पिता ने पेट्रोल पंप पर काम कर बेटे को पढ़ाया, बेटे ने किया यूपीएससी टॉप
मां बाप अपना पेट काट काट कर बच्चों को पढ़ते हैं। लेकिन कुछ ही बच्चे होते हैं जो मां बाप की इस तपस्या का फल दे पाते हैं। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC Results 2019) द्वारा शुक्रवार को घोषित हुए सिविल सेवा की फाइनल परीक्षा के परिणाम 759 अभ्यर्थियों के लिए उनके जीवन की नई सुबह लेकर आये और इन्हीं में से इंदौर के एक परिवार के लिए ये परिणाम केवल एक नई सुबह नहीं बल्कि उनके मिट्टी में सने और वर्षों की मेहनत से थके हारे शरीर के लिए मरहम लेकर आया।
एक पिता जिसने अपना आधे से ज्यादा जीवन पेट्रोलपंप पर काम करते बिता दिया, उसके बेटे ने जब यूपीएससी में बाजी मारी हो तो उस पिता के चेहरे का सुख देख आँखें नम हो जाती हैं। पेट्रोल पंप पर काम करने वाले इस पिता के पुत्र प्रदीप सिंह ने ऑल इंडिया 93रैंक हासिल की है। उनके माता पिता के लिए ये खबर किसी सपने के सच होने से कम नहीं थी।
यूपीएससी में 93वीं रैंक पाने वाले प्रदीप सिंह लाखों बच्चों की तरह दिल्ली में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। भले ही गरीबी ने घर को हर तरफ से घेरे रखा हो लेकिन प्रदीप के माता पिता ने उन्हें पढ़ाने में कोई कमी नहीं आने दी। प्रदीप सिंह के पिता मनोज सिंह नौकरी करते हैं और अपनी जरूरतों को कम करके उन्होंने बच्चों को पढ़ाया। उसी का नतीजा है की बेटा आज कलेक्टर बन गया।
ऐसा नहीं कि ये सब आसानी से हो गया। मुसीबतों के तूफान ने कई बार इनके हौसले तोड़ने की कोशिश की लेकिन वे नहीं माने और न ही इसकी खबर को अपने बच्चों तक पहुंचने दिया। प्रदीप को पढ़ाई के लिए दिल्ली भेज सकें इसके लिए भी उनके पास पैसे नहीं थे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपना मकान तक बेच दिया और बच्चे को पढ़ाई के लिए दिल्ली भेजा। अब तक ये परिवार किराए के मकान में ही रहता है। जिस मां ने अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए अपने गहने तक गिरवी रख दिए उस मां को दिल्ली जाते हुए प्रदीप ने भरोसा दिलाया था कि उसका चयन जरूर होगा और आज उस बेटे ने अपना वादा पूरा कर दिया।
इंदौर डीएवीवी से पढ़े प्रदीप आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए थे। प्रदीप के चयन की सूचना मिलते ही उनके परिजनों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। साथ ही कई रिश्तेदार भी उनके घर पहुंचे और गले मिलकर एक दूसरे को बधाई दी। परिजनों ने घर पर केक काटकर खुशियां मनाई। इस दौरान प्रदीप वीडियो कॉल के जरिए परिजनों के साथ बने रहे।
प्रदीप ने बताया कि उनका जीवन काफी संघर्ष भरा रहा है, साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मेरी कोशिश है कि अपनी इस छोटी सी सफलता से माता-पिता के संघर्ष को कम कर सकूं यही मेरी कोशिश रहेगी। उन्होंने ये भी कहा कि वह साल 2017 से दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे।
-हरपाल सिंह भाटिया
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