धरती से भारत के आकार के बराबर खत्म हो चुकी है आद्रभूमि, जानिए क्यों यह चिंता की बात है

‘नेचर’ जर्नल में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष 1700 के बाद से करीब 21 फीसदी आर्द्रभूमि समाप्त हुई है. यह भारत के आकार के बराबर क्षेत्र है.

धरती से भारत के आकार के बराबर खत्म हो चुकी है आद्रभूमि, जानिए क्यों यह चिंता की बात है

Sunday February 12, 2023,

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संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि धरती की करीब 40 फीसदी प्रजातियों का जीवन और प्रजनन आर्द्रभूमि मतलब दलदली भूमि पर निर्भर करता है और एक अरब लोग अपनी आजीविका के लिए इन पर निर्भर हैं.

हालांकि, दुनियाभर में अभी भी लोग आर्द्रभूमि को बेकार भूमि समझते हैं. यही कारण है कि आद्रभूमि बेहद तेजी से खत्म होती जा रही है. पृथ्वी के बहुत से प्राकृतिक वासों की तरह पिछले 300 से अधिक वर्षों के दौरान आर्द्रभूमि भी क्रमिक रूप से नष्ट हुई है.

‘नेचर’ जर्नल में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष 1700 के बाद से करीब 21 फीसदी आर्द्रभूमि समाप्त हुई है. यह भारत के आकार के बराबर क्षेत्र है.

आर्द्रभूमि की उपयोगिता क्या है?

आर्द्रभूमि भूमि पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में टॉनिक की तरह काम करती है. आर्द्रभूमि में कुछ एकड़ के नुकसान से वैश्विक या राष्ट्रीय स्तर पर भले ही बहुत फर्क नहीं पड़ता हो, लेकिन नजदीकी शहरों पर इसका घातक असर पड़ता है खासकर बरसात में बाढ़ के समय. इसके अलावा कई प्रजाति के पौधों और जीव जन्तुओं के लिए भी इस तरह का नुकसान आपदाकारी है.

इसके साथ ही, आर्द्रभूमि आधुनिक संकटों का कुछ बेहतरीन प्राकृतिक समाधान प्रदान करती है. आर्द्रभूमि प्रदूषकों को दूर कर या उन्हें छानकर पानी को साफ करती, बाढ़ के पानी को हटाती है, वन्य जीवों को आश्रय प्रदान करती, हमारी मानसिक और शारीरिक सेहत को सुधारती है और जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार कार्बन का भंडारण करती है.

पीटलैंड (एक खास तरह की आर्द्रभूमि) पूरी दुनिया के जंगलों का कम से कम दोगुना कार्बन का भंडारण करते हैं. इसके बावजूद आर्द्रभूमि का क्षय हुआ, लेकिन पूरी दुनिया में यह क्षय एक समान नहीं है.

आर्द्रभूमि के क्षय का कारण क्या है?

दलदली भूमि से पानी हटा देने से बहुत उपजाऊ भूमि की प्राप्ति होती है. पानी के भरोसेमंद स्रोत के नजदीक होने और अमूमन समतल होने के नाते शहर बसाने और खेत बनाने के लिहाज से आर्द्रभूमि हमेशा से प्रमुख निशाना रही है.

इन क्षेत्रों को सुखाकर खेती की जमीन में परिवर्तित कर दिया गया या फिर इन पर निर्माण कर लिया गया. हालात यह हैं कि अब कई तरह के दलदली क्षेत्र नक्शे के साथ-साथ हमारी यादों से भी ओझल हो गये हैं.

आयरलैंड में 90 फीसदी से अधिक आर्द्रभूमि समाप्त

कुछ देशों में यह नुकसान सर्वाधिक हुआ है मसलन आयरलैंड में 90 फीसदी से अधिक आर्द्रभूमि समाप्त हुई है. वैश्विक स्तर पर आर्द्रभूमि के खत्म होने का प्रमुख कारण कृषि के लिए दलदली भूमि से जल की निकासी है.

इसी तरह, यूरोप की करीब 50 फीसदी तो ब्रिटेन की करीब 75 फीसदी आर्द्रभूमि समाप्त हुई है. अमेरिका, मध्य एशिया, भारत, चीन, जापान और दक्षिण-पूर्व एशिया में भी मूल आर्द्रभूमि के सापेक्ष 50 फीसदी समाप्त हो चुकी है.

लेकिन साइबेरिया और कनाडा के उत्तरी पीटलैंड्स में अब भी प्रचुर मात्रा में आर्द्रभूमि है जिसका क्षय नहीं हुआ और यही हमारे के लिए राहत की बात है.

आर्द्रभूमि की महत्ता पर बढ़ रही समझ

अब बहुत से देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने स्थानीय और वैश्विक स्तर पर आर्द्रभूमि की महत्ता को समझना शुरू कर दिया है. कुछ देशों ने ‘कोई सकल नुकसान नहीं’ की नीति को अपनाया है, जिसके तहत विकासकर्ताओं के लिए यह बाध्यकारी है कि वे जिस भी प्राकृतिक आवास को नुकसान पहुंचाते हैं, वे उनका पुनर्विकास भी करें.

ब्रिटेन ने वादा किया है कि पीट आधारित कंपोस्ट की बिक्री पर वर्ष 2024 तक पाबंदी लगाएगा. अब दुनियाभर में भारी भरकम खर्च करके आर्द्रभूमि का संरक्षण किया जा रहा है. उदाहरण के लिए अमेरिका में ‘फ्लोरिडा एवरग्लेड्स’ (एक आर्द्रभूमि) के संरक्षण के लिए 35 वर्षीय योजना के तहत 10 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किये गये.


Edited by Vishal Jaiswal

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