खाने का तेल हो सकता है सस्ता, सरकार और इंडोनेशिया के कदमों से संभलेगा किचन का बजट
भारत हर वर्ष करीब 1.3 करोड़ से लेकर 1.35 करोड़ टन तक खाने के तेल का आयात करता है.
हो सकता है कि जल्द ही जब आप ग्रॉसरी खरीदने जाएं तो आपको खाने के तेल (Edible Oil) के लिए कम दाम चुकाने पड़ें. देश में खाने का तेल सस्ता होने की संभावना है. इसकी एक वजह है कि सरकार ने कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात पर कस्टम ड्यूटी और एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस में राहत दी है. दूसरी वजह है कि प्रतिबंध हटने के बाद इंडोनेशिया की ओर से भारत के लिए 2 लाख टन क्रूड पाम तेल निकल चुका है. ऐसे में आने वाले सप्ताहों में घरेलू बाजारों में खाद्य तेल की उपलब्धता बढ़ने की काफी संभावना है.
मंगलवार को सरकार ने सालाना 20-20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात पर सीमा शुल्क और एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस को मार्च 2024 तक हटाने की घोषणा की. यानी वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में इन पर आयात शुल्क नहीं लगाया जाएगा. इसका मतलब है कि 31 मार्च, 2024 तक कुल 80 लाख टन कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल का शुल्क मुक्त आयात किया जा सकेगा. इससे देश में कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल की कीमतों में नरमी आएगी. सरकार के इस फैसले के बारे में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ट्वीट भी किया है और कहा है कि यह निर्णय उपभोक्ताओं को महत्वपूर्ण राहत प्रदान करेगा.
कितना सस्ता हो सकता है सोयाबीन तेल
PTI भाषा की एक रिपोर्ट में सॉल्वैंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहतासरकार के हवाले से कहा गया है कि इस फैसले से सोयाबीन तेल के दाम तीन रुपये प्रति लीटर तक नीचे आने की उम्मीद है. उल्लेखनीय है कि देश में सोयाबीन की नई फसल अक्टूबर-नवंबर तक आती है. ऐसे में अगर आवक अच्छी रही तो दाम और नीचे आ सकते हैं. सरसों तेल को लेकर भी इसी तरह की उम्मीद जताई जा रही है.
इंडोनेशिया ने 23 मई से हटा लिया प्रतिबंध
इंडोनेशिया ने देश में खाद्य तेल की कमी को दूर करने के लिए खाना पकाने के सभी तेलों के निर्यात पर 28 अप्रैल से प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी. इन तेलों में पाम तेल भी शामिल था, सबसे ज्यादा इस्तेमाल खाना बनाने में होता है. लेकिन अब इंडोनेशिया ने 23 मई 2022 से यह प्रतिबंध हटा दिया है. इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंडोनेशिया से 2 लाख टन पाम तेल भारत के लिए निकल चुका है. इसके बिक्री के लिए 15 जून तक उपलब्ध होने का अनुमान है. इससे भी भारत में खाद्य तेलों की कीमतों में नरमी आने की उम्मीद है. इंडोनेशिया दुनिया में पाम ऑयल का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है. भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर पाम ऑयल, इंडोनेशिया से ही आयात करता है. चूंकि भारत, दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक है, इसलिए इंडोनेशिया के प्रतिबंध हटाने से भारत को सबसे ज्यादा राहत मिलने की उम्मीद है.
पाम ऑयल क्यों है इतना अहम
पाम ऑयल दुनिया में सबसे अधिक खपत होने वाला खाद्य तेल है. खाद्य तेल की कुल खपत का 40 फीसदी पाम ऑयल है. एक आंकड़े के मुताबिक, भारत हर वर्ष करीब 1.3 करोड़ से लेकर 1.35 करोड़ टन तक खाने के तेल का आयात करता है. इसमें से 63 फीसदी यानी 80-85 लाख टन हिस्सेदारी पाम ऑयल की है. देश में करीब 70 फीसदी पाम ऑयल इंडोनेशिया से इंपोर्ट होता है, जबकि 30 फीसदी मलेशिया से आता है. भारत में पाम तेल को खाना बनाने में सीधे-सीधे इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसकी दूसरे तेलों के साथ ब्लेंडिंग की जाती है. पाम ऑयल को खाद्य तेल के अलावा इस्तेमाल शैम्पू, नहाने के साबुन, टूथपेस्ट, विटामिन टैबलेट्स, मेक-अप आइटम, चॉकलेट आदि बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है.