20 लाख रुपये कमाएं! डिफॉल्टरों के बारे में जानकारी देने वाले को SEBI देगा इनाम

बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने मायावी अपराधियों से जुर्माना वसूलने के लिए रिवार्ड (इनाम) सिस्टम शुरू किया है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक सर्कुलर में कहा है कि बकाएदारों (डिफॉल्टरों) की संपत्ति के बारे में जानकारी साझा करने के लिए मुखबिर को 20 लाख रुपये तक मिलेंगे.

इनाम दो चरणों में दिया जाएगा - प्रारंभिक और अंतिम.

सेबी ने आगे कहा कि प्रारंभिक इनाम की राशि उस संपत्ति के आरक्षित मूल्य के ढाई प्रतिशत से अधिक नहीं होगी जिसके बारे में जानकारी दी गई थी या ₹5 लाख, जो भी कम हो. जबकि अंतिम इनाम बकाया राशि के 10 प्रतिशत या ₹20 लाख, जो भी कम हो, से अधिक नहीं होगा.

इनाम के लिए कौन पात्र होगा?

सेबी का कहना है कि एक विश्वसनीय मुखबिर होगा, यदि वह बकाया राशि के संबंध में किसी डिफॉल्टर की संपत्ति के संबंध में मूल जानकारी प्रस्तुत करता है, जिसे 'वसूली के लिए मुश्किल' (Difficult to Recover - DTR) के रूप में प्रमाणित किया जाता है.

मुश्किल से वसूल होने वाला बकाया वह है जो वसूली के सभी तरीकों को पूरा करने के बाद भी वसूल नहीं किया जा सकता है.

साथ ही नियामक ने 515 डिफाल्टरों की सूची जारी की, जहां कोई भी मुखबिर जानकारी दे सकता है.

कैसे मिलेगा इनाम?

सेबी इसके लिए एक मुखबिर पुरस्कार समिति (informant reward committee) का गठन करेगा. इस समिति में रिकवरी और रिफंड विभाग के मुख्य महाप्रबंधक, मामले में क्षेत्राधिकार रखने वाले संबंधित वसूली अधिकारी, मुख्य महाप्रबंधक द्वारा नामित एक अन्य वसूली अधिकारी और उप महाप्रबंधक के ग्रेड में एक अधिकारी को शामिल किया जाएगा. इसमें उच्चतर, निवेशक सुरक्षा और शिक्षा कोष (IPEF) के प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक द्वारा नामित निवेशक सहायता और शिक्षा कार्यालय के अधिकारी भी होंगे.

मुखबिर पुरस्कार समिति इनाम के लिए सूचना देने वालों की पात्रता और सूचना देने वालों को देय इनाम की राशि के निर्धारण से संबंधित मामलों पर अपनी सिफारिशें सक्षम प्राधिकारी को देगी.

सेबी ने कहा कि सूचना देने वाले को दी जाने वाली इनाम की राशि का भुगतान निवेशक सुरक्षा एवं शिक्षा कोष से किया जाएगा.

2021-22 के लिए सेबी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, बाजार नियामक ने मार्च 2022 के अंत में 67,228 करोड़ रुपये की बकाया राशि को "वसूली करना मुश्किल" (DTR) श्रेणी के तहत अलग कर दिया.

क्या है SEBI?

सेबी एक संवैधानिक नियामक संस्था है जो भारत में सिक्योरिटी और कमोडिटी मार्केट को विनियमित और नियंत्रित करने के लिए ज़िम्मेदार है. यह इकाई भारत सरकार के अधिकार में आती है और इसे 1988 में स्थापित किया गया था. हालांकि, 1992 तक, यह एक गैर-वैधानिक निकाय था, जिसका वास्तव में बाज़ारों पर अधिक नियंत्रण नहीं था. 30 जनवरी, 1992 को ही, SEBI को एक स्वायत्त निकाय घोषित किया गया था और SEBI अधिनियम, 1992 के माध्यम से संवैधानिक शक्तियाँ दी गई थीं.

सेबी ने शेयर बाजार के नियम लागू किए और वित्तीय बाजार (Financial Market) में स्टॉक एक्सचेंज और म्यूचुअल फंड आदि के मामलों को नियंत्रित करने लगा.

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