सब्सिडाइज्ड खाने पर कर्मचारियों से ली जाने वाली राशि पर GST काटा जाए या नहीं? जानें फैसला
जायडस ने कैंटीन सेवाप्रदाता के साथ समझौता किया है. उसके तहत कंपनी अपने कर्मचारियों की तरफ से उनके भोजन के एवज में पूरी राशि देती है.
नियोक्ताओं को सब्सिडी वाले भोजन के मूल्य पर कर्मचारियों से माल एवं सेवा कर (GST) काटने की जरूरत नहीं है. अग्रिम निर्णय प्राधिकरण (AAR or Authority of Advance Ruling) ने यह व्यवस्था दी है. जायडस लाइफसाइंसेज (Zydus Lifesciences) ने प्राधिकरण की गुजरात पीठ में अर्जी देकर यह पूछा था कि क्या उसके उन कर्मचारियों के वेतन से काटी गई राशि पर जीएसटी लगेगा, जो कारखाने/कॉरपोरेट कार्यालय में भोजन की सुविधा लेते हैं.
जायडस ने कैंटीन सेवाप्रदाता के साथ समझौता किया है. उसके तहत कंपनी अपने कर्मचारियों की तरफ से उनके भोजन के एवज में पूरी राशि देती है. इस व्यवस्था में पहले से तय राशि का एक हिस्सा कंपनी कर्मचारियों से लेती है, जबकि शेष राशि का वहन स्वयं करती है. AAR ने अपने फैसले में कहा, ‘आवेदनकर्ता या जाइडस लाइफ साइंसेज, कर्मचारियों से डिडक्टेड/रिकवर्ड अमाउंट पर जीएसटी का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं है.' आवेदनकर्ता या जाइडस लाइफ साइंसेज सब्सिडी वाली राशि उन कर्मचारियों से लेती है, जो कारखाने/कॉरपोरेट कार्यालय में खाने की सुविधा का लाभ उठाते हैं. इसे जीएसटी कानून, 2017 के प्रावधान के तहत आपूर्ति नहीं माना जाएगा.’’
कोई प्रॉफिट मार्जिन नहीं रखती कंपनी
AAR ने कहा है कि Zydus Lifesciences ने सबमिट किया है कि कैंटीन शुल्क के कर्मचारियों के हिस्से को इकट्ठा करने की इस गतिविधि में वह अपने पास कोई प्रॉफिट मार्जिन नहीं रखती है. इसलिए AAR ने फैसला दिया कि कर्मचारियों के वेतन से वसूल की गई भोजन की लागत पर GST नहीं लगाया जाएगा.
सब्सिडाइज्ड मील में नियोक्ता व कर्मचारियों के बीच आपूर्ति नहीं
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, परामर्श समेत विभिन्न सेवाएं देने वाली कंपनी ईवाई के कर भागीदार सौरभ अग्रवाल ने कहा कि भोजन की लागत का जो हिस्सा कर्मचारियों के वेतन से काटा जाता है, वह जीएसटी कानून के तहत आपूर्ति नहीं माना जाएगा. आवेदनकर्ता भुगतान को पूरा करने के लिये केवल एक मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है और वास्तव में नियोक्ता व कर्मचारियों के बीच कोई आपूर्ति नहीं हुई.
इस मुद्दे पर जारी है अस्पष्टता
जीएसटी कानून की स्थापना के बाद से इस विशेष मुद्दे में अस्पष्टता है. इसके संबंध में जारी सर्कुलर्स द्वारा कुछ अस्पष्टताओं को हटा दिया गया था, हालांकि एडवांस रूलिंग अथॉरिटी द्वारा अलग-अलग घोषणाओं ने फिर से रोड़ा पैदा किया है. अग्रवाल ने यह भी कहा कि कुछ जीएसटी पंजीयक, भोजन के खुले बाजार मूल्य पर जीएसटी का भुगतान कर रहे हैं, यदि अवांछित मुकदमे से बचने के लिए कर्मचारियों से आंशिक वसूली की जाती है जो अंततः व्यवसाय के लिए लागत बन रही है. इस मुद्दे पर सीबीआईसी के एक स्पष्टीकरण से उद्योग के लिए टैक्स पोजिशन की निश्चितता लाने में मदद मिलेगी.
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Edited by Ritika Singh