प्रतिष्ठित डॉक्टरों ने कहा, 'रेमडेसिविर कोविड का कोई 'रामबाण' उपचार नहीं है'
कोविड मरीजों को ऑक्सीजन पर रखने की अनावश्यक मांग पर पर बोले एम्स निदेशक - 'ऑक्सीजन एक ट्रीटमेंट है, यह एक दवा की तरह है'
क्रमिक, सही समय पर और अति सक्रिय अप्रोच के जरिए भारत सरकार कोविड-19 के मामलों में हाल में हुई वृद्धि से बचाव, रोकथाम और प्रबंधन के लिए 'संपूर्ण सरकार' के दृष्टिकोण के तहत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ मिलकर कई कदम उठा रही है।
उच्चतम स्तर पर इसकी नियमित रूप से समीक्षा और निगरानी की जा रही है। सभी हितधारकों के परामर्श से डीपीआईआईटी ने 30 अप्रैल तक 12 सबसे प्रभावित राज्यों के लिए आपूर्ति मैपिंग प्लान जारी किया है।
राज्यों में ऑक्सीजन की निर्बाध आवाजाही को लेकर गृह मंत्रालय के दिशानिर्देश, पीएम-केयर्स फंड से 32 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 162 पीएसए ऑक्सीजन संयंत्रों (154.19 एमटी क्षमता) की स्थापना, आईटी एप्लीकेशन 'मेडसप्लाई' को शुरू करना जो साइट की तत्परता, संयंत्र डिलिवरी, स्थापना और चालू रहने की निगरानी करता है।
जनवरी-फरवरी में 27-29 लाख शीशियां प्रति महीने से मई में 74.10 लाख शीशियां प्रति महीने रेमडेसिविर उत्पादन में वृद्धि, रेमडेसिविर एपीआई के निर्यात पर प्रतिबंध, दवा की कालाबाजारी और जमाखोरी पर कड़ी कार्रवाई जैसे कई फैसले हैं जो कोविड से प्रभावित लोगों की मुश्किलें कम करने में सहायक सिद्ध हुए हैं।
देशभर में रोजाना नए कोविड मामलों में एक अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप रेमडेसिविर जैसी कुछ दवाओं की खपत भी तेजी से बढ़ी है। अस्पतालों में गंभीर लक्षण वाले कोविड रोगियों के नैदानिक प्रबंधन से भी ऑक्सीजन की ज्यादा खपत होती है। हाल के दिनों में केंद्र सरकार ने देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
देश के तीन बड़े डॉक्टरों प्रो. (डॉ.) रणदीप गुलेरिया, निदेशक एम्स, डॉ. देवी शेट्टी, चेयरमैन नारायण हेल्थ और डॉ. नरेश त्रेहन, चेयरमैन, मेदांता अस्पताल ने रेमडेसिविर के उचित उपयोग, स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय उपचार प्रोटोकॉल के तहत जांच चिकित्सा की श्रेणी में शामिल और अस्पतालों में कोविड रोगियों के उपचार में ऑक्सीजन के इस्तेमाल से संबंधित विभिन्न मसलों पर जानकारी दी।
टीका
डॉ. गुलेरिया ने कोविड से संबंधित परेशानियों से काफी हद तक बचने के लिए टीके को सबसे महत्वपूर्ण बताया: यद्यपि यह हमें संक्रमित होने से नहीं रोक सकता है लेकिन टीका लगने से यह हमें गंभीर स्थिति से बचाता है। उन्होंने कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि टीकाकरण के बाद भी हम कोविड से संक्रमित हो सकते हैं, ऐसे में टीका लगने के बाद भी मास्क पहनना जारी रखना जरूरी होता है।
ऑक्सीजन
डॉ. गुलेरिया ने आश्वस्त किया कि 93-94% रेंज में ऑक्सीजन सैचुरेशन वाले स्वस्थ लोगों को केवल अपना सैचुरेशन 98-99 प्रतिशत बनाए रखने के लिए उच्च प्रवाह वाली ऑक्सीजन लेने की आवश्यकता नहीं है। यहां तक कि 94 से भी कम ऑक्सीजन सैचुरेशन वाले व्यक्तियों को भी निगरानी की आवश्यकता होती है, ऑक्सीजन वैकल्पिक है।
उन्होंने कहा कि रुक-रुककर ऑक्सीजन लेना, ऑक्सीजन की बिल्कुल बर्बादी है। उन्होंने कहा, 'ऑक्सीजन एक इलाज है, यह एक दवा की तरह है।' उन्होंने कहा कि ऐसा कोई डेटा नहीं है जो यह दर्शाता है कि इससे रोगियों की किसी तरह से मदद होगी और इसलिए यह नासमझी है।
डॉ. त्रेहन ने कहा कि अगर हम विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करने की कोशिश करें तो देश में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध है। उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि वे सुरक्षा की भावना के लिए ऑक्सीजन का उपयोग न करें। ऑक्सीजन की बर्बादी से वे लोग इससे वंचित हो जाएंगे जिन्हें इसकी आवश्यकता है। डॉ. शेट्टी ने कहा कि 94 प्रतिशत से ऊपर सैचुरेशन में कोई समस्या नहीं है। व्यायाम/कामकाज के बाद अगर यह कम होता है तो डॉक्टर से परामर्श किया जा सकता है।
रेमडेसिविर
सभी डॉक्टरों ने एक सुर में लोगों से अनुरोध किया कि वे रेमडेसिविर को जादुई दवा के रूप में न देखें। घर पर पृथकवास या अस्पताल में भर्ती ज्यादातर एक्टिव मामलों में वास्तव में किसी विशिष्ट उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। कम प्रतिशत में ही लोगों को रेमडेसिविर की आवश्यकता होती है।
उनका स्पष्ट मत है कि देशभर के लोग अगर मिलकर काम करें और ऑक्सीजन व रेमडेसिविर का इस्तेमाल विवेकपूर्ण तरीके से करें तो कहीं भी इसकी कमी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की जरूरत वाले लोगों और आक्सीजन की आपूर्ति को लेकर हम संतुलित अप्रोच अपना रहे हैं।
डॉ. त्रेहन ने सहमति व्यक्त की और कहा कि उनके अस्पताल ने अब एक प्रोटोकॉल बनाया है कि रेमडेसिविर हर कोरोना पॉजिटिव मरीज को नहीं दी जाएगी। डॉक्टरों के टेस्ट रिजल्ट, लक्षण और मरीज की गंभीर बीमारी का आकलन करने के बाद भी इसे दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि रेमडेसिविर कोई 'रामबाण' नहीं है, यह केवल उन लोगों में वायरल लोड को कम करता है जिन्हें इसकी आवश्यकता है।
सामान्य मसले
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि कोविड के मामले में 85 प्रतिशत से ज्यादा लोग रेमडेसिविर आदि के रूप में किसी विशिष्ट उपचार के बिना ही ठीक हो जाएंगे। ज्यादातर लोगों में सामान्य सर्दी, गले में खराश आदि जैसे लक्षण होंगे और 5-7 दिनों में उपचार के साथ ठीक हो जाएंगे। केवल 15 प्रतिशत लोग कोविड के मध्यम चरण में जा सकते हैं।
उन्होंने संक्रमण से बचने के लिए समूहों में न रहने की सलाह दी और कहा कि बंद स्थानों में क्रॉस वेंटिलेशन (हवादार) संक्रमण के जोखिम को कम करता है।
डॉ. त्रेहन ने कहा कि चूंकि कम लोगों को ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है, ऐसे में अस्पतालों के बिस्तरों का उपयोग विवेकपूर्ण और जिम्मेदारी के साथ किया जाना चाहिए, जो हम पर ही निर्भर है।
डॉ. शेट्टी ने कहा कि अगर कोई पॉजिटिव होता है तो किसी डॉक्टर से संपर्क करें और उनकी राय लें। उन्होंने आगे यह भी सलाह दी कि अगर रिपोर्ट पॉजिटिव है तो घबराएं नहीं क्योंकि समस्या आसानी से दूर हो सकती है बशर्ते प्रारंभिक अवस्था में चिकित्सकीय सहायता मिल जाए और डॉक्टर के निर्देशों का पालन किया जाए।
ऐसी भी संभावना है कि मरीजों में लक्षण न दिखाई दे तो डॉक्टर उन्हें घर पर रहने, खुद को अलग रखने, मास्क पहनने और हर 6 घंटे में अपने ऑक्सीजन सैचुरेशन की जांच करते रहने के लिए कह सकते हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अगर किसी को बदन दर्द, सर्दी, खांसी, अपच, उल्टी होती है तो अपना कोविड टेस्ट करा लीजिए क्योंकि यह आगे उपचार का आधार है।