डॉलर हुआ कमजोर, पाउंड स्टर्लिंग चढ़ा, क्या ये ऋषि सुनक के ब्रिटेन के पीएम बनने की खबर का है असर?
जल्द ही ऋषि सुनक को ब्रिटेन का पीएम चुन लिया जाएगा. उन्हें कंजर्वेटिव पार्टी का नेता चुन लिया गया है. इसी बीच डॉलर गिरा है और पाउंड स्टर्लिंग मजबूत हुआ है. क्या है ऋषि सुनक की खबर के चलते हुआ?
ब्रिटेन की सत्ता संभालने के महज 45 दिन बाद ही लिज ट्रस ने इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कहा था कि वह अपने वादे पूरे नहीं कर पा रही हैं, इसलिए इस्तीफा दे रही हैं. अब उनके बाद ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री (Britain New PM) बनने जा रहे हैं. उन्हें कंजर्वेटिव पार्टी का नेता चुन लिया गया है. इसी बीच एक बड़ी खबर ये आ रही है कि अमेरिकी डॉलर (US Dollar) में थोड़ी नरमी देखने को मिल रही है. वहीं दूसरी ओर ब्रिटेन की करंसी पाउंड स्टर्लिंग (Pound sterling) में तेजी देखने को मिल रही है. सवाल ये है कि क्या इसकी वजह ऋषि सुनक हैं या मामला कुछ और है?
डॉलर गिरा, पाउंड चढ़ा
इस कारोबारी हफ्ते में मंगलवार को अमेरिकी डॉलर अपनी कैटेगरी की बाकी करंसी के मुकाबले कमजोर हुआ है. इसकी बड़ी वजह तो यही है कि फेडरल रिजर्व की तरफ से दरें बढ़ाए जाने के बाद दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर इसके असर को लेकर निवेशक चिंता में हैं. इसी बीच ऋषि सुनक का ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनना तय हो गया है. इस खबर ने रिस्क सेंटिमेंट को और बढ़ा दिया है, जिसकी वजह से डॉलर में नरमी देखने को मिल रही है. पाउंड स्टर्लिंग में तेजी इस महीने के उच्चतम स्तर के बेहद करीब पहुंच चुकी है.
अन्य करंसी का क्या है हाल?
डॉलर और पाउंड स्टर्लिंग के अलावा यूरो में भी हलचल देखने को मिल रही है. हालांकि, इसकी वजह ऋषि सुनक नहीं हैं. इसी गुरुवार को यूरोपियन सेंट्रल बैंक की पॉलिसी मीटिंग होने वाली है, जिससे पहले यूरो में मजबूती देखने को मिल रही है. 5 अक्टूबर के बाद पहली बार डॉलर के मुकाबले यूरो 0.99 डॉलर के लेवल पर पहुंचा है. बात अगर रुपये की करें तो मंगलवार को डॉलर के मुकाबले थोड़ा गिरकर खुला है. शुक्रवार को रुपया 82.67 रुपये पर बंद हुआ था, जो आज 82.69 रुपये पर खुला है.
ऋषि सुनक भारतीय मूल के ब्रिटिश राजनेता हैं जो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने वाले हैं. इसके पहले वे ब्रिटेन के वित्त मंत्री भी रह चुके हैं. सुनक ब्रिटिश कंजरवेटिव पार्टी के एक लोकप्रिय सदस्य हैं. ऋषि 2015 से उत्तरी यॉर्कशायर में रिचमंड (यॉर्क) से सांसद हैं, जब वे कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद चुने गए. जून 2017 से उनकी मंत्री पद की नियुक्ति व्यापार, ऊर्जा और औद्योगिक रणनीति विभाग में संसदीय निजी सचिव के रूप में भी थी. भारत की मीडिया और ख़ासकर सोशल मीडिया पर सुनक की दावेदारी को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है.
इस उत्साह के पीछे की वजह साफ़ है. कभी इंग्लैंड ने 200 साल भारत पर राज किया था. अब कहीं न कहीं लोगों को अपनी कल्पना में लग रहा है कि एक इंडियन ‘गोरों’ पर राज करेगा. सुनक की इस दावेदारी में बहुत-से लोगों को भारत की बदलती छवि और बढ़ती हुए आर्थिक ताक़त की भी झलक दिख रही है.
ट्रस को क्यों देना पड़ा इस्तीफा?
प्रधानमंत्री पद के लिए प्रचार के दौरान लिज ट्रस ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के कई वादे किए थे. मगर ट्रस सरकार महंगाई पर काबू पाने में पूरी तरह असफल रही हैं. ट्रस के वादों को लागू करने की कोशिश करने वाले वित्त मंत्री क्वासी क्वार्टेंग को भी इस्तीफा देना पड़ा. क्वार्टेंग के लिए फैसलों की इकॉनमिस्ट्स और निवेशकों की तरफ से काफी आलोचना हुई, जिस वजह से ट्रस ने उन्हें हटा दिया.
नए वित्त मंत्री जेरमी हंट बने. उन्होंने आते ही क्वार्टेंग के सभी फैसलों को पलट दिया. इसकी वजह से मार्केट में हाहाकार मच गया और ट्रस सरकार पर से दबाव घटने की जगह बढ़ गया. हालात ऐसे हो गए थे कि ब्रिटेन के केंद्रीय बैंक, बैंक ऑफ इंग्लैंड को ऋण बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
उनकी अपनी पार्टी के सांसद भी उनके खिलाफ हो गए. ऐसा कहा जा रहा है कि उनकी पार्टी के 100 सांसद उनके ही खिलाफ कैंपने चला रहे थे. बढ़ते आर्थिक संकट और महंगाई के कारण हर बीतते दिन के साथ ट्रस पर दबाव बढ़ता जा रहा था और इन्हीं स्थितियों में ट्रस को इस्तीफा देने का सख्त फैसला लेना पड़ा.