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चीन से मुक़ाबला करने के लिए 600 अरब डॉलर लगाएँगे G7 देश, पीएम मोदी तीसरी बार आमंत्रित, कहा भारत पर्यावरण के लिए प्रतिबद्ध

G-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी और विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है. इसीलिए इसे G-7 समूह के नाम से भी जाना जाता है. इस समूह में जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, अमेरिका, जापान, फ़्रांस और कनाडा शामिल है.

चीन से मुक़ाबला करने के लिए 600 अरब डॉलर लगाएँगे G7 देश, पीएम मोदी तीसरी बार आमंत्रित, कहा भारत पर्यावरण के लिए प्रतिबद्ध

Tuesday June 28, 2022 , 3 min Read

बवेरियन ऐल्प्स, जर्मनी में G-7 के 48वें शिखर सम्मलेन में सात आर्थिक महाशक्तियों ने तय किया है कि वे विकासशील देशों में 600 अरब डॉलर का निवेश करेंगे. यह पैसा यह देश मिलकर अगले पाँच साल में जुटाएँगे.  इसे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का मुक़ाबले करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. ध्यान रहे कि भारत ने कुछ वर्ष पूर्व चीन की इस पहल में शामिल होने से इंकार कर दिया था. ऐसे में पीएम मोदी की जर्मनी में उपस्थिति यह दर्शाती हैं कि दुनिया के सबसे अमीर देशों के लिए भारत का महत्व बढ़ता जा रहा है. भारत और चीन दोनों ही G7 का हिस्सा नहीं हैं. 

यह पहला अवसर नहीं है जब भारत को विशेष आमंत्रण पर G7 में बुलाया गया हो. नरेंद्र  मोदी के कार्यकाल में तीन बार और मनमोहन सिंह के समय में पाँच बार भारत को शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया जा चुका है. तब यह G8 हुआ करता था. 

क्या है G-7 और यह समूह करता क्या है?

G-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी और विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है. इसीलिए इसे G-7 समूह के नाम से भी जाना जाता है. इस समूह में जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, अमेरिका, जापान, फ़्रांस और कनाडा शामिल है. 

इस समूह का गठन साल 1975 में किया गया था. उसी साल इसकी पहली बैठक आयोजित हुई थी. बैठक में दुनिया भर में बढ़ रहे आर्थिक संकट और उनके समाधान पर चर्चा हुई. इस समूह में तब सिर्फ 6 देश थे. अगले साल 1976 में इस समूह में कनाडा जुड़ा और G-7 बन गया. 1997 से 2014 के बीच रूस भी इसका सदस्य रहा और तब यह G8 कहलाता था. 

G6

G6 Summit इमेज क्रेडिट: Bloomberg Quicktake

G-7 के शिखर सम्मलेन में समूह के7 देशों के अलावा भी दूसरे देशों के प्रतिनिधि शिरकत करते हैं जिसका फ़ैसला आर्थिक और राजनैतिक आधार पर होता है. इस साल के सम्मलेन में भारत के अलावा, इंडोनेशिया, अर्जेंटीना, सेनेगल और साउथ अफ्रीका को पार्टनर देशों की तरह निमंत्रित किया गया. उक्रेन के राष्ट्रपति जेलिंसकी ने एक वीडियो कॉल के ज़रिये अपनी बात रखी और आने वाली सर्दियों से पहले युद्ध ख़त्म करने की अपील की.  पी. एम. मोदी ने पर्यावरण पर भारत के कमिटमेंट के बारे में कहा कि हमारी पर्फ़ॉर्मन्स ही हमारा कमिटमेट है. 

G7

G7 Summit इमेज क्रेडिट: PMO twitter

क्या होता है एजेंडा? 

यह समूह स्वतंत्रता, मानवाधिकारों, लोकतंत्र और विकास के सिद्धांत पर नीति और निवेश के निर्णय लेता है. यह सम्मलेन हर साल आयोजित होता है. इस दौरान देशों के प्रतिनिधि आपसी हितों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करते हैं. इसके अलावा अलग-अलग वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा होती है, जैसे-पर्यावरण, एनर्जी पॉलिसी, हेल्थ, आर्म्स कण्ट्रोल आदि. हर साल के शिखर सम्मलेन में हुई वार्ता को सम्मलेन के ख़तम होने के बाद जारी किया जाता है. 

क्या रहा इस साल का G7 एजेंडा? 

इस साल 5 ऐसे क्षेत्र चुने गये हैं जिन पर G7 फ़ोकस और निवेश करेगा. इहें  “एरिया ऑफ़ एक्शन” कहा गया हैं.  सस्टेनेबल प्लेनेट, आर्थिक स्थिरता, स्वास्थ्य, बेहतर भविष्य के लिए निवेश, संघे शक्ति [Stronger Together].

बेहतर भविष्य के लिए निवेश के तहत ही विकासशील देशों में 600 अरब  डॉलर के निवेश का निर्णय लिया गया है.