कोरोना वायरस से संक्रमित हुए मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों को है सबसे अधिक खतरा, पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार का यह लेख
इटली में कोरोना का इलाज करते हुए 13 डाक्टरों की मौत हो गई है, 2629 स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हो गए हैं, अब वे भी ज़िंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं।
सिर्फ याद नहीं, डॉक्टरों की वास्तविक सुरक्षा के इंतज़ाम भी हो, पांच बजे जब आप भारत के हेल्थ वर्करों को याद करें तो इस वक्त कोरोना से लड़ते हुए शहीद हुए उन तमाम डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को भी याद करें जो भारत के नहीं हैं।
इटली में कोरोना का इलाज करते हुए 13 डाक्टरों की मौत हो गई है, 2629 स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हो गए हैं। वे भी ज़िंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं। इटली में 50 से अधिक डॉक्टरों को कोरोना का संक्रमण हुआ है।
57 साल के Dr Marcello Natali की कोरोना से मौत हो गई। वे Codogno शहर में फ्रंट लाइन पर संक्रिमत मरीज़ों का इलाज कर रहे थे। यही से इटली में महामारी का प्रकोप फैलना शुरू हुआ था। Dr. Marcello Natali ने शिकायत भी की थी कि उनके पास दास्तानें नहीं हैं, उसके बाद उन्हें पोजिटिव हो गया। साथी डॉक्टर उन्हें वेंटिलेटर पर रखना चाहते थे, मगर Dr Marcello Natali ने दूसरे मरीज़ का हक छीनना सही नहीं समझा, उन्हें इलाज मिलने में देरी हो गई और वे नहीं रहे। उनकी पत्नी नर्स हैं। दो बच्चे हैं।
चीन में कई डाक्टरों और नर्स की मौत हुई है, बहुत से संक्रमित भी हुए। नर्स LIU ZHIMMING के पति Cai की मौत हो गई। वे डॉक्टर थे। 49 साल की नर्स Liu Fam की भी इलाज करते हुए मौत हो गई। उन्हें कोरोना का संक्रमण हो गया था। 37 साल के डॉक्टर Wang Tucheng की मौत भी कोरोना से हो गई। Song Yingjie 28 साल के थे और फार्मासिस्ट थे। उनकी भी कोरोना से मौत हो गई।
चीन के Li Wenlian की मौत को न भूलें। वुहान मेडिकल हॉस्पिटल के ली ने 30 दिसंबर को ही साथी डाक्टरों को बताया था कि कोरोना वायरस है। खतरनाक हो सकता है। उनकी बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। उल्टा प्रताड़ित किया गया।
बहुत से डाक्टर इटली और अन्य देशों में वायरस से संक्रमित होकर भी इलाज कर रहे हैं। कारण डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की भयंकर कमी है।
भारत में राजस्थान के तीन डॉक्टरों को कोरोना का संक्रमण हो गया है। ये तीनों प्राइवेट अस्तपाल में काम करते थे। लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कालेज के जूनियर रेज़िडेंट को संक्रमण हो गया है। कर्नाटक के 63 साल के डॉक्टर को संक्रमण हुआ है। इनके परिवार को कोरिंटिन में रखा गया है।
हम याद करते वक्त थोड़ी मेहनत करें। पता करें कि दुनिया भर में डाक्टर और अस्पताल के स्टाफ इस चुनौती से कैसे लड़ रहे हैं। खुद जानें और दूसरों को भी बताएं। अपने डाक्टरों की सुरक्षा की चिन्ता के लिए सवाल करें और आवाज़ उठाएं। आज भी और आज के बाद भी। भारत के डाक्टर और स्वास्थ्यकर्मी पूरी तरह से लैस नहीं हैं। वे ड्यूटी पर जाने के लिए तैयार है मगर सैनिक को बगैर बंदूक के सीमा पर भेजना ही एकमात्र सैन्य कर्तव्य नहीं होता है।
भारत में भी उनकी चुनौतियों को समझें। बहुत सी चुनौतियां सरकार की लापरवाही के कारण है। उम्मीद है वे जल्दी दूर होंगी। हमारे डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना के इलाज के लिए सुरक्षित उपकरण मिलेंगे। उन्हें दास्ताने, मास्क, प्रोटेक्टिव गियर की कमी नहीं होगी। जो कि है। डाक्टरों के पास प्रोटेक्टिव गियर नहीं है। जिस तरह आपने चीन के अस्पतालों में डाक्टरों को अंतरिक्ष यात्रियों वाले सफेद लिबास में देखा था।
भारत में इस लिबास की कमी है। यही नही चीन में डॉक्टरों को स्पे किया जाता था ताकि वे संक्रमित न हो। क्या ये सब हमने अपने डॉक्टरों के लिए किया है, क्या ये सब हमने अपने स्वास्थ्यकर्मियों के लिए किया है?
यही वक्त है ध्यान करने का। भारत के सरकारी अस्पतालों के ज़्यादातर कर्मचारी ठेके पर रखे गए हैं। एंबुलेंस हो या अन्य स्टाफ। इन्हें उचित सैलरी नहीं मिलती है। इनका बहुत शोषण होता है। सोचिए ये लोग न होते तो हमें या आपको कौन बचाता। इन हेल्थ वर्करों की बेहतरीन सुरक्षा में ही आपकी सुरक्षा है। और ये कठोर फैसलों और पैसे खर्च करने से होता है।
सरकारी अस्पताल में ड्यूटी करने वाले वैसे डॉक्टर जो ज्यादा ध्यान प्राइवेट प्रैक्टिस पर देते हैं, उनके लिए भी प्रार्थना करें।
मैं भारत ही नहीं दुनिया के स्वास्थ्यकर्मियों और डॉक्टरों को सलाम करता हूं।
जय हिन्द।
(यह लेख वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार की फेसबुक वॉल से लिया गया है।)