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बिजनेस में 3 बार फेल होने के बाद इस उद्यमी ने कपड़े के सेक्टर में खड़ी की सफल ईकॉमर्स कंपनी, आज यूएई तक है उपस्थिति

2014 में शुरू हुई योरलिबास एक ईकॉमर्स कंपनी है, जो बिना सिले डिजाइनर अपैरल यानी कपड़े का बिजनेस करती है। खासतौर से लॉन कॉटन मैटेरियल के कपड़ों का। कंपनी का आज टर्नओवर करीब 14 करोड़ रुपये का है और इसकी उपस्थिति यूएई में भी है।

बिजनेस में 3 बार फेल होने के बाद इस उद्यमी ने कपड़े के सेक्टर में खड़ी की सफल ईकॉमर्स कंपनी, आज यूएई तक है उपस्थिति

Wednesday March 31, 2021 , 7 min Read

कहा जाता है कि असफलता का मतलब यह नहीं है कि आप कभी सफल नहीं होंगे। बल्कि यह आपके सफल होने की मंजिल में आने वाला एक पड़ाव होता है। खालिद रजा खान के ऊपर यह बात बिल्कुल सटीक बैठती है। रजा ने एक ईकॉमर्स कंपनी खड़ी की है, जिसका करीब 14 करोड़ का टर्नओवर है।


योरलिबास (YourLibaas) एक ई-कॉमर्स पोर्टल है, जो बिना सिले डिजाइनर अपैरल यानी कपड़े और स्टाइल बेसेज का बिजनेस करती है। 2014 में दिल्ली से शुरू इस कंपनी ने अपने मुख्लायल को दुबई ट्रांसफर किया है।


YourStory से एक बातचीत में खालिद ने बताया कि कैसे उन्होंने कई गलत कदमों के बाद एक कंपनी की शुरुआत की और छह साल के भीतर ही यूएई तक इसका विस्तार किया।

छोटी शुरुआत

पुणे स्थित पीआईसीटी से कंप्यूटर इंजीनियर की पढ़ाई करने वाले खालिद हमेशा से एक उद्यमी की तरह सोचते थे। उन्होंने ब्लॉगिंग से शुरुआत की। हालांकि वो अच्छा चला नहीं। फिर उन्होंने पत्रिकाओं में लिखना और एडुटेक सेक्टर में बिजनेस शुरु किया, लेकिन यहां भी उन्हें बहुत सफलता नहीं मिली। खालिद ने बताया, "मैंने कई बार कोशिश की लेकिन असफल रहा।"


हालांकि उन्होंने अभी तक वह एक कार्य नहीं तय किया था, जिसके पीछे वह अपना पूरा करियर लगाने का तैयार थे।


इसी दौरान वह एक अपने कुछ रिश्तेदारों से मिलने लखनऊ गए, जहां उन्होंने लखनवी चिकन कढ़ाई वाली डिजाइनर सूट का बहुत बड़ा बिजनेस देखा। रजा के एक रिश्तेदार ने उन्हें बताया कि इस तरह के सूट की मांग बहुत अधिक है, लेकिन यह बाजार बहुत असंगठित है।


उन्होंने बताया, “लखनवी चिकन सूट का बाजार में जो दबदबा था, उसे देखकर मैं एकदम प्रभावित हो गया था। मैंने उन दूसरे डिजाइनों और कढ़ाई पर रिसर्च करना शुरू किया, जिनकी भारत में उच्च मांग हैं। उत्तर से लेकर दक्षिण हो, या फिर पूर्व से लेकर पश्चिम, मुझे हर क्षेत्र-इलाके का अपना एक अलग डिजाइन मिला- लेकिन एक चीज इनमें से कही नहीं थी और वह था- एक शुद्ध लॉन सूती सूट।"


खालिद ने रिसर्च करते हुए पाया कि भारत में, इस सेक्टर में किसी बड़ी कंपनी का बोलबाला नहीं है और जो छोटी-मोटी कंपनियां है, वो असंगठित हैं। उन्होंने बिना सिले लॉन कॉटन सूट का पाकिस्तानी और यूएई डिजाइनों में मिलाने का फैसला किया और अपने दोस्तों- अकरम तारिक खान और शाहपर खान के साथ मिलकर एक बिजनेस शुरू किया।


उन्होंने बताया, “लॉन डिजाइनर परिधानों की भारत में मांग पूरी नहीं होती थी। भारतीय लोग जब यूएई के ट्रिप पर जाते थे, तो वहां से इसे खरीदते थे, जहां यह आसानी से उपलब्ध है।”


योरलिबास ने सना सफीनाज, मारिया, बी, सायरा शकीरा, सना यासिर, खदीजा शाह के एलान और गुल अहमद जैसे प्रमुख डिजाइनरों के साथ साझेदारी और सामानों के आयात के जरिए अपना करके अपना काम शुरू किया।

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अपनी जगह बनाना

योरलिबास कंपनी यूएई मूल के लॉन अपैरल सेक्टर में बिजनेस करती है। इस इंडस्ट्री का मार्केट साइज करीब 400 करोड़ रुपये का है। कंपनी यूएई से सूट का सामग्री लेती है, जो अधिकतर समय पाकिस्तान से आयात होकर आता है। खालिद ने बताया, "हम सीधे कारीगरों के साथ डील करते हैं, इसलिए हमारी गुणवत्ता अच्छी रहती है।"


उन्होंने बताया, हमारे पास करीब 70,000 ग्राहक हैं, जिनमें से 50,000 भारतीय हैं।"


लॉन सूट के अलावा, योरलिबास जोर्जेट, शिफॉन और नेट फैब्रिक में भी बिजनेस करती है और अपनी खुद की वेबसाइट के जरिए सऊदी अरब, यूएस, यूके, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में इसकी उपस्थिति है, जहां इसके लॉजिस्टिक पार्टनर फेडकेक्स और डीएचएल है। वहीं भारत में कंपनी फेडएक्स औऱ देल्हीवेरी के जरिए अपने ऑर्डर डिलीवरी करवाती है।


कंपनी के औसतन 5,000 रुपये से शुरू होते हैं और इसका मुकाबला द फैशन स्टेशन, मिरवा और ऐसे दूसरे ऑनलाइन स्टोर से है।


वेबसाइट के जरिए बिक्री करने के अलावा, कंपनी वॉट्सऐप बिजनेस एपीआई के जरिए भी ग्राहकों से ऑर्डर लेती है। कंपनी की टारगेट कस्टमर शहरी इलाकों की गैर-कामकाजी हैं, जिनके पास ऑनलाइन ऑर्डर करने में थोड़ी मुश्किलें आती हैं।


खालिद ने बताया, "हमने जबसे 'आर्डर ऑन वॉट्सऐप' यानी वॉट्सऐप के जरिए ऑर्डर लेना शुरू किया है, उसके बाद से हमारे परचेज कन्वर्जन रेट में 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है।" खालिद ने कहा कि प्रॉडक्ट्स का स्क्रीनशॉट भेजने, कपड़ों को लेकर पूछताछ करने, कीमत, डिलीवरी और ऐसी दूसरों जानकारी लेना यूजर्स को अब काफी सुविधाजनक लगता है।


ऑफलाइन स्टोर वाली आत्मतीयता को जोड़ने के बाद से ग्राहकों में भरोसा बना है। फेसबुक मैसेंजर और वॉट्सऐप पर हालिया कनवर्जशनल कॉमर्स फीचर जोड़ने के बाद से अब तक हमें 2,940 ऑर्डर मिल चुके हैं। इसमें वॉट्सऐप से पिछले 90 दिनों में 1.65 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है।


उन्होंने बताया, “इसी अवधि के दौरान वॉट्सऐप ब्राडकास्ट के जरिए हमारे वेबसाइट को कुल 58,800 यूजर्स ने विजिट किया और इनमें से काफी संख्या में लोगों ने सामान भी ऑर्डर किया। हमें प्रॉडक्ट से जुड़े पूछताछ के लिए रोजाना औसतन 260 अनुरोध मिलते हैं और वॉट्सऐप के जरिए होने वाली बिक्री 70 प्रतिशत बढ़ी है।"

योरलिबास का सूट डिजाइन

योरलिबास का सूट डिजाइन

प्रमुख चुनौतियां

खालिद बताते हैं कि सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक कंपनी का इन्वेंट्री आधारित मॉडल, जिसमें भारी निवेश की आवश्यकता होती है। हालांकि, निवेश मिलने के बावजूद कुछ अवरोध अभी भी है, जैसे ओवरहेड खर्च, लॉजिस्टिक्स लागत आदि।


एक अन्य चुनौती लोगों को मूल लॉन डिजाइन सूट और उसकी नकली कॉपी के बीच अंतर को लेकर जागरूक करने की बात हो रही है।


वह कहते हैं, “सूरत में एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वे लॉन कॉटन में पाकिस्तानी डिजाइनर सूट बेचते हैं। लेकिन यह सच नहीं है। वे सूट पाकिस्तानी डिजाइनों के साथ मिलने वाले सामान्य सूती सूट हैं। इसीलिए वे उन्हें कम कीमत पर बेचते हैं और उनकी गुणवत्ता भी बहुत खराब रहती है। हालांकि दुर्भाग्य यह है कि ग्राहक इसे नहीं समझते, जिसके चलते मार्केट में कम कीमत रखने को लेकर होड़ लगी रहती है।"


वह कहते हैं कि योरलिबास का एक अलग टारगेट कस्टमर्स हैं। लेकिन फिर भी कम पूंजी वाले असंगठित खिलाड़ी बाजार में बड़े पैमाने पर बाधा डालते हैं।


कोरोनाकाल के दौरान ईकॉमर्स ऑपरेशन बंद थे और इसने भी नई चुनौतियां पैदा कीं। हालांकि लॉकडाउन के दौरान योरलिबास ने दिल्ली-एनसीआर और नवी मुंबई में उन टेलरों के साथ साझेदारी की, जो लॉकडाउन में मांग शून्य होने के चलते अपनी आजिविका खो चुके थे।


खालिद ने बताया, "अपने इन-हाउस सिलाई सेवा स्थगित कर दी। इसके पीछे विचार यह था कि उन लोगों को कमाई का एक टिकाऊ जरिया मुहैया कराया जाए।"

आगे की राह

खालिद कहते हैं, "भविष्य उज्ज्वल है।" वह बताते हैं कि कंपनी ने दुबई सिलिकॉन ओएसिस के साथ साझेदारी की है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार के लिए अपने मुख्यालय को दुबई ट्रांसफर कर दिया है।


उन्होंने बताया, “हमारे अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों की संख्या बढ़ रही है और विस्तार के लिए भी यह सही समय और मौका है। खासतौर से कोरोना-19 के बाद।”


योरलिबास यूएई में अपना सेंट्रल हब भी स्थापित कर रही है, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग और सिलाई यूनिट्स शामिल होंगी। साथ ही इसमें वेयरहाउसिंग भी होगा, जो इसके अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करेगी। इससे डिलीवरी टाइम में तेजी आएगी और लॉजिस्टिक लागत भी घटेगी।


खालिद ने बताया, "हम अपनी विनिर्माण इकाई की स्थापना के लिए यूएई की दुबई टेक्सटाइल सिटी के साथ बातचीत कर रहे हैं, और उभरते डिजाइनरों और कारीगरों के साथ साझेदारी करेंगे।"


कंपनी की योजना दूसरे वर्टिकल्स में भी विस्तार करने की है। जूती/खुसा, ज्वैलरी, हैंडबैग, शॉल से शुरुआत करते हुए और भी बहुत वर्टिकल्स में कंपनी उतरेगी और योरलिबास को महिलाओं की सभी फैशन जरूरतों को पूरा करने वाला ऑनलाइन पोर्टल बनाने की योजना है। खालिदा के लिए मूल मंत्र अपनी खासियत में महारत हालिस करना, टेक्नोलॉजी का लाभ उठाना और वर्टिकल में विविधता लाना है।


Edited by Ranjana Tripathi