कपषप - विज्ञापन की दुनिया में अनोखी पहल
विज्ञापनों का हम सभी के जीवन में एक अलग सा अपना ही महत्त्व है I बचपन से लेकर आज तक हम ना जाने कितने विज्ञापन देखते, पढ़ते व सुनते आये हैं I इनमे से कईं विज्ञापन काफी आकर्षित करते हैं एवं हमारे दिल व दिमाग पर इस कदर छा जाते हैं कि हमें भुलाये नहीं भूलते I समय के साथ एडवरटाइज़िंग के क्षेत्र में भी काफी तरक्की देखी गयी है I टेक्नोलॉजी के इस युग में विज्ञापनदाता अपने विज्ञापनों को लोगो तक पहुचने व उन्हें आकर्षित करने के लिए
कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं परन्तु अगर विशेषज्ञों की बात पर गौर दें तो यह पता चलता हैं कि आज के ग्राहकों की विपरीत मानसिकता के चलते वे उन सभी चीज़ों को मानसिक रूप से ब्लॉक कर देते हैं जो उन्हें आकर्षित करने के लिए ज्यादा प्रयास करती हैं जैसे कि 3D इफेक्ट्स इत्यादि I उनका मानना हैं कि आज के ग्राहक को वे विज्ञापन पसंद आते हैं जो कि सूक्ष्म व दृढ़ तो हो ही बल्कि ऐसे स्थान पर हों जहाँ वे उन्हें कम से कम उम्मीद कर रहे हों I
एमबीए पढ़ रहे साहिल जैन और सिद्धार्थ ने लोगो तक विज्ञापन पहुँचाने का एक गजब तरीका सोचा जिसने विज्ञापन की दुनिया में एक नया मुकाम हासिल किया I एक नयी सोच और टेक्नीक से बने इस विज्ञापन ने लोगो को काफी प्रभावित किया I सिद्धार्थ कहते हैं कि चाय भारतीयों के लिए खास है एवं पूरे दिन में की जाने वाली चर्चा चाय का लुफ्त लेते हुए ही गुज़रती है I वे कहते हैं कि जब वे भी पढ़ाई में थे तो उनके दिन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा चाय की कोने की दूकान पर फिल्मों व राजनीति के विषयों में बात करने में गुज़रता था I तभी उन्हें एहसास हुआ कि वह १५ मिनट का समय बेहद आरामदायक, अव्यवस्था से मुक्त एवं मस्ती भरा था I यह एक ब्रांड को बढ़ावा देने के लिए यह एक आदर्श समय व स्थिति हो सकती है । तभी उनमे यह विचार उत्पन्न हुआ कि अगर वे चाय के कप के साथ चाय स्टालों को ब्रांड करें हैं तो काफी प्रभावशाली विज्ञापन कर सकते हैं I
अपनी आखिरी तिमाही में, उद्यमशीलता का कोर्स चुनकर उन्होंने कपषप विचार पर काम शुरू कर दिया व एक सामाजिक प्रयोग के रूप में एक छोटे से बाजार सर्वेक्षण करने का फैसला किया। अपने इस आईडिया की शुरुआत उन्होंने अपने नज़दीकी चाय वाले से की I इसके लिए उन्होंने १०० कप खरीदे जिसमे उन्होंने एक काल्पनिक ब्रांड व प्रस्ताव के स्टीकर लगाये और इन कप्स को उस चाय वाले स्टाल पर वितरित कराये I बस यही से शुरू हुआ उनके इस कपषप आईडिया को कामयाबी के कदम चूमते देखने का सपना I
हालांकि ये उनके लिए इतना आसान नहीं था I अपने इस आईडिया को साकार बनाने के लिए उन्हें कई मुश्किलो का सामना करना पड़ा I कपषप तीनो संयुक्त दलों के लिए काफी उपयोगी रहा I उन लोगो के लिए जो चाय पीते समय एक बायो डिग्रेडेबल प्रोडक्ट इस्तेमाल कर रहे थे और दूसरी तरफ वो चाय वाले जिन्हे मुफ्त में अपनी दूकान के लिए कप्स मिल रहे थे और वही विज्ञापनदाता के विज्ञापन सभी लोगो तक एक प्रभावी तरीका में पहुंच रहे थे I इन सब के लिए ये विचार विन विन विन साबित हुआ I
सिद्धार्थ का कहना है की टीवी और रेडिओ पर दिखाए और बताये गए विज्ञापन का लोगो की ज़िन्दगी पर इतना गहरा असर नहीं पड़ता जितना की वह प्रिंटेड कप्स लोगो के दिमाग पर एक छाप छोड़ देते है और उसका असर काफी समय तक लोगो पर देखने को मिलता है I कपषप अब भारत के सात शहरों में 1,000 कार्यालयों, 400 से अधिक कॉलेजों, और अधिक से अधिक 2,000 चाय विक्रेताओं का एक मजबूत नेटवर्क बना उसने मुंबई पुणे ,हैदराबाद ,बंगलोरे ,डेल्ही ,नॉएडा ,और गुडगाँव जैसे शहरों पर अपना नेटवर्क बहुत ही मजबूत बना लिया है I मैन्युफैक्चरिंग हब्स, आईटी कंपनियों व कॉलेजों में लोगो ने कपषप जैसा आईडिया को काफी सराहा व आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करी I सभी अपने कॉलेज और कंपनी के बाहर लगे चाय कार्नर पर चाय पीने जाते और साथ साथ टी कप्स पर लगे ब्रांड्स के प्रति जागरूक रहते I ९ से ६ अपने ऑफिस का काम करने के बाद साहिल और सिद्धार्थ आधी रात तक अपना समय अपने कपषप जैसे आईडिया को आगे बढ़ाने में लग जाते I वह गूगल मैप्स के ज़रिये ऐसा टी स्टाल ढूंढ़ते जहा कोई कॉलेज ,कंपनी, आईटी हब , हो और वह अपने इस ब्रांड का विज्ञापन से लोगो को उसके प्रति जागरूक कर सके I २०१४ पायलट कम्पैग्न से शुरू हुआ ये आईडिया आज बड़ी बड़ी कंपनी जैसे कोको कोला ,स्नैपडील ,ओला कैब्स ,अर्बन क्लाप्स के साथ जुड़ चूका है I
कामयाबी के कदम चूमते इस आईडिया ने लोगो को विज्ञापन के प्रति जागरूक ही नहीं किया बल्कि लोगो को अपनी और आकर्षित भी किया और हम इन्हे शुभकामनयें देते हुए ये आशा करते हैं कि कपषप आने वाले समय में खूब तरक्की करे I