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पद्मश्री अभिनेता मनोज बाजपेयी ने फिल्मी दुनिया पर की खुल कर बात... कहा, 'बॉलीवुड में कुछ बहुत बुरे लोग हैं'

बॉलीवुड अभिनेता मनोज बाजपेयी के साथ श्रद्धा शर्मा की बातचीत

पद्मश्री अभिनेता मनोज बाजपेयी ने फिल्मी दुनिया पर की खुल कर बात... कहा, 'बॉलीवुड में कुछ बहुत बुरे लोग हैं'

Friday October 16, 2020 , 4 min Read

हाल ही के दिनों में सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। उनकी मौत के बाद कई तरह के सच झूठ बने और कई तरह के झूठ सच। नेपोटिज़्म पर खुल कर लोगों ने बोला, लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है कि इंडस्ट्री में ये सब देखने को मिल रहा है। फिल्मी दुनिया से जुड़े हुए लोगों के लिए नेपोटिज़्म या किसी भी तरह की राजनीति सामान्य बात है। सभी को इसका सामना करना पड़ता है, लेकिन उन्हीं में से कुछ लोग होते हैं जो अपनी जगह बना लेते हैं और लोगों के दिलों पर राज़ करते हैं।


इसी तरह के कुछ ज़रूरी विषयों पर दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और पद्मश्री सम्मानित अभिनेता मनोज बाजपेयी ने योरस्टोरी की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा के साथ खुल कर बात की।


मनोज बाजपेयी कहते हैं,

“यह ऐसी इंडस्ट्री है जहाँ अलग-अलग तरह के लोग आते हैं और काम करते हैं और चीजों को अपने तरीके से आगे बढ़ाते हैं। इसमें कुछ बहुत अच्छे लोग हैं, कुछ बुरे लोग हैं और कुछ बहुत बुरे लोग हैं। अलग तरह की राजनीति है, यह एक गला-काट व्यवसाय है, यहां बहुत प्रतिस्पर्धा है।"

मनोज क्लासिक बॉलीवुड आउटसाइडर हैं जो बिहार के एक गाँव में पले-बढ़े हैं

मनोज क्लासिक बॉलीवुड आउटसाइडर हैं जो बिहार के एक गाँव में पले-बढ़े हैं

हाल की घटनाओं ने लोगों को इनसाइडर वर्सेज आउटसाइडर पर तीखी बहस को भी जन्म दिया है, जहां सवाल उठाए गए हैं कि क्या बिना किसी बॉलीवुड कनेक्शन के कोई आउटसाइडर कभी भी सही मायने में इस इंडस्ट्री में सर्वाइव नहीं कर सकता है। मनोज खुद एक आउटसाइडर हैं। एक किसान का बेटा, जो बिहार के एक गाँव में पाँच भाई-बहनों के साथ बड़ा हुआ और "झोपड़ी वाले स्कूल" में पढ़ा।


मनोज विस्तार से बात करते हुए कहते हैं,

“मैंने इसे बेहतर तरीके से तय किया क्योंकि मुझे एहसास हुआ कि मैं वहां (बॉलीवुड इनसाइडर सर्कल) नहीं हूं और न ही यह मेरी यात्रा है। मेरी यात्रा अलग-अलग तरह के कामों के बारे में थी, अलग तरह की फिल्में मैंने की थी और मुझे पता था कि तथाकथित कामकाजी कुलीन बिरादरी मुझे उस तरह का काम नहीं दे पाएगी। जिस तरह का काम मैं करना चाहता था, वह तामझाम में रहकर संभव था। और अलग रहने के बारे में अच्छी बात यह है कि, आपसे उनकी तरह बने रहने या उनके जैसा व्यवहार करने की कोई अपेक्षा नहीं है।”

अपने अभिनय कौशल के लिए व्यापक रूप से प्रशंसित, मनोज को बॉलीवुड में बड़ा ब्रेक 1998 की फिल्म सत्या से मिला, जिसके लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। आउटसाइडर होने से उन्हें स्वतंत्रता की एक निश्चित समझ मिली। 51 वर्षीय मनोज नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) से ग्रेजुएट हैं।


मनोज कहते हैं,

“इसलिए मुझे चीजों को अपने तरीके से करने और अपना रास्ता खोजने की आजादी मिली। यह बहुत ही चमत्कारी है कि मैं अभी भी एक ऐसी इंडस्ट्री में हूँ, जो बॉक्स ऑफिस ऑरिएटेंड है।“

हालाँकि, मनोज ने इस सच को नहीं झुठलाया कि उनकी बॉलीवुड यात्रा ऊँच-नीच से भरी रही है और यह पेशे के प्रति प्रतिबद्धता और प्यार की गहरी भावना है जो संघर्ष पर विजय पाने में सक्षम है।


वे बताते हैं,

“इसलिए शायद विभिन्न रास्तों से गुजरकर मैं किसी तरह यहाँ तक पहुँचा हूँ। और मैं हमेशा कहता हूं कि मेरी यात्रा बिल्कुल भी आसान नहीं रही, यह एक रोलरकोस्टर था, यह मुझे एक दिन आसमान तक ले गया और इसने मुझे दूसरे दिन जमीन पर पटक दिया। लेकिन एक बात, जब इसने मुझे जमीन पर पटक दिया तो मैं दर्द से रोया नहीं और मुझे अपने बारे में बुरा नहीं लगा, बल्कि मैंने अगले दिन उठने की कोशिश की और फिर से दौड़ने की कोशिश की।"



यहां देखें पूरा इंटरव्यू:



प्रेरित रहना कई बार मुश्किल था, वह स्वीकार करते है, खासकर जब इंडस्ट्री के लोग उन्हें लीड रोल्स में नहीं चाहते थे। लेकिन अभिनय के प्रति उनके प्यार ने उन्हें हमेशा चलते रहना सीखाया।


मनोज कहते हैं,

"यह मुश्किल था क्योंकि इंडस्ट्री मुझे लीड रोल्स में स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थी जो मुझे पेश किए जा रहे थे, मैं उसका हिस्सा बनने के लिए तैयार नहीं था। यह आपको एक पॉइंट तक परेशान करता है, लेकिन फिर जब आप अगला रोल, जो आप करते हैं, अचानक आप सब कुछ भूल जाते हैं, आप इसमें डूब जाते हैं और आगे बढ़ते रहते हैं। इसलिए आगे बढ़ते रहें, जहां आपका भाग्य आपको ले जा रहा है।”


उनके प्रशंसक उन्हें अमेज़न प्राइम वीडियो की लोकप्रिय सीरीज़, द फैमिली मैन के बहुप्रतीक्षित दूसरे सीज़न में लीड के रूप में देख पाएंगे, जो जल्द ही रिलीज़ होने की उम्मीद है।