Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

आप के होने और न होने के बीच है 'Mission I am'

अभिव्यक्ति के माध्यम से ख़ुद को बेहतर बनाने में आप की मदद करती है टीम मिशन आई एमआज के ज़माने के लायक बनाने में कारगर साबित हो रही है मिशन आई एम

आप के होने और न होने के बीच है 'Mission I am'

Saturday October 22, 2016 , 6 min Read

एक बड़ा सवाल ये है कि ख़ुद को अभिव्यक्त कर पाने से आत्मविश्वास आता है या आत्मविश्वास से ख़ुद को अभिव्यक्त करना आता है? अभिव्यक्ति और आत्मविश्वास परस्पर हैं। एक के बिना दूसरा संभव नहीं है दूसरे के बिना पहला बेमतलब है। यानी दोनों का समिश्रण ही किसी के विकास के लिए आवश्यक है। इन्हीं दोनों को घुलाने मिलाने और किसी शख्स में नया ज़ोश भरने के लिए तैयार किया गया मिशन आई एम।

बहुत से विद्यालयों, कॉलेजों और कॉर्पोरेट दफ्तरों में अभिव्यक्ति कौशल और व्यक्तिगत विकास की कार्यशालायें आयोजित करने के बाद मिशन आई एम की टीम ने इस विश्वास को मिथ्या कर दिया है कि केवल आत्मविश्वास ही ख़ुद को अभिव्यक्त करने की क्षमता देता है। उनके अनुसार ये दूसरी दिशा में भी काम करता है। ख़ुद के विचार और जज़्बात अभिव्यक्त कर सकना, अच्छे तर्क देना और दर्शकों के साथ जुड़ पाना, किसी का भी आत्मविश्वास बढ़ा सकता है.

image


मिशन आई एम दो ईंजीनियर्स की देन है। अरूण मित्तल और इरा अग्रवाल। मिशन आई एम शुरू करने से पहले दोनों ही एक बहुर्राष्ट्रीय कंपनी Deloitte में काम करते थे। एक-सी पृष्ठभूमि के बावजूद, दोनों के विचार लोगों के सामने ख़ुद को अभिव्यक्त करने के विषय पर बिल्कुल अलग-अलग हैं। जहाँ एक ओर अरूण को भीड़ के सामने बोलना अच्छा नहीं लगता, वहीं दूसरी ओर इरा को ये बेहद पसंद है. अरुण बताते हैं कि “वो एक चैटरबॉक्स हैं, जिस के पास हर विषय पर बोलने क लिए कुछ ना कुछ है।” लेकिन कहते हैं, अलगाव भी अक्सर लोगों को पास ले आता है, इन दोनों के विषय में ऐसा ही हुआ है।

अरुण कहते हैं कि “मैं क्लास में टॉपर था; मेरे ग्रेड्स अच्छे थे लेकिन इस बात से मुझे हमेशा तकलीफ़ होती थी कि मैं ख़ुद को केवल एक अच्छे प्रदर्शन से आगे नहीं ले जा पाया। जब भी हमें अपने कॉलेज का गोष्ठियों या दूसरे कार्यक्रमों में प्रतिनिधित्व करना होता था, मैं सिर्फ़ अपने कमतर अभिव्यक्ति कौशल के कारण नहीं जा पाता था।” सच ये है कि लगभग 90 प्रतिशत कॉलेज के विद्यार्थी और बहुत से नए कर्मी इस परेशानी से जूझते हैं।

मिशन आई एम की टीम बताती है कि आम तौर पर हमारे ऊपर जो ठप्पा लगा दिया जाता है, हम सच में वैसे नहीं होते हैं, लेकिन उन ठप्पों की वजह से हम ख़ुद को सही से समझ पाने में नाकाम रहते हैं। अरूण कहते हैं, “उदाहरण के तौर पर, अगर किसी बच्चे को अंतर्मुखी (introvert) क़रार कर दिया जाता है, तो चाहे वो ख़ुद को जितना भी अच्छे से अभिव्यक्त कर ले, उस के आस-पास के लोग, रिश्तेदार, उस के इस कौशल को नकार ही देते हैं।” 

यहीं पर ’मैं हूँ (आई एम)’ की अवधारणायें काम आती हैं. अरुण का सीधा मानना है कि “हमारा लक्ष्य उस दूरी को पाटना है, जो आप के होने और होना चाहने के बीच में है। साथ ही हम आप के व्यक्तित्व का वो आयाम ढूँढ निकालने में आप की मदद करते हैं, जो आप जानते हैं कि आप में है, लेकिन अभी तक आप उसे दुनिया के सामने नहीं ला पाये हैं।” “शब्द ’मिशन’ इस लक्ष्य को प्राप्त करने के सफ़र की और इशारा करता है; ’मैं हूँ (आई एम)’ में एक ख़ूबसूरत सकारात्मक भाव है, क्योंकि ये व्यक्तिगत पहचान से जुड़ा हुआ है; ये एक तथ्य है ख़ुद के बारे में जो कि हम असल में हैं, ना कि जो होना चाहते हैं”

image


मिशन आई एम की टीम विभिन्न प्रकार के कौशल जैसे ख़ुद के अंतर्मन की खोज, शारीरिक भाषा, ध्वनि-ज्ञान, अंतर्राष्ट्रीय भाषायें सिखाने का काम करती है. ये टीम साथ ही एक ऐसा परिवेश प्रदान करती है, जिस में इन सब कौशल का अभ्यास किया जा सके। अरूण कहते हैं, “हम खेलों और तंदुरूस्ती (ज़ुम्बा, योग आदि के माध्यम से) के साथ-साथ मनोरंजक गतिविधियों जैसे फ़ोटोग्राफ़ी आदि को भी प्रोत्साहन देते हैं।”

मिशन आई एम चार महीने पहले ही अस्तित्व में आया है और आने वाले कुछ महीनों में इन की 17 कार्यशालायें आयोजित की जानी तय हैं। स्टार्ट-अप अपनी शुरूआती निवेशित पूँजी अब तक कमा चुका है और टीम का विश्वास है कि आने वाले 6 महीने में कंपनी फ़ायदे में होगी। उनकी २ लोगों की टीम भी अब बड़ी तेज़ी से 10 लोगों तक पहुँच चुकी है। जिस में व्यक्तिगत विकास प्रशिक्षक, सेल्स एवं मार्केटिंग टीम, और वेब साईट डिज़ाईनर्स हैं। अगले दो महीने में 13 प्रशिक्षुओं (interns) को भी टीम में लाने की योजना है.

मिशन आई एम का अगला लक्ष्य है ऑनलाइन कोर्स शुरू करना। अरूण का कहना है कि “जल्दी ही हम लोग ऑन-लाईन कोर्स शुरू करने वाले हैं क्योंकि बड़े स्तर पर हमारा हर जगह पर शारीरिक रूप में मौजूद रहना नामुमकिन है।” शुल्क हमेशा उस सीमा में रहेगा, जिसे सब लोग आसानी से दे पायें, वो ऐसा दावा करते हैं. “हम लोग हर विद्यार्थी से 10-15 घंटे की कार्यशाला के केवल रू. 900-1000 लेते हैं।”

टीम का सपना है कि वो हिन्दुस्तान के हर राज्य में मौजूद हो, हालांकि उन्हें बहुत-सी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, ख़ासकर स्कूलों में। “स्कूल का पाठ्यक्रम इतना ज़्यादा है कि उस में बड़ी मुश्किल से हम कुछ घंटों की कार्यशालायें आयोजित कर पाते हैं। हम कुछ स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के संपर्क में हैं, जो इसे अपने पाठ्यक्रम में सम्मिलित करना चाहते हैं। ऐसा होने पर हम बच्चों के साथ स्कूल में काफ़ी अच्छा समय बिता पायेंगे.”

image


मिशन आई एम की टीम को बड़ी प्रोत्साहन भरी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं, उन सब विद्यार्थियों से, जिन के साथ उन्होंने काम किया है।अरूण उत्साह से बताते हैं कि “मैं हाल ही में एक कॉलेज से लौटा हूँ जहाँ हम अपनी कार्यशाला चलाते हैं। वहाँ एक लड़की, जो अब तक सिर्फ़ लिख कर अपने विचार व्यक्त कर पाती थी, आज मुझ से इतने सहज भाव से बात कर पा रही थी कि मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा। मेरे लिए ये अविश्वस्नीय था.”

कहते हैं कि मैं हूं तभी दुनिया है वरना सबकुछ बेकार है। 'मैं हूं' का सीधा मतलब है मेरा आत्मविश्वास और मेरी अभिव्यक्ति। पहले कहा जाता था कि मौन भी अभिव्यंजना है पर अब मौन रहने का मतलब है खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मारना। इसलिए बातों को आत्मविश्वास के साथ अभिव्यक्त करना आज के युग की सबसे बड़ी मांग है। ये तय है कि प्रतिस्पर्द्धा बहुत है और उसी में आपको अपनी जगह बनानी है। ऐसे में आप के होने और आप के न होने के बीच जो है वो है आत्मविश्वास और अभिव्यक्ति।