माइक्रोसॉफ़्ट के साथ आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस पर काम करने वाली संध्या बनीं लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा
जिस देश में आज भी महिलाओं को तकनीकी क्षेत्र में करियर बनाने के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता, उसी देश में संध्या गुंटरेड्डी जैसी महिलाएं बन रही हैं मिसाल...
आंकड़ों के मुताबिक, अभी भी तकनीकी क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व सिर्फ़ 34 प्रतिशत ही है। ऐसे विपरीत समीकरणों में भी कुछ महिलाएं ऐसी हैं, जो अपने दम पर तकनीकी क्षेत्र में नए प्रतिमान स्थापित कर रही हैं और समाज को नज़रिया बदलने की सीख दे रही हैं। ऐसा ही एक नाम है, संध्या गुंटरेड्डी का।
संध्या गुंटरेड्डी माइक्रोसॉफ़्ट के ऑर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस ऐंड रिसर्च ऑर्गनाइज़ेशन में बतौर प्रिंसिपल प्रोग्राम मैनेजर काम कर रही हैं। संध्या और उनकी टीम ने आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस आधारित एक ऐप विकसित किया है, एसएमएस ऑर्गनाइज़र।
हमारे समाज में आज भी महिलाओं को तकनीकी क्षेत्र में करियर बनाने के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता। 2017 में हुई नासकॉम कम्युनिटी की स्टडी के आंकड़ों से इस बात का साफ़ पता चलता है। आंकड़ों के मुताबिक, अभी भी तकनीकी क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व सिर्फ़ 34 प्रतिशत ही है। ऐसे विपरीत समीकरणों में भी कुछ महिलाएं ऐसी हैं, जो अपने दम पर तकनीकी क्षेत्र में नए प्रतिमान स्थापित कर रही हैं और समाज को नज़रिया बदलने की सीख दे रही हैं। ऐसा ही एक नाम है, संध्या गुंटरेड्डी का। वह माइक्रोसॉफ़्ट के ऑर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस ऐंड रिसर्च ऑर्गनाइज़ेशन में बतौर प्रिंसिपल प्रोग्राम मैनेजर काम कर रही हैं। संध्या और उनकी टीम ने आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस आधारित एक ऐप विकसित किया है, एसएमएस ऑर्गनाइज़र।
संध्या को आईटी इंडस्ट्री में 18 सालों का लंबा अनुभव है। वह सत्यम और इंटेल जैसी कंपनियों के लिए काम कर चुकी हैं और फ़िलहाल माइक्रोसॉफ़्ट से जुड़ी हुई हैं। संध्या, माइक्रोसॉफ़्ट के डब्ल्यू (विमिन इन साइंस ऐंड इंजीनियरिंग) प्रोग्राम की मेंटर भी हैं। इस प्रोग्राम के तहत आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के स्थानीय कॉलेजों की छात्राओं की काउंसलिंग की जाती है।
'योरस्टोरी' के साथ बातचीत में संध्या ने तकनीकी क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका और योगदान समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। आइए जानते हैं संध्या से बातचीत के कुछ अंशः
माइक्रोसॉफ़्ट के साथ अपने अनुभव के बारे में बतायें?
संध्या: माइक्रोसॉफ़्ट के साथ जुड़े हुए लगभग 13 साल हो चुके हैं, लेकिन लगता है जैसे कि कल की बात हो। यहां पर काम करते हुए मुझे ऑफ़िस के अंदर और बाहर की ज़िंदगी में कुछ खास फ़र्क ही नहीं जान पड़ता।
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में आपका रुझान कैसे पैदा हुआ?
संध्या: सर्च तकनीक के क्षेत्र में मैं एक दशक से काम कर रही हूं। इसी क्रम में मेरी रुचि ऐनालिसिस, क्लासिफ़िकेशन और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में बढ़ती गई।
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आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस धीरे-धीरे ह्यूमन इंटेलिजेंस के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। इस संबंध में आपकी क्या राय है?
संध्या: मैं मानती हूं कि यह चुनौती समय का हिस्सा है, जिसे धीरे-धीरे जीता जा सकता है। पहले भी जब कभी किसी नई तकनीक का आगमन हुआ है तो इस तरह के सवाल और चिंताएं उठी हैं, लेकिन समय के साथ कोई न कोई उपाय भी सामने आया ही है। आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की वजह से जितनी नौकरियों का नुकसान होगा, उनकी भरपाई का भी कोई न कोई रास्ता ज़रूर निकाला जाएगा।
एसएमएस ऑर्गनाइज़र के बारे में कुछ बतायें?
संध्या: यह एक ऐप है, जो मशीन लर्निंग के कॉन्सेप्ट पर काम करता है। इसके ज़रिए आपके मैसेज इनबॉक्स को मैनेज किया जाता है। ऐप की मदद से स्पैम का पता लगाया जा सकता है। साथ ही, काम के मैसेजों को प्राथमिकता दी जाती है। आपके बिल पेमेंट, मूवी और ट्रेन की टाइमिंग्स आदि के लिए रिमाइंडर आदि की सुविधा भी ऐप द्वारा मुहैया कराई जा रही है।
संध्या ने जानकारी दी कि उनकी टीम यूज़र्स की प्राइवेसी का भी पूरा ख़्याल रखती है। संध्या बताती हैं कि यूज़र्स लगातार इस ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं।
क्या आप मानती हैं कि प्रोफ़ेशनल तकनीकी क्षेत्र में महिलाओं को प्राथमिकता नहीं दी जाती?
संध्याः मैं मानती हूं कि यह सिर्फ़ नज़रिए का खेल है और हमें लोगों के नज़रिए को बदलने की ज़रूरत है। मैं चाहती हूं कि ज़्यादा से ज़्यादा महिलाएं तकनीकी क्षेत्र से जुड़े और बेहतर काम करें।
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तकनीकी क्षेत्र में करियर बनाने की ओर महिलाओं को आकर्षित करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
संध्या: स्कूल के वक़्त से ही सटीक करियर काउंसलिंग की ज़रूरत होती है। अगर छात्राओं को इस क्षेत्र में रोड मॉडल्स के बारे में ठीक तरह से जानकारी दी जाए तो उन्हें राह और हौसला दोनों ही मिल सकेंगे।
टेक टीम का सदस्य होते हुए, क्या महिलाओं को लैंगिक भेदभाव का शिकार होना पड़ता है?
संध्याः व्यक्तिगत तौर पर मेरे साथ ऐसा कोई भी वाक़या नहीं हुआ। किसी भी टीम की सफलता के लिए इस तरह भेदभावों से परे उठना बेहद ज़रूरी है।
क्या एक महिला होने के नाते कंपनी के अंदर विकास करने में आपको किसी तरह की बाधा का सामना करना पड़ा?
संध्याः मैं मानती हूं कि जब आप कंपनी के सिस्टम में विकास कर रहे होते हैं, तब आपको नई चीज़े सीखने के लिए कुछ पुरानी चीज़ों को भुलाना पड़ता है। हमारे अंदर बड़ा सोचने और करने की हिम्मत होनी चाहिए।
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क्या आप ऐसी किसी घटना के बारे में बता सकती हैं, जिसने आपने करियर को काफ़ी प्रभावित किया हो?
संध्याः मैं आपसे दो घटनाएं साझा करना चाहती हूं, जिनकी वजह से मुझे माइक्रोसॉफ़्ट कंपनी में घर जैसा अनुभव होता है। पहली घटना है, जब मैं प्रेग्नेंट थी और कंपनी में नई भी थी। एक दिन मेरे मैनेजर ने मुझे पर्सनल मीटिंग के लिए बुलाया और मेरे लिए सरप्राइज़ बेबी शॉअर (गोद भराई) प्लान किया।
दूसरी घटना एक टीम मीटिंग की है। मीटिंग में मेरी और एक सीनियर की काफ़ी बहस हो गई। मीटिंग के बाद हम दोनों एक जोक पर खुलकर हंसे और फिर साथ ही लन्च किया। इन दोनों ही घटनाओं के ज़िक्र से मैं यह बताना चाहती हूं कि कंपनी के अंदर काम का माहौल बेहद सहज है। सभी आपका और आपके काम का सम्मान करना जानते हैं।
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