आईआईएम में भी लड़कियों की भारी बढ़त ने जेंडर गैप को और पीछे छोड़ा
"जेंडर पैरिटी इंडेक्स में बेहतर मौजूदगी के बाद अब बिजनेस सेक्टर के एजुकेशन आईआईएम में भी लड़कियों की जोरदार धमक ने साबित कर दिया है कि आईआईटी समेत ऐसे संस्थानों में भी जेंडर गैप लगातार कम होते जाना यानी लड़कियों की लगभग पचास फीसदी तक भागीदारी देश की बड़ी कामयाबी का साफ संकेत है।"
आईआईटी हो या आईआईएम, हर फील्ड में शानदार करियर से पहले मौजूदा समय के हिसाब से बेहतर उच्च शिक्षा में भी लड़कियां लगातार बढ़त ले रही हैं। प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में जेंडर गैप कम करने को लेकर सरकार भी गंभीर है। इसीलिए आईआईटी बोर्ड की ओर से लड़कियों के लिए 20 प्रतिशत सीटों का एक 'सुपर न्यूमेरी' कोटा बना दिया गया है। एक ताज़ा स्टडी के मुताबिक इस साल भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के दो वर्षीय एमबीए में भी छात्रों के मुकाबले लड़कियों की संख्या 42 फीसदी तक पहुंच गई है। इसमें आईआईएम इंदौर (म.प्र.) टॉप पर है, जहां 42 फीसदी लड़कियों का दाखिला हुआ है।
देश की सबसे प्रतिष्ठित कैट परीक्षा में भी लड़कियों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। 25 नवंबर 2018 को आयोजित कॉमन एंट्रेंस टेस्ट में देश भर की 84,350 छात्राओं की भागीदारी रही, जो 2017 की तुलना में 20 हजार ज्यादा थी। इसी तरह आईआईएम के कॉमन एडमिशन टेस्ट में पहली बार देश भर से कुल 84,350 छात्राओं ने रजिस्ट्रेशन कराया, जबकि 2013 में यह संख्या 56,409 थी। इसी वजह से आईआईएम ने छात्राओं और गैर-इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले छात्रों के लिए सीट रिजर्व कर दी, ताकि जेंडर गैप को अधिकाधिक कम किया जा सके। नतीजा सामने है कि अब आईआईएम के 2021 बैच में लड़कियों ने आश्चर्यजनक बढ़त ले ली है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के ऑल इंडिया हायर एजुकेशन सर्वे के मुताबिक, जेंडर पैरिटी इंडेक्स (जीपीआई) में पिछले सात सालों में देश में भारी परिवर्तन आया है। 2010-11 में जीपीआई 0.86 था जो 2016-17 में बढ़कर 0.94 हो गया। ये आंकड़े दिखाते हैं कि कम से कम सात राज्यों (जम्मू-कश्मीर, गोवा, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, केरल) में तो लड़कियों ने लड़कों को उच्च शिक्षा में पीछे छोड़ दिया है। लड़कियों की उच्च शिक्षा में तमिलनाडु सबसे आगे है। सर्वेक्षण के मुताबिक, देश के कुल 864 विश्वविद्यालयों में 1.9 करोड़ लड़के और 1.67 करोड़ लड़कियों के दाखिले का अनुपात है। ग्रेजुएट में तकरीबन 80 फीसदी, पोस्ट ग्रेजुएट में 11.2 फीसदी और पीएचडी में 0.4 फीसदी लड़कियों का अनुपात है। देश के टॉप-6 आईआईएम में इस साल लड़कियों का प्रतिशत पिछले साल के 26 फीसदी से बढ़कर 33.5 फीसदी पहुंच गया है। आईआईएम के ताज़ा 2021 बैच में बेंगलुरु में 37 फीसदी, लखनऊ में 37 फीसदी, अहमदाबाद में 24 फीसदी छात्राओं का अनुपात है।
बिजनेस स्कूलों में छात्राओं की आश्चर्यजनक बढ़त को इस एजुकेशन फिल्ड के विशेषज्ञ एक बेहतर कामयाबी मान रहे हैं। उनका कहना है कि इंडस्ट्री में शीर्ष पदों पर महिलाओं की कम संख्या की शुरुआत इसी फ्रंट से होती रही है। वैसे भी आज वर्कफोर्स डायवर्सिटी सुनिश्चित करने के क्रम में महिला की संख्या बढ़ाना वक्त की पहली जरूरत हो गई है। जेंडर गैप करने का आईआईएम का अपना अलग तरीका है। वहां इंटरव्यू के लिए शॉर्ट लिस्टिंग में लड़कियों के अच्छे परिणाम के लिए ज्यादा अंक दिए जाने लगे हैं। इंदौर की तरह आईआईएम कोझिकोड ने इंटरव्यू से पहले बारहवीं के अंकों का गुणनफल बड़ा कर दिया है। इससे आईआईएम में जेंडर डायवर्सिटी बढ़ी है।
यद्यपि एकेडमिक दृष्टि से इस तरह डायवर्सिटी बढ़ाने अथवा जेंडर कोटा मजबूत करने की प्रक्रिया के प्रति आईआईएम अहमदाबाद अभी तटस्थ है। फिलहाल, ऑल इंडिया हायर एजूकेशन सर्वे के मुताबिक, जेंडर पैरिटी इंडेक्स में लड़कियों ने कई राज्यों में, जो लड़कों को पीछे छोड़ दिया है, इसे जेंडर गैप कम होने की दिशा में एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है लेकिन भारत 2020 तक ग्रॉस इनरोलमेंट अनुपात में 30 फीसदी तक का लक्ष्य बना रखा है। तुलनात्मक दृष्टि से भारत अभी चीन (43.39 फीसदी) और अमेरिका (85.8 फीसदी) से काफी पीछे है।