अपने बच्चों को ऐसे समझाएं रुपये-पैसों का गणित, बचत का महत्व और तरीके
हमें अपने बच्चों को रुपये-पैसों का गणित सिखाने और बचत के महत्व को समझाते हुए उन्हें इसके तरीके बताने होंगे. वर्तमान हालात के मद्देनज़र यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है. इसे जिम्मेदारी कहना भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. इसे जरूर निभाएं; तरीके यहां हम बता रहे हैं...
बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपया... हम सभी ने ये कहावत जरूर सुनी है. इसका शाब्दिक अर्थ निकाला जाए तो हम कहेंगे, आज आत्मीय रिश्तों की उतनी महत्ता नहीं है जितनी कि रुपये-पैसों की है.
अब ज़रा इसे हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में ढालकर इस पर अमल करें तो... हम वाकई रुपये-पैसों के महत्व को समझते हुए बचत को तवज़्जो देंगे, और जिस तरह से दुनियाभर में अनिश्चितताओं का बाजार गर्म है, बचत करना समझदारी भरा कदम है और यह कदम उठाना हम सभी के लिए बेहद जरूरी हो गया है.
बल्कि हमें अब एक कदम और आगे बढ़ने की जरूरत है, वो कदम है — हमें अपने बच्चों को रुपये-पैसों का गणित सिखाने और बचत के महत्व को समझाते हुए उन्हें इसके तरीके बताने होंगे. यही सही समय है कि हम इसे अपनी नैतिक जिम्मेदारी बना लें.
India Brand Equity Foundation (IBEF) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में दुनिया का शीर्ष वित्तीय साक्षर देश (financial literate country) होने की क्षमता है क्योंकि 25-44 आयु वर्ग के 27.6 प्रतिशत लोग वित्तीय शिक्षा के माध्यम से वित्तीय समावेशन (financial inclusion) कार्यक्रम में भाग लेना जारी रखते हैं.
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि यदि 10-19 आयु वर्ग के युवाओं को भी उचित वित्तीय शिक्षा प्रदान की जाती है, तो अगले दो दशकों में यह दर 20% से अधिक बढ़ सकती है. यह समूह भारत की आबादी का लगभग 21.8% है.
तो चलिए अब हम आपकी मदद करते हैं; आपको अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाने में अर्थात् अपने बच्चों को रुपये-पैसों का हिसाब-किताब सिखाने और बचत के महत्व को समझाने में...
पैसों की समझ है जरूरी
अपने अनुभवों के आधार पर हम कह सकते हैं कि वित्तीय संकट का समय हमें पैसों को मैनेज करने और इसका सही उपयोग करना सिखाता है. बच्चों को अपनी मेहनत की कमाई का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करने और पैसे के मामलों से अवगत होने में मदद करने के लिए आर्थिक रूप से साक्षर बनाना आवश्यक है. पैसा हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन के लिए बेहद जरूरी है, हम न केवल पढ़ाई के लिए इसका उपयोग करते हैं बल्कि हम जो खाते हैं, कपड़े पहनते हैं, तकनीक का उपयोग करते हैं और बहुत कुछ करते हैं. ऐसे में अगर आप अपने बच्चों के सामने पैसों का जिक्र नहीं करते हैं, तो वे इसका महत्व नहीं समझ पाएंगे या उन्हें इसे समझने में देर हो जाएगी. उन्हें बताएं कि पैसा कमाना और खर्चों का हिसाब-किताब करना कितना कठिन है. उन्हें यह महसूस करने में मदद करें कि बचत या निवेश के माध्यम से फंड का सबसे उचित उपयोग मौजूदा फंड का ज्यादा से ज्यादा सदुपयोग करना है.
पैसा कमाया जाता है
अपने बच्चों को यह समझने में मदद करना आवश्यक है कि पैसा कमाना इतना आसान नहीं है, बल्कि इसके लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है. आप उन्हें यह सिखाएं कि आप एक परिवार के मुखिया होने के नाते पैसा कैसे कमाते हैं और उन्हें सैलरी का अर्थ समझाएं. इस तरह, आप पैसों के महत्व को समझने में उनकी मदद कर सकते हैं. इससे उन्हें पैसों की अहमियत का एहसास होगा.
खर्चों का हिसाब-किताब समझाएं
हम हर रोज अपनी दैनिक जरूरतों के लिए अपनी जेब ढीली करते हैं, और पूरे खर्चों का हिसाब-किताब रखते हैं. यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है. इसलिए, वित्तीय साक्षरता हर जगह सिखाई जा सकती है - उदाहरण के लिए, खरीदारी करते समय, आप अपने बच्चों को उनकी चाहत और ज़रूरत के बीच का अंतर सिखा सकते हैं. आप इस अवसर का लाभ उठाकर उन्हें यह समझने में मदद कर सकते हैं कि क्रेडिट या डेबिट कार्ड क्या हैं और/या नकद कैसे काम करता है और कुछ खरीदते समय कैसे इसका उपयोग किया जाता है. आप खरीदारी के बिलों को समझने में भी उनकी मदद कर सकते हैं जिनमें प्राप्त वस्तु के अनुसार लागत और अन्य महत्वपूर्ण विवरण शामिल हैं.
पैसों की बचत का महत्व समझाएं
जैसा कि हमने पहले कहा है — अपने बच्चों को पैसों की बचत के महत्व को समझाना; अपनी नैतिक जिम्मेदारी बना लें. खर्चों को समझने में आप अपने बच्चों की मदद करें और आय और बचत इसमें एक बड़ी भूमिका निभाते हैं. उन्हें सिखाएं कि पहले बचत करना और उसके अनुसार खर्चों को समायोजित करना आवश्यक है. उन्हें अपनी पॉकेट मनी का कुछ हिस्सा अपने गुल्लक में बचत के रूप में रखने की आदत डालने में मदद करें और एक लक्ष्य निर्धारित करें. यह न केवल उन्हें बचत के मूल्य का एहसास कराने में मदद करेगा बल्कि धन-प्रबंधन की बात आने पर उन्हें स्वतंत्रता की भावना महसूस करने में भी मदद करेगा.