गांजे के ज्यादा सेवन से बढ़ सकता है मनोरोग का खतरा
व्यक्तियों में गांजा, अस्थाई व्यामोह और अन्य मनोविकारों के भयंकर जोखिम को पैदा कर सकता है। कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के एक प्राथमिक अध्ययन में ये बातें सामने आईं हैं। पिछले महीने ही इस स्टडी को जारी किया गया था। ऐसे व्यक्ति जिनमें हल्के या क्षणिक मनोवैज्ञानिक जैसे असामान्य विचार, संदेह इत्यादि लक्षण होते हैं और उनका मनोविकारों का पारिवारिक इतिहास रहा हो, उनमें गांजा और एल्कोहल के इस्तेमाल से इसका जोखिम ज्यादा होता है।
शोधकर्ताओं ने कुछ युवाओं पर गांजे को लेकर पहली बार शोध की, जिनमें से 6 लोग गांजे के आदी हो चुके थे और 6 लोग सामान्य थे।
एक दलील यह दी जाती है कि गांजा सिगरेट से ज्यादा सुरक्षित होता है, इसकी लत नहीं लगती और यह भारत की आध्यात्मिक परंपरा का हिस्सा है। लेकिन गांजे से अक्सर व्यवहार संबंधी गड़बड़ियां पैदा हो जाती हैं और याददाश्त को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है।
व्यक्तियों में गांजा, अस्थाई व्यामोह और अन्य मनोविकारों का भयंकर जोखिम को पैदा कर सकता है। कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के एक प्राथमिक अध्ययन में ये बातें सामने आईं हैं। पिछले महीने ही इस स्टडी को जारी किया गया था। ऐसे व्यक्ति जिनमें हल्के या क्षणिक मनोवैज्ञानिक जैसे असामान्य विचार, संदेह इत्यादि लक्षण होते हैं और उनका मनोविकारों का पारिवारिक इतिहास रहा हो। उनमें गांजा और एल्कोहल के इस्तेमाल से इसका जोखिम ज्यादा होता है। पिछले अध्ययनों में सामान्य जनसंख्या में गांजा के इस्तेमाल और मनोविकार के बीच एक संबंध मिला है। लेकिन जिनमें मनोविकारों का खतरा ज्यादा हो, उनमें गांजा का कभी कड़ाई से परीक्षण नहीं किया गया।
भांग या गांजे का धूम्रपान करने वाले कई किशोर और युवाओं में मनोविकार का खतरा बढ़ जाता है। गांजा एक किस्म का पौधा होता है जो कि तकरीबन दो फीट ऊंचे इन पौधों की पत्तियों को सुखाकर उसे बेचा जाता है। और फिर इसे पाइप या फिर कागज में भरकर सिगरेट की तरह पिया जा सकता है। इसके समर्थन में एक दलील यह दी जाती है कि यह सिगरेट से ज्यादा सुरक्षित होती है, इसकी लत नहीं लगती और यह भारत की आध्यात्मिक परंपरा का हिस्सा है। लेकिन गांजे से अक्सर व्यवहार संबंधी गड़बड़ियां पैदा हो जाती हैं और याददाश्त को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है।
शोध की क्या थी प्रक्रिया-
कोलम्बिया यूनिवर्सिटी की न्यूरो बॉयोलॉजी की प्रोफेसर ने मार्ग्रेट हैने ने अपनी अध्य्यन में ये बताया है। शोधकर्ताओं ने कुछ युवाओं पर गांजे को लेकर पहली बार शोध किया। इनमें से 6 लोग गांजे के आदी हो चुके थे। और 6 लोग सामान्य थे। शोध में शामिल होने वाले नौजवानों ने आधी जली हुई गांजे की सिगरेट दी गई। और फिर उन्हें यही गांजा की डोज औषधि के तौर पर दी गई। यह प्रक्रिया कई बार दुहराई गई। दवा के मुकाबले सक्रिय गांजे को पीने के बाद दोनो समूहों में नशे के लक्षण देखे गए। इसके साथ ही उनके हृदय की गति भी बढ़ गई। जबकि जिनमें इनका खतरा ज्यादा था उनमें चिंता और बेचैनी की क्षणिक वृद्धि देखी गई। इसके साथ साथ सक्रिय गांजे के सेवन से उनके सोचने और अनुभव करने की क्षणता भी भंग हो गई।
जो नौजवान गांजे का नशा करते हैं, उनकी शिक्षा काफी कम रही है जिसकी वजह है कि उनकी बुद्धि ज्यादा विकसित नहीं हो पाई। यही नहीं, शोधकर्ताओं ने पाया कि इन कम उम्र में नौजवानों ने जितना ज्यादा नशा किया, उनकी बुद्धि उतनी ही मंद होती गई और नशा छोड़ने पर भी उनकी बुद्धि का विकास नहीं हो पाया।
गांजे के फेर काफी मुसीबत में डाल सकता है-
हालांकि ये एक छोटा सा अध्ययन था जिसने बताया कि गांजे के सेवन से सामान्य लोगों के मुकाबले मनोविकारों से ग्रसित लोगों पर खतरा बड़ जाता है। हालांकि कुछ मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि इसमें अभी और शोध की जरूरत है। कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के मनोचिकित्सक ने बताया कि किशोरावस्था में ही भांग और गांजे के ज्यादा सेवन से ऐसी आदतें आगे चलकर बढ़ जाती है। और तब मनोविकारों से ग्रसित होने का खतरा भी बढ़ जाता है। उन्होंने ही बताया कि गांजे के ज्यादा सेवन से मानसिक बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
नियमित रूप से गांजा पीने वाले युवा कई सालों बाद संज्ञानात्मक गिरावट से ग्रस्त होने लगते हैं, जिसका सीधा असर उनकी मेमोरी पर पड़ता है। अध्ययनों के अनुसार, गांजा पीने से युवाओं की पढ़ाई पर भी गहरा असर पड़ता है। वास्तव में मेमोरी कम होने से ऐसे युवाओं के फेल होने के भी पूरे चांस होते हैं। कई युवा ऐसा मानते हैं कि गांजा पीने से उन्हें आराम मिलता है और वो तनाव मुक्त रहते हैं। आपको ये जानकार हैरानी होगी कि नियमित रूप से गांजा पीने से तनाव और अवसाद की स्थिति पैदा हो सकती है। अध्ययनों के अनुसार, गांजा पीने वाले 9 फ़ीसदी लोग ड्रग्स के आदि हो सकते हैं। वास्तव में गांजा पीने वाले 6 में से 1 व्यक्ति को ड्रग्स की लत लग सकती है। लंबे समय तक गांजा पीने से आपकी ड्राइविंग स्किल प्रभावित हो सकती है, जिसका परिणाम दुर्घटना के रूप में सामने आ सकता है।
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