निवेशकों का सशक्तिकरण: वित्तीय वृद्धि और अपनी सुविधा के मुताबिक उठाएं शेयरों पर लोन की ताकत का लाभ
शेयरों पर लोन बैंकों और एनबीएफसी की तरफ से पेश किया जाने वाला आकर्षक और नया वित्तीय विकल्प है, जो पूंजी बाजार के निवेशकों को अपने शेयरों को बेचे बिना उसकी मदद से धन जुटाने में सक्षम बनाता है.
क्या आपने कभी वित्तीय संकट के दौरान अपने शेयरों को बेचने के बारे में सोचा है? अगर आपका जवाब हां है, तो आप अकेले ऐसे नहीं हैं. जीवन में अनिश्चितताओं की वजह से अप्रत्याशित रूप से नौकरी का बदलना या अचानक से स्वास्थ्य संकट जैसी स्थिति आती है, जब लोगों के पास अपने निवेश को रिडीम कराने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होता है. हालांकि, अल्पकालिक वित्तीय संकट के लिए दीर्घकालिक निवेश को रिडीम कराना कभी भी बुद्धिमानी भरा निर्णय नहीं हो सकता है, विशेषतौर पर ऐसे समय में जब आपके पास शेयरों पर लोन (लोन अगेन्स्ट शेयर्स) का विकल्प मौजूद हो.
शेयरों पर लोन बैंकों और एनबीएफसी की तरफ से पेश किया जाने वाला आकर्षक और नया वित्तीय विकल्प है, जो पूंजी बाजार के निवेशकों को अपने शेयरों को बेचे बिना उसकी मदद से धन जुटाने में सक्षम बनाता है. यह सावधि जमा पर लोन लेने के समान है, जो केवल बैंक सीमित आधार पर प्रदान करते हैं. लोन लेने के लिए अपनी सावधि जमा या संपत्ति को सुरक्षा के रूप में गिरवी रखने की तरह, आप लोन के लिए अपने शेयरों को गिरवी रख सकते हैं. भारत में, मार्च 2023 तक शेयरों को गिरवी रखकर लोन लेने के मामले में 8% की व्यापक वृद्धि दर्ज की गई है. भारत में 123.50 मिलियन डीमैट खाताधारक हैं, जिसका मतलब है कि ऐसे लोगों का प्रतिशत बढ़ रहा है जो कम समय के लिए लोन लेने के लिए अपने शेयरों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
निवेशक इस सुविधा का उपयोग करके वित्तीय रूप से अपने को मजबूत कर सकते हैं? आइए इसे एक उदाहरण की मदद से समझने की कोशिश करते हैं.
आरती एक छोटे व्यवसाय की मालिक हैं जो शहर में एक प्रसिद्ध बेकरी ब्रांड चलाती हैं. अपने बढ़ते ग्राहकों की संख्या और मांग को देखते हुए वह अपने पड़ोस में एक और आउटलेट खोलकर अपने व्यवसाय का विस्तार करने की अहमियत को समझती हैं. लेकिन समस्या यह है कि उन्होंने अपनी अधिकांश संपत्ति शेयरों में निवेश की है, और उनके पास शेयरों का एक प्रभावशाली पोर्टफोलियो है. वह दुविधा में है कि क्या अपने निवेश को रिडीम कराकर उसकी पूंजी का इस्तेमाल किया जाए या दूसरा स्टोर खोलने के लिए कुछ और समय इंतजार किया जाए. आरती को उस वक्त बीच का रास्ता समझ में आता है, जब उन्हें अपने निवेश किए गए शेयरों पर लोन लेने के विकल्प के बारे में जानकारी मिलती है. उनके लिए यह जीत की स्थिति थी, क्योंकि उन्हें व्यवसाय के विस्तार के सपने को नहीं छोड़ना पड़ा और साथ ही उन्हें अपना निवेश भी रिडीम नहीं कराना पड़ा. इसके अलावा वह अपने व्यवसाय के साथ खुद को वित्तीय रूप से आगे बढ़ाने में कामयाब रहीं.
शेयरों पर लोन के विकल्प के साथ, आरती की तरह, दूसरे निवेशकों को दोहरा लाभ मिलता है - उन्हें आसानी और कम समय में लोन मिल जाता है और साथ ही उनका निवेश भी बना रहता है.
शेयरों पर लोन लेने के दूसरे फायदे
शेयरों पर लोन लेना एक सामान्य और सहज प्रक्रिया है, क्योंकि ऋण के लिए योग्य होने के लिए आपको आय प्रमाण या क्रेडिट स्कोर पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है. ब्याज दर से लेकर कार्यकाल तक सब कुछ स्टॉक की सूची और उनके मूल्य के आधार पर निर्धारित किया जाता है. यह लोन की मंजूरी प्रक्रिया को सरल बनाता है, जिसमें लोन राशि दो से तीन दिनों के भीतर मिल सकती है. आपातकालीन स्थिति में भी यह एक सुविधाजनक विकल्प है.
शेयरों पर लोन लेने का एक और लाभ यह है कि यह सुरक्षित लोन माना जाता है. यानी गैर सुरक्षित लोन की मुकाबले इस लोन पर आपको कम ब्याज दर का भुगतान करना पड़ता है. आपके शेयरों के पोर्टफोलियो के आधार पर, आप न्यूनतम 10.5% तक की ब्याज दर का लाभ उठा सकते हैं. हालांकि, किसी भी प्लेटफ़ॉर्म से ऋण लेने से पहले ब्याज दरों की तुलना करना हमेशा बेहतर विकल्प होता है.
लोन लेते समय, कोई भी व्यक्ति लोन के भुगतान को लेकर चिंतित रहता है. शेयरों के बदले लोन में, आपके पास दो विकल्प होते हैं - ओवरड्राफ्ट और डिमांड. ओवरड्राफ्ट सुविधा में, निवेशकों को गिरवी रखे गए शेयरों के बदले लोन देने वाली संस्था द्वारा निर्धारित सीमा के भीतर उधार लेने का मौका मिलता है. ब्याज उधार ली गई राशि और अवधि पर निर्भर करता है, लेकिन शेयरों के मौजूदा मूल्य के मुकाबले सीमा को समय-समय पर संशोधित किया जाता है. इसका मतलब है कि स्टॉक मूल्य में वृद्धि से कर्ज की सीमा भी बढ़ जाएगी. इसके तहत, उधार लेने वाला केवल ब्याज राशि का मासिक भुगतान कर रहा होता है, और मूल राशि का भुगतान अंत में किया जा सकता है. डिमांड रिपेमेंट या मांग पुनर्भुगतान विकल्प के साथ, उधार लेने वाले व्यक्ति को एक ही बार में पूरी राशि मिल जाती है, और कुल पुनर्भुगतान वाला मूलधन और ब्याज की राशि ईएमआई में विभाजित होती है.
तो न केवल आप ब्याज दर में बचत कर रहे होते हैं बल्कि सुविधा मुताबिक पुनर्भुगतान विकल्पों का भी लाभ उठाते हैं. लोन अगेन्स्ट शेयर्स का मतलब यह भी है कि आपको अपने निवेश पर लाभांश का भी लाभ मिलता रहेगा. इस आय पर ऋणदाता का कोई अधिकार नहीं है जब तक कि आप लोन भुगतान में चूक करना न शुरू कर दें.
कौन से शेयर लोन लेने के लिए योग्य होते हैं?
शेयरों पर कर्ज लेने के लिए आपको अपने शेयरों को गिरवी रखना पड़ता है, लेकिन प्रत्येक शेयर गिरवी रखे जाने योग्य नहीं होते हैं. आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार, आप केवल समूह 1 श्रेणी में आने वाली संपत्तियों को गिरवी रख सकते हैं, जिसमें ऐसे स्टॉक शामिल हैं जिनका पिछले छह महीनों में अक्सर कारोबार हुआ है (कम से कम 80% दिन) और जिनकी ट्रेड पर कम लागत प्रभाव होता है. स्टॉक के विशिष्ट सेट को ही गिरवी रखे जाने योग्य के तौर पर पहचाना गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अपनी तरलता और विविधीकरण के कारण विश्वसनीय और सुरक्षित हैं. यह बाज़ार की स्थिरता और कम उथल-पुथल से अपेक्षाकृत कम प्रभावित होता है.
इसके अतिरिक्त, यदि आपको पांच लाख रुपये से अधिक के लोन की आवश्यकता है, तो केवल ग्रुप 1 के स्टॉक का इस्तेमाल लोन के लिए गिरवी रखने के लिए रूप में किया जा सकता है. इलेक्ट्रॉनिक रूप से रखी गई डीमैट प्रतिभूतियों से कोई व्यक्ति 20 लाख रुपये तक का लोन हासिल ले सकता है.
निष्कर्ष
शेयरों पर लोन लेना एक बेहतरीन वित्तीय विकल्प है, जिसका समय पड़ने पर लाभ उठाया जा सकता है. हालांकि, आपको अपने शेयरों को कोलेटरल के तौर पर रखने से पहले उचित जांच परख कर लेनी चाहिए. हमेशा एक विश्वसनीय प्लेटफॉर्म को चुनें और सुनिश्चित करें कि इससे आपको लंबे समय तक फायदा हो. जहां तक स्टॉक निवेश का सवाल है, ये आपकी भविष्य की योजनाओं के लिए हैं और इन्हें सही समय आने पर ही रिडीम कराया जाना चाहिए. जब पैसे की ज़रूरत हो, तो अपने मूल्यवान शेयरों को कम राशि में रिडीम कराने की बजाए लोन लेना ज्यादा अच्छा विकल्प है.
(लेखक ‘Finvasia’ के को-फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं. YourStory का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)
Edited by रविकांत पारीक