ECLGS स्कीम ने कैसे बचाई 6.6 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी, रिपोर्ट में आया सामने
सरकार की ECLGS के तहत उपलब्ध होने वाले इंसेंटिव्स ने MSMEs के लिए क्रेडिट फ्लो को बूस्ट करने में मदद की है.
कोविड महामारी के दस्तक देने के बाद MSMEs (Micro, Small and Medium Enterprises) और अन्य व्यवसायों के लिए लाई गई आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) से कम से कम 14.6 लाख MSME ऋण खातों को एनपीए होने से बचाया जा सका है. यह बात एसबीआई रिसर्च की Ecowrap रिपोर्ट में कही गई है. महामारी के बाद एमएसएमई के प्रदर्शन को अपडेट करने वाली एसबीआई की यह दूसरी वार्षिक रिपोर्ट थी. अपनी जनवरी 2022 की रिपोर्ट में, एसबीआई रिसर्च ने नोट किया था कि लगभग 13.5 लाख एमएसएमई खातों को ईसीएलजीएस के तहत क्रेडिट सहायता से एनपीए होने से बचाया गया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की ECLGS के तहत उपलब्ध होने वाले इंसेंटिव्स ने MSMEs के लिए क्रेडिट फ्लो को बूस्ट करने में मदद की है. विश्लेषण के मुताबिक, बचाए गए 14.6 लाख MSMEs खातों में से लगभग 93.8 प्रतिशत माइक्रो व स्मॉल एंटरप्राइजेस के थे.
6.6 करोड़ लोगों की आजीविका कैसे बची
पूरे बैंकिंग उद्योग के लिए ECLGS की शुरुआत के बाद से निरपेक्ष रूप से 2.2 लाख करोड़ रुपये के MSME ऋण खातों में सुधार हुआ है. इसका मतलब है कि ECLGS के कारण बकाया MSME क्रेडिट का लगभग 12% एनपीए होने से बचा लिया गया है. इसकी बदौलत 6.6 करोड़ लोगों की आजीविका बची है. लोन अकाउंट्स के NPA हो जाने से 1.65 करोड़ वर्कर्स बेरोजगार हो जाते. अगर एक वर्कर के परिवार में 4 सदस्य मानकर चलें तो ECLGS स्कीम से 6.6 करोड़ लोगों की रोजी—रोटी बची है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रेडिंग सेक्टर (किराना दुकान आदि) को ECLGS से सबसे ज्यादा फायदा हुआ है. इसके बाद फूड प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल्स और कमर्शियल रियल एस्टेट का नंबर रहा. वहीं फायदे में रहने वाले बिजनेस टाइप की बात करें तो सबसे ज्यादा फायदा प्राइवेट एंटिटीज को हुआ. उसके बाद प्रोपराइटरशिप फर्म्स रहीं. राज्यों में ECLGS का सबसे ज्यादा फायदा गुजरात से लिया गया. उसके बाद महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश रहे.
MSME यूनिट्स हो रही हैं बड़ी
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस बात का स्पष्ट सबूत है कि MSME यूनिट्स बड़ी हो रही हैं. MSME यूनिट्स की नई परिभाषा के चलते कई यूनिट्स, 250 करोड़ रुपये टर्नओवर की थ्रेसहोल्ड को क्रॉस कर रही हैं और मिड साइज्ड कॉरपोरेट्स में तब्दील हो रही हैं. साल 2020 में MSME परिभाषा में बदलाव के बाद सरकार ने सभी MSME के लिए उद्यम पोर्टल पर रजिस्टर होना अनिवार्य कर दिया है. इस वक्त उद्यम सर्टिफिकेशन के तहत रजिस्टर्ड MSME यूनिट्स की संख्या लगभग 1.33 करोड़ है. वहीं जीएसटी रजिस्ट्रेशन की संख्या लगभग 1.40 करोड़ है.
Edited by Ritika Singh