खूबसूरत चेहरे पर मत जाइए... बॉयफ्रेंड संग मिलकर इस घपलेबाज महिला ने किया अरबों का स्कैम!
एलिजाबेथ होम्स ने 2003 में एक ब्लड टेस्टिंग डिवाइस बनाई थी. दरअसल यह एक स्कैम था, जिसमें बड़े-बड़े अरबपति भी फंस गए. इसे करने में रमेश बलवानी ने एलिजाबेथ के पूरी मदद की थी. दोनों को जेल की सजा हुई है.
थेरानॉस कंपनी का स्कैम (Theranos Scam) तो आपको याद ही होगा. ये वही स्कैम है जो एलिजाबेथ होम्स (Elizabeth Holmes) ने किया था, ब्लड टेस्टिंग (Blood Test) की फर्जी मशीन बनाकर. अब एलिजाबेथ होम्स के बॉयफ्रेंड 57 साल के रमेश 'सनी' बलवानी (Ramesh 'Sunny' Balwani) को कैलिफोर्निया कोर्ट की तरफ से 13 साल की जेल की सजा सुनाई गई है. वह थेरानॉस के पूर्व सीओओ हैं. कोर्ट ने उन्हें थेरानॉस के जरिए निवेशकों और पीड़ितों से धोखाधड़ी का दोषी पाया है, जिसके चलते सजा दी गई है.
बलवानी को 15 मार्च तक सरेंडर करने का वक्त दिया गया है. बता दें कि एलिजाबेथ होम्स को पिछले ही महीने 11 साल 3 महीने की सजा सुनाई गई है और उनके पास सरेंडर करने के लिए 27 अप्रैल 2023 तक का वक्त है. रमेश बलवानी 37 साल की उम्र में 18 साल की एलिजाबेथ से मिले थे, जिसके बाद दोनों में प्यार हो गया.
एक खूबसूरत औरत ने ऐसे किया अरबों का स्कैम
अमेरिका की एलिजाबेथ होम्स ने करीब 20 साल पहले एक ऐसा स्टार्टअप शुरू किया था, जिसने दुनिया भर में क्रांति कर दी. उन्होंने 19 साल की छोटी सी उम्र में 2003 में एक ऐसा डिवाइस बनाने का दावा किया, जिसके जरिए खून की सिर्फ कुछ ही बूदों से कैंसर समेत करीब 200 बीमारियों के टेस्ट हो सकते थे. थॉमस एडिसन के नाम पर एलिजाबेथ ने इस डिवाइस का नाम एडिसन रखा था. एलिजाबेथ के अनुसार जैसे कई बार फेल होने के बाद थॉमस एडिसन सफल हुए थे, वैसे ही कई बार फेल होने के बाद ये डिवाइस बन पाई है.
9 अरब डॉलर हो गई थेरानॉस की वैल्युएशन
एलिजाबेथ ने सिलिकॉन वैली में एक कंपनी भी शुरू की था, जिसका नाम थेरानॉस रखा था. लोग एलिजाबेथ के डिवाइस को लेकर इतना इंप्रेस हुए कि देखते ही देखते 2014 तक कंपनी का वैल्युएशन 9 अरब डॉलर हो गया. जब भी ये डिवाइस किसी डॉक्टर या साइंटिस्ट को दिखाया गया तो उन्हें इस पर भरोसा नहीं हुआ. बावजूद इसके अपनी आकर्षक छवि और बात करने के अंदाज से एलिजाबेथ की बातों पर हर किसी को यकीन हो ही जाता था.
उस वक्त एलिजाबेथ को स्टीव जॉब्स बुलाते थे लोग
एलिजाबेथ का अंदाज स्टीव जॉब्स से बहुत मिलता-जुलता था. एलिजाबेथ के कपड़ों से लेकर बिना लाइसेंस प्लेट वाली काली गाड़ी तक, सब कुछ स्टीव जॉब्स के अंदाज को बयां करता था. ऐसे में सिलिकॉन वैली में लोग एलिजाबेथ की तुलना स्टीव जॉब्स से करने लगे थे. एलिजाबेथ की बातों से लोग कितनी जल्दी आकर्षित हो जाते थे, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं थेरानॉस कंपनी में रूपर्ट मुर्डोक, ऑरेकल के संस्थापक लैरी इलीसन, वॉलमार्ट के वॉल्टन परिवार ने भी निवेश किया हुआ था. फोर्ब्स ने एलिजाबेथ को अरबपतियों की लिस्ट में भी शामिल किया और फॉर्च्यून मैगजीन ने भी अपनी लिस्ट में एलिजाबेथ को जगह दी.
और ढह गया धोखे की नींव पर बना रेत का महल
एलिजाबेथ ने धोखे की नींव पर रेत का महल बनाया था, जो 2015 में भरभराकर गिर पड़ा. इसका पर्दाफाश किया स्ट्रीट जर्नल के एक पत्रकार ने, जिसने एलिजाबेथ के इनोवेशन को फर्जी बताया. जांच के बाद पता चला की ब्लड टेस्ट करने वाली मशीन एडिसन सिर्फ कुछ ही टेस्ट करती है और उन टेस्ट की एक्युरेसी यानी प्रमाणिकता भी बहुत ही कम होती है. ज्यादातर टेस्ट दूसरी मशीनों से किए जाते थे. देखते ही देखते उनके 9 अरब डॉलर यानी 68 हजार करोड़ रुपये के वैल्युएशन वाली कंपनी की वैल्यू जीरो हो गई. उसके बाद से ही मामला कोर्ट में था, जिस पर अब कोर्ट का फैसला आया है.