हमने एनएलजेपी के सामने स्थित एक बैंक्वेट हॉल को एक 100 बेड के मेकशिफ्ट अस्पताल में बदला. इसके बाद सरकार के साथ मिलकर ऐसी ही 2-3 और जगहों को भी मेकशिफ्ट अस्पताल में बदला.
देशभर में बनाए मेकशिफ्ट अस्पताल
पहली चीज मेकशिफ्ट अस्पताल बनाना थी. लेकिन इसके साथ ही ट्रेंड डॉक्टर्स को इकट्ठा करना भी एक बड़ी चुनौती थी. दरअसल, मौजूदा सिस्टम में लोगों को एड करना हमेशा आसान होता है और नए सिस्टम में लोगों को एड करना मुश्किल.
डॉ. जैन ने कहा, ‘हमने डॉक्टर, नर्सेज और पैरामेडिकल स्टाफ की एक बड़ी टीम बनाई जो कि किसी भी जगह पर दो घंटे के अंदर कहीं भी आने-जाने के लिए तैयार थी.
हमने मणिपुर में अपने 8 डॉक्टर, 12 नर्सेज और 15-16 पैरामेडिकल की टीम को भेजकर वहां एक मेकशिफ्ट अस्पताल शुरू कराया था. उन्होंने नए डॉक्टरों को भी उस सिस्टम में जोड़ना शुरू कर दिया और अपने अनुभवी स्टाफ को हटाना शुरू कर दिया. हमने 7-10 दिन में पूरे पुराने स्टाफ से नए स्टाफ को बदल दिया.’
आज DFY की 25 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के 200 से अधिक जिलों में मौजूदगी है. कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान DFY ने 9500 बेड का 47 मेकशिफ्ट अस्पताल में बनाने में सफल रहा था, जो कि DFY की सबसे बड़ी उपलब्धि थी. इसके साथ ही, DFY ने 80 हजार से अधिक कोविड-19 मरीजों का इलाज किया है.
1.2 करोड़ वैक्सीनेशन कराया
कोविड की लहर उतरने के दौरान भी वैक्सीनेशन की भारी आवश्यकता थी. इसमें भी हमने अलग-अलग राज्यों में अपने स्टाफ मुहैया कराए. हमने वैक्सीनेशन के लिए 280 से अधिक वैक्सीनेशन सेंटर का सफल संचालन किया था. हमारे स्टाफ ने सरकार के साथ मिलकर 1 करोड़ 20 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेशन किया है. सरकार ने वैक्सीन मुहैया कराए थे.
Boeing से लेकर Facebook तक का मिलता है सपोर्ट
DFY को सपोर्ट करने वाले पार्टनर्स में एचसीएल फाउंडेशन (HCL Foundation), बोइंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Boeing India Private Limited), अजीम प्रेमजी फाउंडेशन (
), क्रिप्टो रिलीफ (Crypto Relief), इंटरनेशन मेडिकल कॉर्प्स (International Medical corps), कन्फडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (Confederation of Indian Industry), विप्रो ( ), वालमार्ट ( ), फेसबुक ( ), फाइजर ( ) गिव इंडिया (Give India), यूनिसेफ (UNICEF) और MSDF सहित कई अन्य बड़ी कंपनियां शामिल हैं.सालाना 250 करोड़ रुपये का खर्च
शुरुआती में डॉक्टर्स खुद थोड़ी-थोड़ी फंडिंग करते थे. कुछ और लोगों ने भी धीरे-धीरे फंडिंग देना शुरू किया. बाद में हमने फंड बेस्ड प्रोजेक्ट शुरू कर दिया था. हम जितना भी पैसा इकट्ठा करते हैं, उसे हम विभिन्न गतिविधियों में लगा देते हैं.
अधिकतर लोग पैसा देते हैं, लेकिन कई बार लोग हमारी जरूरत के अनुसार इक्विपमेंट भी दे देते हैं. पिछले साल हम 250 करोड़ के करीब रुपये की लोगों की मदद कर पाए.
अवार्ड्स
DFY को अपने मानवीय कार्यों के लिए देश-दुनिया के कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं. साल 2020 में सार्क अवार्ड, साल 2009 में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ग्रुप अवार्ड और 2015 में गोल्डम रूबी अवार्ड मिला था. इसके साथ ही कई राज्य सरकारों ने DFY के कार्यों की सराहना की है.
हाल ही में, समाचार चैनल NDTV ने DFY के फाउंडर डॉ. रविकांत सिंह को मेडिसिन कैटेगरी में एक 'ट्रू लीजेंड' के पुरस्कार से सम्मानित किया है.