हड्डियों की मजबूती के लिए कितना फायदेमंद है दूध पीना
दूध वो पेय है, जिसे पीने की सलाह तबसे दी जाती है जब बच्चा दुनिया में आता है। उसे कुछ दिया जाये या ना दिया जाये, लेकिन दूध उसकी दिनचर्या का सबसे ज्यादा ज़रूरी आहार बन जाता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता, दूध की मात्रा कम कर उसे भोजन देना शुरू किया जाता है। हर मील में दूध की जगह दूध सुबह शाम की ज़रूरत बन जाता है। सुबह स्कूल जाते हुए, शाम को खेलने जाने से पहले। दूध पीने के पीछे हमारी सोच सिर्फ इतनी है, कि उससे हड्डियां मजबूत होती हैं, लेकिन क्या आपको मालूम है कि ये एक भ्रम भी हो सकता है?
माना कि दूध में कैल्शियम पाया जाता है जो हड्डियों में पाए जाने वाले मिनरल के लिए फ़ायदेमंद होता है, लेकिन दूध पीने से हड्डियों के मज़बूत होने का कोई संबंध नहीं है। हावर्ड यूनिवर्सिटी ने 1997 में 77000 महिलाओं पर एक शोध की थी, जिसमें उन महिलाओं के आहार पर करीब 10 सालों तक अध्ययन किया गया और शोधकर्ताओं ने पाया कि दूध पीने और ना पीने वाली या कम पीने वाली महिलाओं की हड्डियों के फ्रेक्चर में कोई खास अंतर नहीं था, साथ ही इसी टीम ने इस तरह का अध्ययन पुरुषों पर भी किया और वहां भी दूध पीने ना पीने के बीच कोई खास अंतर नहीं दिखा।
साल 2014 में एक शोध के मुताबिक जो लोग दिन में तीन ग्लास या उससे ज़्यादा दूध पीते हैं उनकी हड्डियों को इससे कोई फ़ायदा तो नहीं होता बल्कि ऐसा करना नुकसानदेह ज़रूर हो सकता है।
सिर्फ दूध से संपूर्ण कैल्शियम की उम्मीद करना तो शरीर के लिए बेमानी है, ऐसे में शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए कई लोग कैल्शियम सप्लिमेंट्स का सहारा लेते हैं, लेकिन ये अंतिम विकल्प नहीं हो सकता। क्योंकि कैल्शियम सप्लिमेंट्स के लंबे समय तक इस्तेमाल के अलग नुकसान हैं। एक शोध में में ये बात सामने आई है कि सप्लीमेंट के इस्तेमाल से कुछ वक्त तक तो फायदा होता है, लेकिन दो-तीन साल बाद फायदा होना बंद हो जाता है और बढ़ती उम्र के साथ सप्लिमेंट्स सिर्फ हड्डियों के मिनरल के नुकसान को कम कर सकता है या फिर नुकसान को बढ़ने से रोक सकता है।
अब तक जो भी अध्ययन सामने आए हैं उन्हें देखकर यह बात ज़ाहिर है कि दूध पीना ठीक है, लेकिन अधिक मात्रा में पीना नुक्सानदेह हो सकता है, हड्डियों पर भी इसका असर उतना नहीं है जितना कि हमारे भ्रम में मौजूद है। कुछ लोग तो यहां तक मानते हैं, कि यदि आप कुछ ना खायें और दूध पी लें तो आपको सारे पौष्टिक आहार एक साथ मिल जाते हैं, जबकि ऐसा कत्तई नहीं है। अधिक मात्रा में किसी भी चीज़ का सेवन हानिकारक हो सकता है। दूध को लेकर लोगों में मौजूद गलफहमी को खत्म करने के लिए कई तरह की शोध हो चुकी हैं और हो रही हैं। ऐसे में यदि आप अपना, या अपने बच्चों या किसी का भी डाइट चार्ट बना रहे हैं, तो इन शोधों के बारे में एक बार ज़रूर पढ़ लें। किसी भी तरह की डाइट की सलाह देने से पहले इन शोध के पुन: अध्ययन करने की ज़रूरत है।
सिर्फ दूध ही नहीं हड्डियों को मजबूत रखने के दूसरे भी कई विकल्प हो सकते हैं जिनमें व्यायाम और विटामिन डी हड्डियों को मजबूत बनाने का बेहतर विकल्प है, साथ ही यदि शरीर को सही समय और सही मात्रा में धूप दी जाये तो ठंड के दिनों में विटामिन डी सप्लीमेंट भी भरपूर लिया जा सकता है। यदि आप दूध पीना पसंद नहीं करते या फिर आपका बच्चा दूध नहीं पसंद करता तो उस पर दूध पीने के लिए दबाव न बनायें, बल्कि दूध की जगह वो चीज़ें भी दे सकते हैं जिनमें कैल्शियम होता है, जैसे- संतरा! एक संतरे में 60 मिलीग्राम कैल्शियम होता है। ये प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने में मदद करता है। संतरे में कैल्शियम के साथ-साथ विटामिन डी भी मौजूद होता है, जो कि कैल्शियम के अवशोषण में बहुत जरूरी है।
दूसरा सप्लिमेंट बादाम हो सकता है। एक कप रोस्टेड बादाम में 457 एमजी कैल्शियम मौजूद होता है, साथ ही इसमें प्रोटीन भी भरपूर होता है।
इसके अलावा अंजीर भी कैल्शियम का एक बेहतर विकल्प है। एक कप सूखे हुए अंजीर में 242 एमजी कैल्शियम होता है। फाइबर और पोटैशियम युक्त अंजीर हड्डियों को मजबूत रखने के साथ-साथ हार्ट बीट को कंट्रोल करके रखता है।
प्रतिदिन के भोजन में यदि योगर्ट को शामिल किया जाये, तो रिच कैल्शियम शरीर को मिलता है। साथ ही पनीर कैल्शियम के मामले में बेहतरीन और स्वादिष्ट विकल्प है। प्रोटीन के साथ-साथ यह कैल्शियम का बढ़िया स्त्रोत है।
ऐसे में शरीर को कैल्शियम देने के लिए ज़रूरी नहीं कि दूध ही दिया जाये, बल्कि कैल्शियम से भरपूर वे चीज़ें भी खायें जिनमें हड्डियों को मजबूत रखने के साथ-साथ शरीर को स्वस्थ्य रखने की भी क्षमता हो।
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