ग्रामीण पश्चिम बंगाल में युवाओं के लिए बेरोजगारी की समस्या को हल कर रहा है यह प्रशिक्षण कार्यक्रम
पश्चिम बंगाल में पश्चिम बर्धमान जिले के निवासी बिनोद हेम्ब्रम अपने अड़ोस - पड़ोस में एक अच्छी सैलरी वाली नौकरी ढूंढ़ रहे थे। क्योंकि 36,500 रुपये की वार्षिक आय के साथ, उनका परिवार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा था। हालांकि 20 वर्षीय बिनोद अपने परिवार को सपोर्ट करने के साथ-साथ दुर्गापुर के कंदरा कॉलेज से आर्ट्स में डिग्री भी हासिल करना चाहते थे।
बिनोद ने योरस्टोरी को बताया, “मैं लंबे समय से कमाई शुरू करने के लिए रास्ता तलाश रहा था। मैं चाहता था कि मेरे माता-पिता और भाई-बहन एक सभ्य जीवन व्यतीत करें। मैं उन्हें पैसे के लिए परेशान, टपकती छत के छेंद बंद करते या पौष्टिक भोजन के लिए संघर्ष करते नहीं देख सकता था। तभी मुझे सुश्रुत आई फाउंडेशन और रिसर्च सेंटर के साथ राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) द्वारा पेश किए जाने वाले नेत्र देखभाल प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में पता चला। मैं तुरंत शामिल हुआ और कोर्स पूरा करने में कामयाब रहा। आज, मैं न केवल दृष्टि (विजन) तकनीशियन के रूप में 18,000 रुपये प्रति माह कमा रहा हूं, बल्कि मैं ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को नेत्र स्वास्थ्य के लिए सक्षम कर रहा हूं।"
बिनोद की तरह, पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में 86 अन्य बेरोजगार युवाओं को एनएसडीसी-सुश्रुत विजन टेक्नोलाजी प्रशिक्षण कार्यक्रम से लाभ मिला है। एनएसडीसी के प्रवक्ता बताते हैं, "प्रशिक्षित लोगों में से, 78 ने अपने समुदाय में एक ऑप्टिकल बिजनेस स्थापित किया है, और ग्रामीण लोगों को आंखों का उचित इलाज उपलब्ध करा रहे हैं। इसके अलावा उनमें से नौ स्वयं सुश्रुत आई फाउंडेशन के साथ काम कर रहे हैं।"
2018 में लॉन्च किया गया, विजन तकनीशियन प्रशिक्षण कार्यक्रम देश में आंखों की देखभाल के लिए बेरोजगारी और अप्राप्यता दोनों गैप को भरने का प्रयास कर रहा है। इस पहल का जन्म NSDC और सुश्रुत आई फाउंडेशन एंड रिसर्च सेंटर के बीच एक सहयोग से हुआ था। NSDC कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी सार्वजनिक सीमित कंपनी है। और सुश्रुत एक कोलकाता स्थित नेत्र विज्ञान केंद्र है जो नागरिकों को नेत्र देखभाल सेवा प्रदान करता है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम की झलक
द विजन तकनीशियन प्रशिक्षण कार्यक्रम एक साल का संरक्षण है जिसका उद्देश्य आंखों की देखभाल करने वाले पेशेवरों को तैयार करना है। कोई भी व्यक्ति जो 40 वर्ष से कम है, और कक्षा 10 पास कर चुका है, वह इसके नामांकन के लिए पात्र है। कार्यक्रम के दौरान, ट्रेनीज को आंखों की शारीरिक रचना, रेफ्रेक्टिव एरर (अपवर्तक त्रुटि सुधार), लेंस ग्रिंडिंग, एजिंग (edging), ग्रुपिंग, ग्लास फिटिंग, ऑप्टिकल डिस्पेंसिंग, और आंखों की समस्याओं से निपटने के लिए अन्य उपाय जैसी अवधारणाओं को सिखाया जाता है।
सुश्रुत आई फाउंडेशन एंड रिसर्च सेंटर के ट्रेनिंग डिपार्टमेंट के प्रोजेक्ट प्रमुख अविजीत दास बताते हैं, "सैद्धांतिक पहलुओं के अलावा, हम यह भी सुनिश्चित करते हैं कि ट्रेनी व्यावहारिक प्रशिक्षण से गुजरें, जिसमें आंखों की जांच और स्क्रीनिंग, मोतियाबिंद और आंखों की बीमारियों को जांचना, और चश्मा प्रदान करना शामिल है। यह सब हावड़ा, बीरघम, मुर्शिदाबाद, हुगली, दक्षिण और उत्तर जिले के 24 परगना के साथ-साथ कोलकाता सॉल्ट लेक के आसपास के क्षेत्रों में आउटरीच शिविरों में सुश्रुत के वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में होता है।" ट्रेनीज को आंखों की शारीरिक रचना, रेफ्रेक्टिव एरर्स और लेंस ग्रिंडिंग जैसी अवधारणाओं के बारे में पढ़ाया जा रहा है। रजिस्ट्रेशन के समय ट्रेनीज से कार्यक्रम के लिए 25,000 रुपये लिए जाते हैं। हालांकि, आउटरीच कैंपों में उनके कार्यकाल के दौरान, उन्हें उनके प्रदर्शन के आधार पर 2,000 रुपये से लेकर 3,000 रुपये प्रति माह तक के स्टाइपेंड का भुगतान किया जाता है।
12 महीने का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, उन्हें विजन तकनीशियनों के रूप में प्रमाणित किया जाता है। बाद में, एनएसडीसी और सुश्रुत उन्हें एक ऑप्टिकल शॉप स्थापित करने के लिए आवश्यक सभी उपकरण और संसाधन (स्लिट लैंप, रेटिनल कैमरा, आई चार्ट, फोरोप्टर) प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, योग्य तकनीशियनों को उनके इलाके में जागरूकता शिविर आयोजित करने और स्थापना के लिए ब्रांडिंग समाधान शुरू करने के लिए सहायता भी दी जाती है।
रोजगार और नेत्र स्वास्थ्य दोनों को बढ़ावा देना
कार्यक्रम का उद्देश्य भारत की दो सबसे बड़ी चिंताओं को हल करना है - बेरोजगारी और आंखों की देखभाल के लिए दुर्गमता। भारत दुनिया की दृष्टिहीन आबादी के एक तिहाई लोगों का घर है, जहां लगभग 12 मिलियन व्यक्ति दृष्टि क्षीणता (visual impairment) से पीड़ित हैं, जबकि वैश्वि में कुल 39 मिलियन ऐसे लोग हैं। इसका एक बड़ा कारण मोतियाबिंद और रेफ्रेक्टिव एरर हैं। हालांकि इनमें से 80 प्रतिशत को समय रहते रोका जा सकता है, लेकिन जागरूकता की कमी और आंखों की देखभाल के लिए खराब पहुंच, स्थिति को कमजोर बना रही है।
नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) की पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे के अनुसार, भारत की बेरोजगारी दर वर्ष 2017-18 में 6.1 प्रतिशत रही, जो पिछले 45 वर्षों में सबसे अधिक है। अविजीत बताते हैं, “सुश्रुत और एनएसडीसी लोगों को अपने और अपने परिवार के लिए एक स्थायी आजीविका खोजने में मदद करने पर केंद्रित है। चूंकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बहुत से लोग शिक्षित हैं, लेकिन बेरोजगार हैं, इसलिए हम उन्हें विजन तकनीशियन प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए टार्गेट कर रहे हैं। इसके अलावा, इस पाठ्यक्रम के माध्यम से, लोगों को समाज में योगदान करने का अवसर मिलता है।”
पश्चिम बंगाल के हुगली जिले से ताल्लुक रखने वाली गृहिणी से उद्यमी बनी पिंकी सरकार (32) इसका उदाहरण हैं। पिंकी ने समाचार पत्र में एक विज्ञापन के माध्यम से विजन तकनीशियन कार्यक्रम के शुभारंभ के बारे में जाना। इस पाठ्यक्रम में शामिल होने के उनके फैसले ने उनके जीवन को बदल दिया। वह कहती हैं, “आंखों की देखभाल, स्क्रीनिंग और लेंस सुधार के बारे में सभी जानकारी प्राप्त करने के बाद, मुझे अपना ऑप्टिकल स्टोर स्थापित करने का विश्वास मिला। सुश्रुत और एनएसडीसी ने इस यात्रा के माध्यम से आर्थिक और तकनीकी रूप से दोनों में मुझे सपोर्ट किया। आज, मैं अपने परिवार की आय में योगदान करने में सक्षम होने के बारे में बहुत अच्छा महसूस करती हूं और साथ ही अपने इलाके के लोगों के लिए आंखों की देखभाल सुलभ बनाती हूं।” एनएसडीसी और सुश्रुत अब पूरे पश्चिम बंगाल में प्रशिक्षण कार्यक्रम में अधिक ग्रामीण लोगों को जोड़ने की योजना बना रहे हैं, और निकट भविष्य में अन्य राज्यों में विस्तार करना चाहते हैं।