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महिलाओं को अपना करियर दोबारा शुरू करने में मदद कर रहा है ये स्टार्टअप

लंबे गैप के बाद अगर आप फिर से करना चाहती हैं नौकरी तो, जुड़ें इस स्टार्टअप से...

महिलाओं को अपना करियर दोबारा शुरू करने में मदद कर रहा है ये स्टार्टअप

Monday April 16, 2018 , 8 min Read

अनुपमा कपूर और गोपिका कौल अपने स्टार्टअप रिबूट के माध्यम से महिलाओं को फिर से करियर शुरू करने में मदद कर रही हैं। कई संगठनों में महिलाओं को काम पर लौटने में मदद करना ही रिबूट है। 

अनुपमा कपूर और गोपिका कौल

अनुपमा कपूर और गोपिका कौल


रिबूट रिटर्निंग महिला प्रोफेशनल्स का एक सलाह और क्षमता निर्माण करियर समुदाय है। यह विजन महिलाओं को प्रोत्साहित कर उन्हें काम पर लौटने के लिए तैयार करता है। रिबूट की संस्थापक अनुपमा कपूर को विविध भौगोलिक और संस्कृतिक क्षेत्र में लंबे और शानदार कॉरपोरेट का अनुभव है।

हमारे समाज में महिलाओं को कई वजहों से एक वक्त के बाद अपने करियर से ब्रेक लेना पड़ जाता है। बच्चे पालने से लेकर, आगे की पढ़ाई करने के लिए महिलाएं करियर से ब्रेक लेती हैं लेकिन प्राइवेट सेक्टर में फिर से दोबारा उनके लिए काम शुरू कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। जो भी कारण हों लेकिन जब एक महिला करियर के ब्रेक पर जाती है और एक अवधि के बाद उसे फिर से शुरू करना चाहती है, तो उसके लिए मुश्किलें होती हैं। दरअसल ऐसा मान लिया जाता है कि कुछ समय के लिए अपने सेक्टर से गायब होने का मतलब है कि वे (महिलाएं) अनफिट हैं और ब्रेक के दौरान उन्होंने अपने सेक्टर की महत्वपूर्ण अपडेट और बदलावों मिस कर दिया। जिससे उनका रिज्यूमे तो कमजोर होता ही है उन्हें दोबारा काम शुरू करने में दिक्कतें होती हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा! महिलाएं अपना करियर को फिर से शुरू, पुनर्जीवित और रिबूट कर सकती हैं।

अनुपमा कपूर और गोपिका कौल अपने स्टार्टअप रिबूट के माध्यम से महिलाओं को फिर से करियर शुरू करने में मदद कर रही हैं। कई संगठनों में महिलाओं को काम पर लौटने में मदद करना ही रिबूट है। रिबूट रिटर्निंग महिला प्रोफेशनल्स का एक सलाह और क्षमता निर्माण करियर समुदाय है। यह विजन महिलाओं को प्रोत्साहित कर उन्हें काम पर लौटने के लिए तैयार करता है। रिबूट की संस्थापक अनुपमा कपूर को विविध भौगोलिक और संस्कृतिक क्षेत्र में लंबे और शानदार कॉरपोरेट का अनुभव है। वहीं, सह-संस्थापक गोपिका कौल हांगकांग, अमेरिका और भारत के विभिन्न क्षेत्रों में दो दशकों से अधिक अनुभव वाली एक कंटेंट और डिजिटल मीडिया प्रोफेशनल हैं।

कार्य-जीवन संघर्ष

अनुपमा याद करते हुए बताती हैं कि जब वह मां बनी थीं, तो उन्होंने महिलाओं के उन संघर्षों को खुद महसूस किया था, जिनका सामना आमतौर पर वे करती हैं। उन्हें अपनी एक मां के रूप में अपने स्वास्थ्य और करियर प्रोफेशनल दोनों चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। अनुपमा बताती हैं, "पारिवारिक, सामाजिक, और पेशेवर उम्मीदों के बीच स्थिर संतुलन स्थापित करना हमेशा एक बडी चुनौती थी। इसके साथ काम करने की कोशिश करते हुए मुझे उन परेशानियों की गहरी समझ हुई, जिनका घर के बाहर काम करने वाली हर महिला सामना करती है। कॉरपोरेट जगत में मां बनने के सफर से रिबूट के आइडिया ने आकार लिया। मुझे कई ऐसी महिलाएं मिलीं, जो काम शुरू करना चाहते थी, छोड़ना चाहती थी, फिर से ज्वाइन करना चाहती थीं। इसके अलावा वे अपने 'समानांतर जीवन' के साथ लगातार लड़ रहीं थीं।"

उन्होंने कहा कि 2013 में रिबूट लॉन्च करना इन सभी समस्याओं का सबसे सही हल था। अपने काम के प्रति समर्पित एक जेंडर राइट्स एक्टिविस्ट वह एक दर्द महसूस करती हैं। अनुपमा कहती हैं यह ब्रॉड स्पेक्ट्रम हैं। उन्होंने बताया, ''एक महिला की तरह डील करने पर यहां पर कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे कई मुद्दे हैं जिनमें से किसी को एक महिला के रूप में निपटना पड़ता है। लेकिन, आप उन सभी को हल नहीं कर सकती हैं और अगर आप एक इशिकावा डाइग्राम बनाते हैं, तो आप पाएंगे कि लिंग समानता के लिए सभी रास्ते आर्थिक सशक्तिकरण के माध्यम से आते हैं और महिलाओं को एक एजेंसी मुहैया कराते हैं।''

जब गोपिका ने अपनी जॉब छोड़ी थी, तो उन्हें नहीं पता था कि यह एक बड़े ब्रेक में बदल जाएगा। लेकिन, ऐसा ही हुआ। उन्होंने बताया, "अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को मैनेज करने के लिए मुझे जिस फ्लेक्सबिलिटी की जरूरत थी, मैंने देखा कि ज्यादातर ऑर्गनइजेशन उसे बड़ी सीमित मात्रा में मुहैया कराते हैं। मेरे बॉस ने मुझे से कहा कि अगर उन्होंने मेरे रोल को फ्लेक्सिबल किया तो इससे गलत मिसाल स्थापित हो जाएगी।"

गोपिका ने कहा, "अनुपमा की तरह मेरी भी कई इच्छाएं थीं। मैंने फ्रीलांस असाइनमेंट लिया। इससे मुझे वर्क फ्राम होम करने इजाजत मिल गई। लेकिन, उसके बाद मैं फुल-टाइम जॉब में वापस नहीं जा पाई। इसके बाज जैसा मैंने कई सालों से जिन रास्तों के बारे में नहीं सोचा था, मैंने उन विकल्पों के बारे में विचार किया था, जिनकी महिलाओं को जरूरत होती है; जो ब्रेक लेती हैं या उन्हें फ्लेक्सिबिलिटी की आवश्यकता होती है, लेकिन वह उन्हें नहीं मिलती है।"

इसमें हैरानी की कोई बात नहीं कि वह अपनी तरह की बहुत सी महिलाओं से मिली, जो उनकी तरह ही मां थीं। उनकी साथ भी ठीक उसी तरह की स्थिति थी। वह कहती हैं, "वे सुनहरे भविष्य वाली यंग वुमेन थीं, जो अपने बेहतरीन करियर ले ब्रेक ले चुकी थीं और वापस इंडस्ट्री में आने का मौके तलाश रही थीं। उनमें से कई का दशकों लंबा करियर था, लेकिन वे वापस काम पर नहीं लौट पा रही थीं क्योंकि उन्हें जिस मौके की तलाश थी, वह मिल नहीं रहा था। मुझे इस बात पर हैरानी थी कि ऑर्गनाइजेशन ऐसे बेहतरीन टैलेंट का उपयोग करने का रास्ता क्यों नहीं निकाल पा रहे थें। मैं जानती थी कि कुछ ऐसा किए जाने की जरूरत है, जिसे ब्रेक के बाद वापस काम पर लौटने वाली महिलाओं को मौका मिल सके।"

रिबूट को बोर्ड पर लाना

अनुपमा खुद को असली रीबूटर कहती हैं। वे कहती हैं कि "मैंने फेमस 3एम "मोबिलिटी, मैटरनिटी और तीसरा एम मेडिकल, के कारण, काम से तीन ब्रेक लिए थे।" वे आगे कहती हैं कि "जब मैंने 2013 में रिबूट शुरू किया था, तो वह मेरे बदलाव का वो पल था जिसे मैं देखना चाहती थी। मैंने महिलाओं के उस समुदाय को साथ लाने और उसे शामिल करने के लिए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया और तकनीक का उपयोग किया है। इसके जरिए वे महिलाएं उनके जैसी अन्य महिलाओं की सहायता कर सकती थीं। यह एक महत्वपूर्ण रणनीति थी, क्योंकि डिजिटल मीडिया आपके लिए एक ब्रांड बना सकता है वो भी बिना किसी कीमत पर सिवाए समय खर्च करने के अलावा। इसलिए, उस मायने में, रिबूट समुदाय सोशल मीडिया पर पैदा हुआ था। हमने यौन उत्पीड़न से लेकर आजीविका और शिक्षा तक, महिलाओं के मुद्दों पर काम करने वाले विभिन्न समुदायों के साथ सहयोग भी किया। साझेदारी के ठोस प्रयास ने रिबूट के प्रयासों को मजबूत करने में मदद की"

रीबूट कैसे करें

रिबूट एक सामाजिक उद्यम है जो करियर ब्रेक पर महिलाओं के लिए एक समुदाय के रूप में शुरू हुआ था, लेकिन अब महिलाओं के जीवन के सभी पहलुओं में जैसे कार्य-जीवन संतुलन प्राप्त करने और स्वतंत्र होने के लिए रचनात्मक तरीके खोजने के लिए - समुदाय का एक हिस्सा हैं जिसमें उभरते उद्यमी शामिल हैं।

इस महीने, वे रीबूटहर लॉन्च कर रहे हैं। ये सावधानीपूर्वक तैयार किए गया है। इसके माध्यम से महिलाओं को, सलाह और मिश्रित शिक्षण कार्यक्रम, कार्य करने के लिए आत्मविश्वास, कुशल और टिकाऊ वापसी करने के लिए सक्षम बनाया जाएगा। महिला विज्ञान कार्यक्रम महिला कर्मचारियों की भागीदारी अनुसंधान, परामर्श और सलाहकार सेवाओं पर केंद्रित है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, ये लैंगिक समानता पर बातचीत में पुरुषों को शामिल करने के लिए एक अग्रणी मंच था। रिबूट शिक्षाविदों और कंपनियों के साथ भी काम करता है ताकि महिलाओं के लिए एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जा सके। 2016-17 में, अनुपमा ने भारत के शीर्ष 5 बिजनेस स्कूलों में से एक के साथ काम किया ताकि महिलाओं को लौटने के लिए पहली पूर्णकालिक एमबीए बनाया जा सके।

चुनौतियों का सामना

लगभग सभी स्टार्टअप्स की तरह, अनुपमा का मानना है कि यह यात्रा चुनौतियों और सफलताओं का मिश्रण है। वे कहती हैं कि "ये हैरानी की बात है, यदि हम एक कठिन क्षण के बारे में याद करें तो ये एक वेबसाइट का निर्माण करना था। जो आगे भी जारी है। ये हमारे काम को दर्शाता है और हमारी बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करता है। इसके लिए फंडिंग एक चुनौती रही है! हमारे लिए, सफलता उस बदलाव के रूप में आती है जो हम अपने समुदाय के जीवन में लाते हैं। जब हमें उन महिलाओं से प्रशंसापत्र मिलते हैं जिन्होंने अपने पेशेवर जीवन को दोबारा रिबूट किया है, तो हम उसे हमारी सबसे बड़ी सफलता के रूप में देखते हैं।" रिबूट को संस्थापकों की सेविंग और परिवार के साथ स्थापित किया गया था। अब यह वर्तमान में एक आत्मनिर्भर व्यवसाय मॉडल पर काम कर रहा है और विकास के रास्ते पर धन हासिल करने की कोशिश कर रहा है।

भविष्य के लिए रिबूटिंग

अनुपमा कहती हैं कि, "हमारा मिशन, हमारी मॉनीटरिंग के जरिए, क्षमता निर्माण कार्यक्रमों और सीखने के हस्तक्षेप के माध्यम से महिला कार्यबल भागीदारी को बढ़ाना है। हमारा विजन महिला लीडर्स का एशिया-व्यापी समुदाय बनाने के लिए रिबूट समुदाय का विकास करना और अन्य एशियाई देशों में रिबूटहर भी लॉन्च करना है।" अपना करियर वहीं से चुनें जहां आपने छोड़ा था, उस कार्य-जीवन के संतुलन को प्राप्त करें, या आप जो भी करते हैं, उसमें बेहतर प्राप्त करें। अपने जीवन और करियर को जिस तरीके से आप चाहते हैं, उसे रीबूट करें- यही वो काम है जिसे ये समुदाय करना चाहता है!

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