पहली बार मोबाइल ऐप पर 'जनगणना-2021' में नए तरह के सवालों से सामना
"नए मानकों (प्रश्नों) के साथ वर्ष 2021 की सोलहवीं जनगणना में 33 लाख कर्मचारियों की मदद से पहली बार ओबीसी ब्योरे के अलावा आधुनिक किस्म के रोजगार, स्किल, एजुकेशन, बीमारी-विकलांगता, प्राकृतिक आपदा से पलायन, जाति आदि पर नागरिकों को कुल 28 तरह के सवालों का सामना करना होगा।"
हमारे देश में हर दस साल बाद जनगणना होती है। भारत में सन् 1872 से हो रही जनगणना का यह सिलसिला आज तक थमा नहीं है। जनगणना का काम केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त का दफ़्तर करता है। चूंकि देश के लिए अपने आगामी नीतिगत निर्णयों में केंद्र सरकार 2021 की जनगणना को आधार बनाएगी, इसलिए गणना में नए विकल्पों की भी जानकारी जुटाना लाजिमी है, खासकर कौशल विकास और रोजगार की दृष्टि से। इस जनगणना में देश भर के नागरिकों को कुल 28 प्रश्नों का सामना करना है। इस बार जनगणना के लिए जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए 01 अक्टूबर, 2020 की तारीख तय की गई है, जबकि बाकी देश में 01 मार्च 2021 की तारीख तय की गई है।
केंद्र सरकार ने इसी साल मार्च में देश की 16वीं जनगणना के लिए अधिसूचना जारी कर दी थी, जिसमें संदर्भ तारीख 1 मार्च रखी गई है, यानी जनगणना में 1 मार्च, 2021 की रात 12 बजे तक देश की आबादी का आंकड़ा होगा। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के बर्फीले क्षेत्रों के लिए संदर्भ समय 1 अक्तूबर, 2020 की रात 12 तय किया गया है। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी तो भारत की आबादी 121 करोड़ थी।
इस बार जनगणना के कई मानक बदलने जा रहे हैं। वक्त और जरूरत के हिसाब से इनमें बदलाव किया जा रहा है। कई मानक वक्त के हिसाब से पुराने हो गए हैं। कई ऐसे मानक हैं, जिन्हें अब तक जनगणना में शामिल नहीं किया गया है। खासकर आधुनिक टेक्नोलॉजी, ग्रामीण इकोनॉमी और किसानों की दशा के बारे में। जनगणना प्रक्रिया औपचारिक रूप से लॉन्च होने के बाद सरकार इस मसले पर सभी राज्यों और राजनीतिक दलों से भी राय लेगी। भविष्य में सरकारी संसाधनों के ठीक-ठीक आवंटन की दृष्टि से सरकार पहली बार प्राकृतिक आपदा के कारण पलायन करने वाले लोगों की अलग-अलग श्रेणियों के हिसाब से ब्योरा जुटाना चाहती है।
इसी तरह पहली बार विकलांगता पर 'बौद्धिक अक्षमता' के तहत पूछे जाने वाले प्रश्नों में कुल 11 श्रेणियां निर्धारित की गई हैं, जिनमें एसिड अटैक से लेकर मनोरोगों, खून की कमी आदि से जुड़ी बीमारियों को वैकल्पिक तौर पर रखा गया है। देश में 46 लाख से अधिक जातियां और उपजातियां हैं। जाति जनगणना के संबंध में कुल 8.19 करोड़ गलतियां मिली थीं, जिनमें से 6.73 करोड़ गलतियां सुधार दी गई हैं। इस बार जनगणना 2021, तीन वर्षों में पूरी हो जाएगी। इसके लिए 33 लाख से अधिक कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। डिजीटल इंडिया की इस जनगणना में पिछले डेढ़ सौ वर्षों की परंपरा टूटने जा रही है। आँकड़े जुटाने के लिए मोबाइल ऐप का उपयोग होगा। उन कर्मचारियों को अलग से मोबाइल भत्ता मिलेगा।
देश आज़ाद होने के बाद जनगणना का काम वर्ष 1948 के जनगणना अधिनियम के तहत होता आ रहा है। लगभग 140 साल से चली आ रही जनगणना में अब तक तीन बड़े बदलाव हुए हैं। पहले यह कई महीनों तक देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग होती थी लेकिन अब एक साथ हर दसवें साल की फरवरी तक इसे पूरा कर लिया जाता है। दूसरे बड़े बदलाव में उल्लेखनीय है कि 1872 से लेकर 1931 तक जनगणना में जातियों की भी गणना की जाती रही थी। यह सिलसिला 1941 की जनगणना तक चला, दूसरे विश्वयुद्ध के कारण आंकड़े संकलित नहीं हो सके। उसके बाद आज़ाद भारत सरकार ने तय किया कि जनगणना में अब जाति नहीं गिनी जाएगी। इसीलिए 1951 से 2011 तक की जनगणना में जातियां नहीं गिनी गईं।
जनगणना में तीसरे बड़े बदलाव का नया अध्याय पिछले साल जुड़ा, जब केंद्र सरकार ने तय किया कि वर्ष 2021 की जनगणना में पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के आंकड़े अलग से गिने जाएंगे। देश में कुल ओबीसी आबादी लगभग 41 फीसदी है। चूंकि जनगणना को ही आधार पर हमारे देश में नीतियां तय होती हैं, इसलिए जातिगत आकड़े आ जाने के बाद देश के लोगों, खासकर आज के युवाओं का रोजगार की दृष्टि से नई चुनौतियों से सामना होगा।
जनगणना में मुख्यतः ऐसे सवाल होते हैं, जिनसे भारतीय नागरिकों की पहचान, उनके काम, स्थान, जीवनशैली आदि की मौलिक और सटीक जानकारियां जुटाई जा सकें। इसी को आधार बनाकर सरकार निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन और आरक्षित सीटों के बारे में निर्णय लेती है। 2021 की जनगणना में जो 28 सवाल जनता से किए जाने हैं, उनमें ये भी पूछा जाएगा कि इस जनगणना में ये भी पूछा जाएगा कि आप हिन्दू हैं तो किस शाखा अथवा संप्रदाय से, यानी जैन हैं तो किस संप्रदाय के? क्या आप पीएचडी हैं, आपने कानून या भाषाओं या इंजीनियरिंग या अर्थशास्त्र का अध्ययन किया है, क्या प्राकृतिक आपदा ने आपको अपने शहर-गांव से दूर जाने के लिए मजबूर किया, क्या आप मस्तिष्क संबंधी किसी विकार से पीड़ित हैं, क्या आप कभी एसिड अटैक का शिकार हुए थे....आदि-आदि? हर बेरोजगार से पूछा जाएगा कि वह किस सेक्टर में, पार्ट टाइम नौकरी चाहता है या फुल टाइम?
इस बार जनगणना लिस्ट में, कुल 250 नौकरियों का विकल्प रेखांकित है। जिनमें आम डॉक्टर (फिजिशियन, जनरल मेडीसिन, सर्जन आदि) और डेंटिस्ट ( दातों के डॉक्टर) का अलग, मिठाईवाले और मछली वाले का अलग विकल्प है। स्किल से जुड़े दो तरह के सवाल पूछे जाएंगे। मसलन, आप स्नातक हैं या परास्नातक? इसमें 22 विकल्प हैं, जिनमें पॉलिटेक्निक डिप्लोमा से लेकर पीएचडी तक को शामिल किया गया है। अलग-अलग कौशल से जुड़ीं अलग श्रेणियां भी इसमें होंगी, जैसे आईटी, नर्सिंग, इंजीनियरिंग, लॉ, मैनेजमेंट, कॉमर्स, भाषा, कृषि, साइंस, आर्ट्स और सोशल साइंस आदि। यह जनगणना न सिर्फ देश की जनसंख्या और दूसरे सामाजिक पहलुओं को सामने लाएगी, बल्कि उन तमाम आंकड़ों को भी समेटगी जो अब तक की जनगणना में कभी शामिल नहीं किए गए।