गैस की कीमतों में आएगा और उछाल! यूरोप के इस कदम से भारत भी होगा प्रभावित
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ही यूरोपीय संघ ने ऊर्जा के लिए रूस पर अपनी निर्भरता को कम करने की कोशिश की है.
रूस पर अंकुश लगाने के लिए यूरोप, रूस की प्राकृतिक गैस के विकल्प तलाश रहा है. यूरोप की यह कोशिश दुनिया को सर्दियों में ऊर्जा की कमी (Energy Shortage) के मुहाने पर धकेल रही है. CNN बिजनेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके सबसे बुरे प्रभाव एशिया की गरीब अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेंगे. इतना ही नहीं प्रभावित होने वालों में भारत भी शामिल होगा. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से पश्चिमी देश रूस को रोकने के इरादे से तरह-तरह के प्रतिबंध लगा चुके हैं और अभी भी लगा रहे हैं. इसी दिशा में यूरोपीय संघ (European Union) रूसी तेल आयात पर आंशिक प्रतिबंध पर सहमत हो गया है. यूरोपीय संघ वर्ष के अंत तक रूसी तेल आयात के 90 प्रतिशत पर प्रतिबंध लगाने पर सहमत हो गया है.
हमले के बाद से ही यूरोपीय संघ ने ऊर्जा के लिए रूस पर अपनी निर्भरता को कम करने की कोशिश की है. यूरोपीय संघ के देश अधिक एलएनजी खरीदने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, जो रूसी गैस का एक आकर्षक विकल्प है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसे पाइपलाइनों के माध्यम से वितरित करने के बजाय टैंकरों में भेजा जा सकता है. यह कोयले या तेल की तुलना में एक स्वच्छ ईंधन भी है.
साल अंत तक 2.6 लाख टन के पार जा सकती है LNG की मांग
रिपोर्ट में कहा गया है कि कंसल्टेंसी रिस्टैड एनर्जी के हालिया विश्लेषण के अनुसार अगर यूरोपीय संघ, रूसी गैस पर अपनी निर्भरता को तेजी से कम करने का प्रबंधन करता है तो एलएनजी की वैश्विक मांग, 2022 के अंत तक 2.6 लाख टन की आपूर्ति से आगे निकल जाएगी. यह पिछले साल वैश्विक एलएनजी मांग के लगभग 7% या लगभग 25 दिनों की आपूर्ति के बराबर है. रूसी गैस से दूर रहकर, यूरोप ने पूरे वैश्विक एलएनजी बाजार को अस्थिर कर दिया है.
इंडिपेंडेंट कमोडिटी इंटेलिजेंस सर्विसेज के आंकड़ों के अनुसार, यूनाइटेड किंगडम सहित पूरे यूरोप ने फरवरी और अप्रैल के बीच 2.82 करोड़ टन का आयात किया. यह पिछले साल की इसी अवधि से 29% अधिक है. फ्रांस और स्पेन सबसे बड़े खरीदार थे. आईसीआईएस के आंकड़ों के मुताबिक, गुरुवार को पूर्वी एशिया में एलएनजी की हाजिर कीमतें पिछले साल के इसी दिन से 114% बढ़कर 22 डॉलर प्रति मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (MMBTU) पर थीं.
भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश होंगे प्रभावित
यूरोप से एलएनजी की मांग बढ़ने पर अन्य खरीदारों को एलएनजी कीमतों में और बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है. कम से कम 2010 के बाद से एशिया, एलएनजी का सबसे बड़ा आयातक रहा है. कहा जा रहा है कि यूरोप की ओर से एलएनजी की मांग बढ़ने से भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों के प्रभावित होने की सबसे ज्यादा संभावना है. विश्लेषण फर्म वोर्टेक्स के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2021 के बाद से भारत और पाकिस्तान ने पहले ही एलएनजी आयात को 15% तक कम कर दिया है, जो कि ज्यादातर बढ़ती कीमतों से प्रेरित है. नतीजतन एशिया में मांग स्थायी रूप से खराब हो सकती है. एलएनजी को व्यापक रूप से सबसे स्वच्छ जीवाश्म ईंधन में से एक माना जाता है. साथ ही एनर्जी ट्रांजिशन के एक प्रमुख कंपोनेंट के रूप में देखा जाता है.