पूरी दुनिया में परचम लहरा रहीं भारत की ये महिलाएं
विश्व महिला दिवस विशेष: पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर देश की प्रगति में भागीदार बन रही हैं ये भारतीय महिलाएं...
कोई भी विश्व महिला दिवस भारतीय स्त्रियों की कामयाबी की दास्तान जाने बिना अधूरा सा लगता है। समाज-संस्कृति, राजनीति हो या शिक्षा, साहित्य, उद्योग, खेल, सिनेमा आदि कोई भी कार्यक्षेत्र भारत की आधुनिक स्त्रियां हर ओर परचम लहराए हुए हैं। हमे अपने देश की आधी आबादी पर गर्व होना चाहिए।
आज भी अनेक भारतीय महिलाएँ पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर देश की प्रगति में भागीदार बन रही हैं। उनका कार्यक्षेत्र कार्पोरेट सेक्टर हो या खेल, फिल्म हो या राजनीति, साहित्य हो या पत्रकारिता। आइए उनसे संक्षिप्ततः परिचित हो लेते हैं।
विश्व महिला दिवस पर भारतीय स्त्रियों की कामयाबियों की अपनी अलग गाथा है, महत्व है और उनकी अलग अलग तरह की सुर्खियां हैं। जहां हम भारत की प्रथम सक्सेज महिलाओं के रूप में प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रथम मिस यूनिवर्स सुस्मिता सेन, प्रथम विश्व सुन्दरी रीता फारिया, प्रथम महिला चिकित्सक कादम्बिनि गांगुली, प्रथम महिला पायलट सुषमा, प्रथम महिला एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली कमलजीत सिंधु, प्रथम अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट में 100 विकेट लेने वाली डायना इदुल, प्रथम सर्वोच्च न्यायालय महिला न्यायाधीश मीरा साहिब फातिमा बीबी और प्रथम उच्च न्यायालय महिला न्यायाधीश लीला सेठ, प्रथम महिला अधिवक्ता रेगिना गुहा, प्रथम महिला आईपीएस किरण बेदी, प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा, प्रथम फिल्म अभिनेत्री देविका रानी, प्रथम महिला सांसद राधाबाई सुबारायन, प्रथम दलित महिला मुख्यमंत्री मायावती, प्रथम महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी, प्रथम भारतीय वायु सेना महिला पायलट हरिता कौर देओल, प्रथम महिला लोक सभा अध्यक्ष मीरा कुमार, प्रथम हिमालयी पर्वतारोही बछेंद्री पाल, प्रथम भारत रत्न इंदिरा गाँधी, पहली महिला ग्रैंड मास्टर भाग्यश्री थिप्से आदि का नाम लेते हैं, वर्तमान में भी तीस ऐसी महिलाएं हैं, जो अपने अपने कार्यक्षेत्र में शिखर पर हैं।
आज भी अनेक भारतीय महिलाएँ पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर देश की प्रगति में भागीदार बन रही हैं। उनका कार्यक्षेत्र कार्पोरेट सेक्टर हो या खेल, फिल्म हो या राजनीति, साहित्य हो या पत्रकारिता। आइए उनसे संक्षिप्ततः परिचित हो लेते हैं। नैना लाल किदवई विदेशी बैंकों द्वारा भारत में निवेश कराने वाली पहली भारतीय महिला हैं। बैंकिंग क्षेत्र की अग्रणी कंपनी ‘एचएसबीसी’ (हांगकांग एंड शंघाई बैंकिंग कोरपोरेशन लिमिटेड) की भारत प्रमुख और डायरेक्टर हैं।
शिमला से स्कूली शिक्षा और दिल्ली यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में स्नातक करने के बाद नैना लाल किदवई ने 'हावर्ड बिजनेस स्कूल' से एमबीए किया। सन् 1982 में ‘स्टैंडर्ड चाटर्ड बैंक’ से करियर की शुरुआत करने के बाद उन्होंने कुछ दिन ‘मोर्गन स्टेनले बैंक’ में काम किया और फिर एचएसबीसी से जुड़ गईं। चेन्नई में जन्मी इंदिरा नूयी ने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से साइंस में डिग्री की और आईआईएम कलकत्ता से एमबीए किया। इस समय दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी खाद्य कंपनी पेप्सीको की अध्यक्ष हैं। ॉ
देश के बड़े और पुराने औद्योगिक घराने बिड़ला परिवार से संबंध रखने वाली हिन्दुस्तान टाइम्स समूह की अध्यक्ष और संपादकीय निदेशक शोभना भरतिया 1986 में हिन्दुस्तान समूह से जुड़ीं थी और तब वे भारत में किसी राष्ट्रीय समाचार पत्र की पहली महिला मुख्य कार्यकारी अधिकारी रही हैं। यूपीए सरकार ने उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी नामित किया। शोभना भरतिया को 'बिजनेस वूमन ऑफ द ईयर' 2001, 'नेशनल प्रेस इंडिया अवॉर्ड' 1992, 'बिजनेस वूमन अवॉर्ड' और 'द इकोनॉमिक टाइम्स अवॉर्ड' आदि मिल चुके हैं।
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फिल्म स्टार जीतेंद्र की बेटी एकता कपूर बालाजी टेलीफिल्म्स कंपनी की संयुक्त मैनेजिंग डाइरेक्टर है। उन्होंने टीवी धारावाहिकों और फिल्म निर्माण के क्षेत्र में अपनी खास जगह बनाई है. सबसे सफल महिला प्रोड्यूसर्स में एकता का नाम आता है। नैना लाल किदवई एचएसबीसी बैंक की भारत शाखा की कंट्री हेड और ग्रुप जनरल मैनेजर हैं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में डिग्री ली है और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए करने वाली पहली भारतीय महिला हैं। चंदा कोचर भारत के सबसे बड़े गैरसरकारी बैंक आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख हैं। राजस्थान में पैदा हुई चंदा कोचर ने मुंबई के जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से एमबीए किया है।
भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद से एमबीए की डिग्री हासिल करने वाली शिखा शर्मा को एक्सिस बैंक ने इस वेतन पर साल 2009 में बतौर एमडी और सीईओ नियुक्त किया। वेतन के अलावा कंपनी ने उन्हें तमाम और सहूलियतें दी हैं। एक्सिस बैंक में आने से पहले शिखा आईसीआईसीआई बैंक में उच्च पद पर थीं। आईसीआईसीआई समूह में 28 साल काम करने वाली शिखा को ही बैंक के पर्सनल फाइनैंस कारोबार की नींव डालने का श्रेय दिया जाता है। उन्हें अगस्त 1998 में आईसीआईसीआई पर्सनल फाइनैंस सर्विसेज का प्रबंध निदेशक बनाया गया। जन्म से फ्रांसीसी सिमोन टाटा, रतन टाटा की सौतेली मां हैं।
लक्मे कंपनी की पूर्व अध्यक्ष को भारत का कॉस्मेटिक जार कहा जाता है। उन्होंने बेचे जाने से पहले टाटा की इस छोटी कंपनी को भारत का सबसे बड़ा कॉस्मेटिक ब्रांड बना दिया। 'जेपी मॉर्गन' में इंडिया की मुख्य कार्यकारी अधिकारी कल्पना मोरपारिया कंपनी के निवेश बैंकिंग, संपत्ति प्रबंधन और दूसरे महत्वपूर्ण कार्यों का नेतृत्व करती हैं। जेपी मॉर्गन से पहले वह आईसीआईसीआई बैंकिंग बोर्ड की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। इसी बैंक में उन्होंने साल 2001 से 2007 तक संयुक्त प्रबंध निदेशक के रूप में भी काम किया। बॉम्बे विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक, मोरपारिया ने, भारत सरकार की कई महत्वपूर्ण समितियों में भी बतौर सदस्य काम किया है।
भारतीय आईटी उद्योग की प्रतिष्ठित हस्ती नीलम धवन इस समय ह्यूलेट पैकर्ड की भारत शाखा की प्रमुख हैं। सन् अस्सी के दशक में एशियन पेंट्स और हिंदुस्तान लीवर जैसी कंपनियों द्वारा ठुकराए जाने के बाद उन्होंने आईटी उद्योग को चुना और अपनी जगह बनाई है। सुलज्जा मोटवानी काइनेटिक मोटर्स की संयुक्त मैनेजिंग डाइरेक्टर हैं। कैलिफोर्निया में इंवेस्टमेंट कंपनी में काम करने बाद उन्होंने अपने दादा की कंपनी ज्वाइन की और अपनी मार्केटिंग रणनीति से कंपनी के विकास में योगदान दिया है। बाईस साल की आयु में पारिवारिक बिजनेस में शामिल होने वाली प्रिया पॉल एपीजे पार्क होटल्स कंपनी की अध्यक्ष हैं।
उद्योग जगत के अलावा सरकार ने भी हॉस्पिटेलिटी उद्योग को उनके योगदान की सराहना की है। सुनीता नारायण भारत की प्रसिद्ध पर्यावरणविद है। सुनीता नारायण सन 1982 से विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र से जुड़ी हैं। इस समय केंद्र की निदेशक हैं। वे पर्यावरण संचार समाज की निदेशक भी हैं। वे डाउन टू अर्थ नाम की एक अंग्रेजी पत्रिका भी प्रकाशित करती हैं जो पर्यावरण पर केंद्रित है। मैसी फार्ग्युसन ट्रैक्टर और कृषि उपकरण बनाने वाली कंपनी टीएएफई की अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मल्लिका श्रीनिवासन को बिज़नेस पत्रिका फ़ोर्ब्स की एशिया की 50 सबसे ताक़तवर कारोबारी महिलाओं में शामिल किया जा चुका है। टैफे की प्रमुख होने के अलावा मल्लिका श्रीनिवासन को अमरिका के एजीसीओ कॉरपोरेशन के निदेशक मंडल के लिए चुना जा चुका है।
अरुंधति राय देश की मशहूर लेखिका हैं। उन्होंने दिल्ली से आर्किटेक्ट की पढ़ाई की। अपने करियर की शुरूआत उन्होंने अभिनय से की। फिल्म ‘मैसी साहब’ में उन्होंने एक भूमिका निभाई। इसके अलावा कई फिल्मों के लिये पटकथाएं भी लिखीं। 1997 में उन्हें उनके उपन्यास ‘गॉड ऑफ स्माल थिंग्स’ के लिये बुकर पुरस्कार से नवाजा गया। खेल के क्षेत्र में बॉक्सिंग में भारत को पहचान दिलाने वाली मैरीकॉम ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी मेहनत की है। इनके पिता एक गरीब किसान थे। इनकी प्राइमरी एजुकेशन लोकटक क्रिश्चियन मॉडल स्कूल (कक्षा 6 तक) और सेंट जेविएर स्कूल (कक्षा 8 तक) से हुई है।
शुरुआत में इनके पिता इनके बॉक्सिंग के खिलाफ थे। इसलिए इन्होंने अपने पिताजी को बिना बताए बॉक्सिंग की ट्रेनिंग ली थी लेकिन आज इन पर और इनकी बॉक्सिंग पर इनके पिताजी के साथ पूरे देश को गर्व है। अरुंधति भट्टाचार्य भारत के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन हैं। वे इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला हैं। इस पद पर पहुंचने से पहले वे एसबीआई की प्रबंध निदेशक और मुख्य वित्तीय अधिकारी थीं। अरुंधति फोर्ब्स की ओर से जारी हुई दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में भी सामिल हो चुकी हैं।
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फॉर्च्यून ने भी इंटरनेशनल लेवल पर 50 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट जारी की थी जिसमें 60 वर्षीय अरुंधति भट्टाचार्य दूसरे स्थान पर रहीं थीं। मशहूर दवा कंपनी बायोकॉन की मालकिन किरण मजूमदार शॉ ने 10 हजार रुपये से अपनी कंपनी शुरु की थी जो आज अरबों रुपये का कारोबार कर रही है। 2015 में कंपनी ने 400 बिलियन डॉलर यानि 264 खरब रुपये का कारोबार किया था। उसी साल इनका नाम फोर्ब्स की ओर से जारी किए गए दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में भी शामिल किया गया था। इनकी कुल संपत्ति लगभग 660 करोड़ रुपये है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की मुख्य कार्यकारी व प्रबंध निदेशक चित्रा रामकृष्ण, सामाजिक कार्यकर्ता तथा सामाज सुधारक मेधा पटकर, भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी निरुपमा मेनन राव, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, महिला वैज्ञानिक टेसी थॉमस, भारतीय टीवी पत्रकार बरखा दत्त के अलावा फिल्म जगत से भी जुड़ी कई महिलाएं शिखर की महिला शख्सियतों में शुमार हैं।
जैसे कि गौरी खान केवल मिसेज खान ही नहीं बल्कि एक सफल इंटीरियर डिजायनर भी हैं। इसके अलावा इन्होंने 2004 में रेड चिलीज एंटरटेनमेंट कंपनी की शुरुआत की थी जिसके बैनर तले 'मैं हूँ ना', 'चेन्नई एक्सप्रेस', 'हैप्पी नई ईयर' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में बनी हैं। हाल में चर्चित फिल्म पैडमैन की लेखिका एवं निर्माता ट्विंकल खन्ना (अभिनेता अक्षय कुमार की पत्नी एवं राजेश खन्ना और डिंपल कपाडिया की पुत्री) 'बरसात' जैसी हिट फिल्म दे चुकी हैं।
उन्होंने भले ही कम ही फिल्में की हों लेकिन इन्होंने अपने करियर का फैसला काफी सोच-समझकर लिया। फिल्मों के बाद इंटीरियर डिज़ाइनिंग में हाथ डाला। इनकी किताबें 'मिसेस फनीबोन्स' और 'द लेजेंड ऑफ़ लक्ष्मीप्रसाद' काफी चर्चित रही हैं। सक्सेसफुल एक्ट्रेस के साथ अगर सक्सेसफुल बिजनेस वुमेन में किसी का नाम सबसे पहले लिया जाता है तो वो है, सुष्मिता सेन। भारत को सबसे पहले मिस वर्ल्ड का ख़िताब जिताने वाली सुष्मिता सेन का मुंबई में अपना एक रेस्टोरेंट है।
इसमें सभी तरह की बंगाली डिशेज़ मिलती हैं। ये पूरे मुंबई में बंगाली डिशेज़ के लिए प्रसिद्ध है। डिम्पल गर्ल प्रीति ज़िंटा ने बॉलीवुड में नाम कमाकर अपना करियर का रुख क्रिकेट की तरफ मोड़ लिया। आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब के नाम से इनकी खुद की टीम है और इस टीम को वो अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती हैं। अब इन्होंने दक्षिण अफ्रीका की ग्लोबल टी-20 लीग में स्टेलेनबोश्च नाम की फ्रेंचाइजी खरीदी है। जूही चावला अपने समय की सबसे हिट एक्ट्रेस थीं। ये उस समय की इतनी बड़ी एक्ट्रेस थीं कि शाहरुख खान भी इनके साथ काम करने में नर्वस हो जाते थे। एक्टिंग के बाद इन्होंने आईपीएल में अपनी टीम खरीदी।
बैडमिंटन में देश का नाम पूरी दुनिया में रौशन करने वाली साइना नेहवाल ने ही बैडमिंटन में चीन की दीवार में दरार पैदा कर भारत को एक कामयाब जगह दिलाई है। इन्हीं के कारण आज देश में महिलाएं बैडमिंटन में अपना करियर बनाने का सपना देख रही हैं। इनके खेल के लिए इन्हें पद्म भूषण, राजीव गांधी खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। नीता अंबानी देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी की पत्नी होने के अलावा भी अपनी एक अलग पहचान रखती हैं। ये मुंबई इंडियन्स की मालकिन हैं और सफल बिज़नेस वुमन भी हैं। इनकी क्रिकेट टीम की सफलताओं के कारण कंपनी का बही-खाता स्ट्रॉन्ग बना जिसके कारण नीता घाटे में चल रही कंपनी को उबारने के साथ 200 करोड़ रुपये की कंपनी की मालकिन भी बन गईं।
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विश्व मंच पर खास तौर से खेल प्रतिस्पर्द्धाओं में भारतीय तिरंगा लहराने वाले महिला खिलाड़ियों का नाम लिए बगैर विश्व महिला दिवस पर उल्लेखनीय स्त्रियों का प्रसंग अधूरा रह जाता है। महिला डबल्स में वर्ल्ड की नंबर एक खिलाड़ी सानिया मिर्जा तीन मिक्स्ड डबल्स ग्रैंड स्लैम जीत चुकी सानिया विंबलडन का डबल्स खिताब भी जीत चुकी हैं। उनको खेल के लिए अर्जुन अवॉर्ड तथा पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है। वह भारत की सफलतम महिला टेनिस खिलाड़ी हैं।
कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान गीता फोगाट ने 2009 में कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। दीपिका पल्लीकल वर्ल्ड रैंकिंग के टॉप टेन में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला स्क्वैश प्लेयर हैं। अपने करियर में कई टूर्नामेंट जीत चुकीं दीपिका को पद्मश्री और अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है। सन् 2003 की वर्ल्ड एथलेटिक चैंपियनशिप में कांस्य जीतकर ऐसा करने वाली पहली भारतीय एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज वर्ल्ड एथलेटिक्स फाइनल में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। उनको पद्मश्री, अर्जुन अवॉर्ड तथा खेल रत्न से सम्मानित किया जा चुका है।
भारतीय तीरंदाज दीपिका कुमारी को अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्डी अंजलि भागवत दस मीटर एयर राइफल में वर्ल्ड नंबर एक रह चुकी हैं। ओलंपिक फाइनल तक पहुंचने वाली वह पहली भारतीय महिला शूटर हैं। सिंधु वर्ल्ड चैंपियनशिप के सिंगल्स मुकाबलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बैडमिंटन प्लेयर हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट कृष्णा पूनिया कॉमनवेल्थ गेम्स की ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला होने के साथ ही ऐसी प्रतियोगिता में गोल्ड जीतने वाली मिल्खा सिंह के बाद सिर्फ पहली एथलीट रही हैं।
इसी तरह खेलों में भारत का सितारा बुलंद करने वाली महिलाओं में पूर्व भारतीय एथलीट शाइनी विल्सन, महिला क्रिकेटर मिताली राज, 1995 की एशियन चैंपियनशिप जीतने वाली कर्णम मल्लेश्वरी, एशियन ट्रैक एंड फील्ड में 13 गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय उड़नपरी पीटी ऊषा, अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित ग्रैंडमास्टर कोनेरू हंपी, सबसे तेज महिला गेंदबाज झूलन गोस्वामी आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
इसके साथ ही साहित्य के क्षेत्र में अग्रणी रहीं भारतीय महिलाओं में मीरा बाई, सरोजनी नायडू, महादेवी वर्मा, सुभद्रा कुमारी चौहान, अमृता प्रीतम, कमला सुरैया, बालमणि अम्मा, नन्दिनी साहू आदि के नाम अपनी-अपनी शब्द-संस्कृतियों से हमें गौरवान्वित करते हैं।
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