फ्यूचर ऑफ वर्क 2020: क्योरफिट के मुकेश बंसल ने बताया कहां से मिली फिटनेस पर फोकस करने की प्रेरणा

फ्यूचर ऑफ वर्क 2020: क्योरफिट के मुकेश बंसल ने बताया कहां से मिली फिटनेस पर फोकस करने की प्रेरणा

Saturday February 29, 2020,

8 min Read

व्हाइट ट्रेनर्स पहने मुकेश बंसल एक कूल और कैजुअल अंदाज में स्टेज पर आते हैं। वह एक ऐसी उर्जा से भरे हुए इंसान के रूप में नजर आते हैं, जो एक कंपनी के प्रुमख के तौर पर हेल्थ और वेलनेस की दुनिया को जीतने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है।


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मुकेश एक फायरसाइड चैट के लिए आए थे, जहां पैर रखने की भी जगह नहीं थी। यहां तक ऑडियंस सीट न मिलने पर आने-जाने वाले रास्तों में खड़ी थी। जाहिर है कि सभी मुकेश को सुनने के लिए उत्सुक थे और यह जानना मुश्किल नहीं है कि ऐसा क्यों था।


मुकेश बंसल पूरे भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में सबसे विश्वसनीय और ईमानदार उद्यमियों में से एक हैं। यह एक ऐसी क्वालिटी है, जिसकी झलक आपको सिर्फ उनके व्यक्तित्व में ही नहीं, बल्कि उनके द्वारा खड़े किए गए बिजनेस में भी मिलेगा।


फ्यूचर ऑफ वर्क के तीसरे संस्करण में मुकेश बंसल ने एक फायरसाइड चैट में योरस्टोरी की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा से अपनी कारोबारी सफर, सफर के साथी और अपनी मंजिल को लेकर बात की।


भारतीय उद्यमियों के पोस्टर ब्वॉय

श्रद्धा शर्मा ने बातचीत की शुरुआत उन्हें 'भारतीय स्टार्टअप ईकोसिस्टम का पोस्टर व्बॉय' कह कर की।


निश्चित रूप से इस टाइटल का इस्तेमाल देश में तेजी से बढ़ते स्टार्टअप ईकोसिस्टम में कई उद्यमियों के लिए किया जाता है, लेकिन सही मायनों में यह ऐसा टाइटल है जो मुकेश की उपलब्धियों पर पूरी तरह से फिट बैठता है। जैसे- पहले मिंत्रा और अब क्योरफिट जैसे सफल और टिकाऊ बिजनेस की स्थापना करना, सफलतापूर्वक कंपनियों से एग्जिट करना, मार्की निवेशकों का भरोसा जीतना और लगातार स्तर और प्रभाव को बढ़ाने के लिए जीवनशैली और आदतों पर पुनर्विचार करते रहना।


श्रद्धा ने एक बातचीत की शुरुआत करते हुए मुकेश से उस सोच के बारे में पूछा, जहांं से उन्हें एक ऐसे देश में फिटनेस पर फोकस करता हुए बिजनेस शुरू करने की प्रेरणा मिली, जो एक्सरसाइज करने को लेकर ज्यादा उत्सुक नहीं दिखता है।


मुकेश ने मिंत्रा और क्योरफिट के पहले के अपने जीवन के बारे में बताते हुए कहा, "इसमें संयोग की बहुत बड़ी भूमिका थी।"


उन्होंने बताया,

"मैं छह महीने की लंबी छुट्टी लेना चाहता था और घूमना, गोल्फ खेलना और वह सबकुछ करना चाहता था, जिसके बारे में मैं सोचा करता था।"


हालांकि हकीकत यह है कि मैं सिर्फ एक महीने में ही बोर हो गया था। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बोरियत एक महान प्रेरक है, और इससे मुझे यह सोचने को मिला कि मैं आगे क्या करना चाहता हूं। मैंने उसी समय अंकित नागोरी के साथ बात की और हमें यकीन था कि हम कुछ बनाना चाहते हैं, जिसके मूल में टेक्नोलॉजी थी, जो बड़े पैमाने पर असर डाल सके और एक बड़े व्यवसाय में विकसित होने की क्षमता रखता हो। इस तरह क्योरफिट की स्थापना हुई।


इसी चरण में मुकेश एक दिन टहलते हुए कल्ट नाम के एक जिम में चले गए, जो मुक्केबाजी और कुश्ती जैसे असामान्य वर्कआउट पर केंद्रित था। इसी तरह के एक वर्कआउट के दौरान एक दिन एक भारी भरकम शरीर वाले लड़के के साथ उनकी जोड़ी बनाई गई, जिसे उनसे कुश्ती करते हुए रग्बी बॉल छिनने का काम सौंपा गया था।


गेंद को अपने पास रखने की उत्साह में मुकेश के पसली की एक हड्डी टूट गई, जिसके बाद उन्हें रुक जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वर्कआउट के लिए दर्शकों का उत्साह देखकर ही मुकेश ने अंदाजा लगा लिया था कि इस सेगमेंट में अच्छा भविष्य है। इसी के साथ कल्टफिट की शुरुआत हुई।


यहां एक हल्का-फुल्का माहौल भी देखने को मिला जब श्रद्धा ने उनसे मजाक में कहा कि गोल्फ खेलने के लिए 6 महीने की लंबी छुट्टी लेने का विकल्प एक पैसे से मजबूत और शायद अच्छी एग्जिट पाने वाले इंसान की लग्जरी थी, जिसे मुकेश ने हंस कर टाल दिया।


ऐप का आदी बनाना

क्योरफिट ऐप के लॉन्च को लेकर श्रद्धा ने मुकेश से पूछा कि वे कैसे लोगों को इसका आदी बनाएंगे।


मुकेश ने जवाब दिया,

'मैं प्रेरणा के लिए एपल की ओर देखता है, जो एक मजबूत कोर वैल्यू वाला ब्रांड है। सीधे शब्दों में कहें तो इसका ध्यान सिर्फ लीक से हटकर शानदार प्रॉडक्ट बनाने पर होता है, जो लोगों के दिलों में जह बना लेता है।'
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मुकेश बंसल, CureFit के कॉ-फाउंडर और सीईओ


उन्होंने बताया,

'दूसरी सबसे अहम चीज यह है कि मैं कस्टमर फीडबैक में विश्वास करता हूं। हमारे पास रोजाना 70,000 कस्टमर फीडबैक प्वाइंट्स आते हैं और हम इनकी वजह से लगातार सीख रहे हैं और सुधार कर रहे हैं।'


अलग-अलग प्रोडक्ट और शक्तिशाली ब्रांड्स बनाने की उनकी स्ट्राइट रेट के बारे में बात करते हुए श्रद्धा ने उनसे पूछा कि क्या इसकी सफलता इसमें छिपी है कि आपके पास अच्छी फंडिंग है और क्या कोई ब्रांड और प्रोडक्ट बनाने के रास्ते हैं।


उन्होंने बताया, 'मेरा दृढ़ विश्वास है कि प्रोडक्ट अपने आप में एक मार्केटिंग टूल है। Myntra से पहले मेरे करियर का अधिकांश समय लगभग प्रोडक्ट मैनेजर के तौर पर बीता है और दूसरे प्रोडक्ट को बनाने के सफर में इसकी अहम भूमिका रही है। Myntra के पहले चार वर्षों में काफी संघर्ष देखने को मिला था। हमने अपने मूल संदेश पर ध्यान केंद्रित किया है- लोगों को अच्छा दिखना चाहिए- और हमने अपनी सारी ऊर्जा को यह सुनिश्चित करने में लगा दिया कि ह इस संदेश को पहुंचा पाएं। जहां तक ग्राहकों के साथ जुड़ने की बात है, तो इसके हजारों तरीके हैं। यह देखना फाउंडर का काम है कि ब्रांड और ग्राहकों के हितों के लिए क्या अच्छा काम करता है और उसके लिए उसे उपलब्ध मौकों को भुनाना चाहिए।'


टेक और प्रोडक्ट टीम बनाना

यह पूछे जाने पर कि टेक और प्रोडक्ट टीम को तैयार करने के लिए उन्होंने क्या तरीका अपनाया, मुकेश ने बताया कि वर्क कल्चर को एक फीचर के रूप में सोचना अच्छी चीज है। इसके साथ वैसा ही व्यवहार करिए जैसा आप दूसरे फीचर के साथ करते हैं- उन पर गहनता से विचार कीजिए, गो-लाइव डेट्स कीजिए और जो फीचर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हों, उन्हें हटा दीजिए।


उन्होंने कहा,

'आपके द्वारा बनाई गई टीम योग्यता, क्षमता और संस्कृति के नजरिए से अहम है।'


जॉब टाइटल के बारे में मुकेश का मानना है कि ये क्षणिक हैं। वह अपने टाइटल को एक दार्शनिक अंदाज से देखते हैं और उसे W.I.P. का दर्जा देते हैं- वर्क इन प्रोग्रोस।


उन्होंने कहा,

'मैं टाइटल्स में विश्वास नहीं करता। हमारे पास कोई नियमित अप्रेजल साइकल नहीं हैं। लेकिन इसकी जगह हम अपने कर्मचारियों के लिए कैरियर मार्ग की मैपिंग करने में विश्वास करते हैं। अप्रेजल के बदले में, हम इस बात पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि कर्मचारी ने क्या हासिल किया। साथ ही एक बेहद पारदर्शी तरीके से उसके सहकर्मियों की प्रतिक्रिया भी लेते हैं।'


जानकरी के साथ बढ़ना

हेल्थ के मैक्रो-डिजिटलीकरण ने इस सेक्टर में काफी मौके और इनोवेशन की संभावनाएं पैदा कर दी है, खासकर से जिस सेगमेंट में क्योरफिट ऑपरेट करती है।


मुकेश ने बताया, "शुरुआत में ही यह स्पष्ट हो गया था कि यह सभी मापदंडों को हासिल करने और उनसे जानकारी हासिल करने के बारे में था। यह एत तरह से पैटर्न को देखने और सही हस्तक्षेप करने के बारे में है। यहां तक कि जिन में वर्कआउट पर आने जैसी छोटी चीज के लिए हम 10 मिलियन डेटा प्वाइंट्स का इस्तेमाल करते हैं और एल्गोरिदम का इस्तेमाल कर एक तार्किक प्रगति पर पहुंचते हैं।"


ग्लोबल लेवल पर बिजनेस ले जाने पर

ग्रोथ की संभावना को लेकर उन्होंने कहा,

'हमारा लॉन्ग टर्म विजन खुद को एक ग्लोबल हेल्थटेक कंपनी में बदलने का है। अच्छी चीज यह है कि फिलहाल इसमें कोई वास्तविक कॉम्पिटीशन नहीं है और बुरी चीज भी यही है कि कोई वास्तविक कॉम्पिटीशन नहीं है।'


दूसरी बार उद्यमी बनने के सबक

यह पूछे जाने पर कि क्या दूसरी बार उद्यमी बनना अधिक आसान था, मुकेश ने बताया, 'बिल्कुल नहीं। अगर आपको लगता है कि यह आसान है तो ऐसा नहीं है। दूसरी बार उद्यमी बनना कहीं ज्यादा मुश्किल काम है। आपको अपने गेम में शीर्ष पर बने रहना होता है और प्रत्येक आने वाला स्टार्टअप नए मौकों, चुनौतियों और संभावनाओं के साथ आता है।'


नो लिमिट्स: द आर्ट एंड साइंस ऑफ हाई परफॉर्मेंस

मुकेश ने अपनी हालिया बेस्टसेलिंग बुक, 'नो लिमिट्स: द आर्ट एंड साइंस ऑफ हाई परफॉर्मेंस' को लेकर भी बात की।


उन्होंने बताया,

“मेरी पुस्तक वास्तव में उन सभी पुस्तकों का एक सारांश है, जिन्हें मैंने अपनी 10 साल की यात्रा में पढ़ा है। मेरा यह भी मानना है कि स्वस्थ मन और शरीर ने मेरे जीवन के दर्शन को आकार दिया है। मेरे लिए फिटनेस बेहद जरूरी है। यह मेरी जादुई गोली है।"


उन्होंने आगे कहा,

"फिटनेस वह उपहार है जो देता रहता है। मेरा मानना है कि यह मेरे जीवन के लगभग सभी पहलुओं में सुधार कर सकता है।"


उन्होंने दर्शकों को एक्सरसाइज करने की कोशिश और उसे आदत बनाने की सलाह देते हुए कहा, 'किसी भी तरह की एक्सरसाइज अच्छी चीज है। यहां तक कि एक साधारण सुबह की सैर भी होगी।'


निवेश हासिल करने वालों से लेकर निवेशक तक

फायरसाइड चैट के अंत में श्रद्धा ने मुकेश से पूछा कि क्या वह एंजेल इनवेस्ट हैं?


इस पर उद्यमी का कहना था,

"मैं आमतौर पर सजग इंसान हूं और एक वर्ष में सिर्फ एक निवेश ही करता हूं। जब निवेश की बात आती है, तो मैं गहरे तकनीकी स्टार्टअप की तलाश करता हूं।”


उन्होंने अंत में कहा, 'क्योरफिट भी इनोवेटिट हेल्थटेक स्टार्टअप्स के अधिग्रहण के लिए तैयार है।'


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