पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को फ्री में पर्यावरण संरक्षण भी सिखाएगा कूर्ग का यह इको-फ्रेंडली स्कूल
आज की दुनिया में शिक्षा अस्तित्व का एक अहम साधन है। लेकिन इसके साथ ही यह जानना भी जरूरी है कि पर्यावरण को कैसे संरक्षित किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि जीवन-निर्वाह के हमारे आज के गलत विकल्पों का खामियाजा आने वाली पीढ़ियों को न उठाना पड़े।
कर्नाटक के कूर्ग में स्थित मॉर्निंग ग्लोरी स्कूल ने एक ऐसी ही पहल शुरू की है, जहां शिक्षा को ईको-फ्रेंडली पहलों के साथ जोड़ा गया है। सिद्धपुरा जिले में स्थित इस स्कूल को खासतौर से बागान मजदूरों, आदिवासी समुदायों और वचिंत तबके के बच्चों के लिए खोला गया है। यहां बच्चों से कोई फीस भी नहीं ली जाएगी।
मॉर्निंग ग्लोरी का प्रबंधन बेंगलुरु की एजुकेशनल फाउंडेशन बिल्डिंग ब्लॉक्स देखती है और इसको फंडिंग ऑरेंज कंट्री रिजॉर्ट्स एंड होटल्स लिमिटेड (अब इवॉल्व बैक) से मिलती है। यह स्कूल अपने छात्रों को विभिन्न ईको-फ्रेंडली पहलों के बारे में सीखाता है।
स्कूल के बारे में ईडेक्स लाइव से बात करते हुए इवॉल्व बैक के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर जोस रमापुरम ने बताया, 'मॉर्निंग ग्लोरी एक स्वच्छ, स्वस्थ और पर्यावरण के अनुकूल माहौल बनाने की पहल है। यहां शिक्षा से वंचित बच्चों को नि: शुल्क शिक्षा दी जाती है। हम चाहते हैं कि बच्चे पर्यवारणीय स्थिरता और प्रकृति को संरक्षित करने की जरूरत की समझ के साथ बड़े हों। यह समाज को वापस देने का हमारा तरीका है, जो हमारी ग्रोथ औऱ सफलता का मूल आधार है।'
यहां बच्चों को उनकी उम्र के आधार पर विभिन्न पर्यावरणीय प्रथाओं और पर्यावरण के संरक्षण के महत्व के बारे में सिखाया जाएगा। उदाहरण के लिए, बच्चों को कहानियों, गीतों, विजुअल आर्ट्स और दूसरी गतिविधियों के जरिए 3Rs (रिड्यूस, रिसाइकल और रियूज) के बारे में पढ़ाया जाएगा। यानी की इन्हें पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों का इस्तेमाल कम करने, उन्हें रिसाइकल करने और उनका दोबारा इस्तेमाल करने के बारे में सिखाया जाएगा।
इसके अलावा बच्चों को पेड़-पौधों की देखभाल करने में सक्षम बनाया जाएगा। स्कूल में एक गार्डन है, जहां उन्हें विभिन्न पेड़ों के बारे में जानकारी और उनकी देखभाल करना सिखाया जाएगा। बच्चों को विभिन्न तरह के कूड़ों को पृथक करना और प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। उन्हें पढ़ाने के लिए पत्तियों, कंकड़, पत्थर, डंडे और दबाए गए फूलों जैसे प्राकृतिक शैक्षिक साधनों की मदद ली जाएगी।
डेक्कन हेराल्ड से बात करते हुए संस्थान के मैनेजर अनिष कांति ने बताया, 'प्लास्टिक का इस्तेमाल जितान संभव हो, उतना कम करना चाहिए। स्कूल की बनावट के साथ उसमें कुर्सी और मेज जैसे इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं की डिजाइनिंग भी पुरानी अवधारणा को दर्शाते हैं। ऐसा बच्चों को घर जैसा माहौल बनाने के लिए किया गया है।'
मॉर्निंग ग्लोरी एक इंग्लिश मीडियम स्कूल है। यह बच्चों को किताबें, बैग और दूसरी जरूरी चीजें भी मुहैया कराता है। बच्चों को रोज दिन में दो बार नि:शुल्क भोजन भी दिया जाता है। मौजूदा शैक्षणिक सत्र के लिए 40 बच्चों का स्कूल में पहले ही पंजीकरण हो चुका है।