डिप्रेशन की गोलियां देती हैं दिल की बिमारी
यूनिवर्सिटी कॉलेज अॉफ लंदन के एक डॉक्टर ने अपनी रिसर्च में इस बात का खुलासा किया है कि तनाव से मुक्त करने के अनावश्यक रूप से एंटी डिप्रेशन टैबलेट्स लेने वालों की धड़कन बंद होने की आशंका ज्यादा होती है।
डिप्रेशन की गोलियां त्वरित राहत के लिए तो अच्छी हैं, लेकिन लंबे समय में ये दिल के लिए घातक हो सकती हैं।
डिप्रेशन आज के समय में एक आम समस्या है। हर दूसरा व्यक्ति डिप्रेशन में होता है, जिसकी सबसे बड़ी वजह है सबकुछ एक साथ हासिल कर लेने की मंशा।
आने वाला कल कैसा होगा, किसी को नहीं पता। कोई पढ़ाई को लेकर डिप्रेशन में है, तो कोई संबंधों को लेकर, कोई नौकरी को लेकर डिप्रेशन में हैं तो कोई बिज़नेस को लेकर। इंसानी मन ऐसा ही है उसे जो मिलता है वो उतने में संतुष्ट नहीं होता और जो नहीं मिलता उसकी इच्छा करता है। भूख की कोई सीमा नहीं होती, वो जितनी घटती है, उतनी ही बढ़ती है और एक समय आता है, जब हर चीज़ बेमानी लगने लगती है, हर रिश्ता नकली लगने लगता है और फिर ज़िंदगी में जीने की कोई वजह साफ-साफ नज़र नहीं आती, इसी स्थिति को कहते हैं डिप्रेशन।
डिप्रेशन आज के समय में एक आम समस्या है। हर दूसरा व्यक्ति डिप्रेशन में होता है, जिसकी सबसे बड़ी वजह है सबकुछ एक बार में हासिल कर लेने की मंशा। मशीनों के इस दौर में इंसान-इंसान से कटने लगा। उसे लगता है कि वो अपने आप में संतुष्ट है और वो जान भी नहीं पाता कि कब उसका जीवन उसका ही दुश्मन होता जा रहा है। असल में अकेलापन इसकी मुख्य वजह है। अकेलेपन को झेलते हुए मनुष्य डिप्रेशन में चला जाता है और उसके बाद शुरू होता डिप्रेशन की गोलियां खाने का सिलसिला। जो शरीर इलाज के लिए गोलियां खाता है, वो फिर आदतन गोलियां खाने लगता है। गौरतलब है, डिप्रेशन की गोलियां त्वरित राहत के लिए तो अच्छी हैं लेकिन लंबे समय में ये दिल के लिए घातक साबित हो सकती हैं।
यूनिवर्सिटी कॉलेज अॉफ लंदन के एक डॉक्टर ने अपनी रिसर्च में इस बात का खुलासा किया है कि तनाव से मुक्त करने के अनावश्यक रूप से एंटी डिप्रेशन टैबलेट्स लेने वालों की धड़कन बंद होने की आशंका ज्यादा होती है। वैसे तो इन्हें हैप्पी पिल्स यानी कि खुशी देने वाली गोलियां कहा जाता है, लेकिन लंबे समय तक इस्तेमाल में लेने पर ये ग़म की वजह भी बन सकती हैं।
ब्रिटेन में करीब 1.2 करोड़ लोग डिप्रेशन से मुक्त होने के लिए इन गोलियों का नियमित इस्तेमाल करते हैं। डॉ. मार्क हेमर ने अपनी एक रिसर्च में पाया कि जो लोग ज्यादा समय से डिप्रेशन खतम करने के लिए इन दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं, उनके दिलों को दवा न लेने वालों के मुकाबले ज़्यादा खतरा होता है। डॉक्टर हेमर की ये रिसर्च कई मामलों में बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि कई डॉक्टर्स सिर दर्द, पीठ दर्द और उलझन की स्थिति में भी एंटीडिप्रेसेंट दवायें मरीज़ के लिए लिख देते हैं।