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Father’s Day: पिता-पुत्र की इन जोड़ियों ने मिलकर खड़ा किया करोड़ों का कारोबार

आज फादर्स डे को इस मौके पर हम कुछ ऐसे सफल पिता-पुत्र की जोड़ी की कहानियां आपके सामने लेकर आए हैं, जिन्होंने साथ मिलकर अपने कारोबार को बड़ा बनाया और देश की तरक्की में अपना योगदान दे रहे हैं.

Father’s Day: पिता-पुत्र की इन जोड़ियों ने मिलकर खड़ा किया करोड़ों का कारोबार

Sunday June 19, 2022 , 4 min Read

अक्सर पिता अपने बच्चों के लिए अपनी भावनाएं नहीं जताते हैं लेकिन वे अपने संघर्ष से अर्जित संपत्ति बच्चों के नाम करते हैं. पिता अपने कारोबार के लिए बच्चों को तैयार करके उन्हें सौंप देते हैं तो बच्चे भी अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए खुद को समर्पित कर देते हैं.

आज फादर्स डे को इस मौके पर हम कुछ ऐसे सफल पिता-पुत्र की जोड़ी की कहानियां आपके सामने लेकर आए हैं, जिन्होंने साथ मिलकर अपने कारोबार को बड़ा बनाया और देश की तरक्की में अपना योगदान दे रहे हैं.

दादा-बेटा-पोता की तीन पीढ़ियों ने 'बिकानेरवाला' का बनाया अंतरराष्ट्रीय ब्रांड:

'बिकानेरवाला' की शुरूआत लाला केदारनाथ अग्रवाल ने की थी जो कि 1947 में विभाजन के बाद बिकानेर से दिल्ली आ गए थे. शुरुआत में वह चांदनी चौक में मिठाइयां और नमकीन बेचते थे और जल्द ही उन्होंने बिकानेर नमकीन भंडार नाम से एक छोटी टक शॉप खोल ली. आगे चलकर उन्होंने बिकानेरवाला ब्रांड बनाया जो कि बिकानेरी भुजिया और अन्य फुड के लिए मशहूर हो गई.

साल 1965 में उनके बेटे श्याम सुंदर अग्रवाल कारोबार से जुड़े और बिकानेरवाला को एनसीआर से बाहर लेकर गए. उन्होंने बिकानो नाम से पैकेज्ड फूड की भी शुरुआत की. साल 2000 में केदारनाथ के पोते मनीष अग्रवाल कारोबार से जुड़े और अब बिकानेरवाला अमेरिका और ब्रिटेन सहित 45 देशों में निर्यात कर रहा है. देशभर में उसके 270 से अधिक अलग-अलग उत्पाद और दुनियाभर में 320 से अधिक अलग-अलग उत्पाद बिक रहे हैं.

पिता-पुत्र की जोड़ी ने 'टॉप्स' के सफलता की कहानी लिखी:

80 के दशक में देश में चाइनीज फूड की मांग बढ़ने के बाद बीएम सेठ ने 20 हजार रुपये की लागत से दिल्ली में नूडल्स बनाकर जीडी फूड्स की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने टॉप्स ब्रांड से नूडल्स और बाद में अचार बनाया जो कि खासे लोकप्रिय हुए.

बीएम सेठ के बेटे नीतिन सेठ 1996 में कारोबार से जुड़े और उन्होंने उस समय तेजी से बढ़ रहे ब्रेकफास्ट कैटेगरी को ध्यान में रखते हुए जैम्स, कॉर्नफ्लैक्स और इंस्टैंट मिक्सेस जैसे उत्पाद निकाले.

36 सालों के दौरान टॉप्स ने अनेक उत्पाद निकाले और उसके उत्पाद देशभर के 1.5 लाख से अधिक आउटलेट्स में उपलब्ध हैं जिसका कुल कारोबार सालाना 300 करोड़ का है.

जेसी चौधरी और आकाश चौधरी ने 'आकाश इंस्टीट्यूट' को ब्रांड बनाया:

जेसी चौधरी ने 1988 में मेडिकल की तैयारी करने वाले 12 छात्रों के बैच से दिल्ली में आकाश एजुकेशनल सर्विस लिमिटेड (AESL) की शुरुआत की थी जिसमें से 7 छात्रों ने मेडिकल परीक्षा पास की थी.

साल 2006 में उनके बेटे आकाश चौधरी कारोबार से जुड़े औऱ मुंबई में काम संभालने लगे. 31 सालों में AESL ने लाखों छात्रों का करिअर बनाया है और फिलहाल इंस्टीट्यूट का कुल कारोबार 1200 करोड़ रुपये का है.

अप्रैल, 2021 में 11.7 खरब रुपये की वैल्यूएशन वाले BYJU'S ने AESL का अधिग्रहण कर लिया जिसमें जेसी चौधरी, आकाश चौधरी और ब्लैकस्टोन ग्रुप की Byju’s में हिस्सेदारी है.

100 करोड़ के 'एक्की ग्रुप' की सफलता के पीछे पिता-पुत्र की जोड़ी:

किसानों के लिए समर्सिबल पम्प बनाने वाले पी. अरुमुगम, केके वेलुचमी और एमएस सुंदरम ने केवल 9 कर्मचारियों के साथ एक्की ग्रुप की शुरुआत की थी. इसके बाद कंपनी ने जेट पम्प्स, समर्सिबल मोटर्स, बोरहोल समर्सिबल बनाए.

साल 2013 में अरुमुगम एक्की ग्रुप के एकमात्र मालिक बन गए जिसमें डेक्कन पम्प्स, डेक्कन एंटरप्राइजेज, एक्की होमा और एक्की पम्प्स कंपनियां शामिल थीं. आज एक्की ग्रुप को अरुमुगम और उनके बेटे कनिष्क अरुमुगम संभाल रहे हैं और वह केवल पम्प निर्माण से आगे बढ़कर एक वाटर टेक्नोलॉजी कंपनी बन गई हैं. आज कंपनी का कारोबार 100 करोड़ रुपये का है.

जयपुर रग्स की सफलता में नंदकिशोर और उनके बेटे योगेश का हाथ:

साल 1978 में नंदकिशोर ने अपने पिता से 5000 रुपये उधार लेकर जयपुर रग्स की शुरुआत की थी. राजस्थान में जाति भेदभाव, डकैती और 2008 की मंदी को झेलते हुए नंदकिशोर ने अपना कारोबार बढ़ाया.

साल 2006 में 19 साल की उम्र में नंदकिशोर के बेटे योगेश कारोबार में शामिल हुए और आज देश के 600 गांवों के 40,000 बुनकर और कारीगर कंपनी के साथ काम कर रहे हैं. जयपुर रग्स अमेरिका, जापान, मध्य पूर्व, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील सहित 60 से अधिक देशों में निर्यात करता है.