टीनेज लड़कियों ने ऐसा गेम बनाया जो 4 साल की उम्र से बच्चों को सिखाएगा बचत और निवेश
15 और 18 साल की लड़कियां बन चुकी हैं आंत्रप्रेन्योर.
विया जैन और आकर्षी गौर को याद है कि किस तरह उनके पेरेंट्स घर में फाइनेंस, स्टॉक्स और इन्वेस्टमेंट्स के बारे में बात करते रहते थे. टीनेज के दौर में उनकी बातें समझना बड़ा मुश्किल था. जब ऐसी बातें होतीं तो ये लड़कियां उसपर ध्यान न देकर आगे बढ़ जातीं. सोचतीं, छोड़ो, बड़े लोगों की बातें होंगी.
ये दो लड़कियां पहली बार एक दूसरे से थापर आंत्रप्रेन्योर अकैडमी (TEA) में ऑनलाइन मिलीं. दोनों की बातचीत हुई और उन्होंने पाया कि फाइनेंस से जुड़े बड़े-बड़े शब्दों को लेकर उनके अनुभव एक जैसे ही हैं. उन्होंने तय किया कि क्यों न बच्चों को इन शब्दों के मतलब समझाए जाएं. जिससे वो कम उम्र में ही इन्वेस्टमेंट और सेविंग के अर्थ समझ सकें.
18 साल की आकर्षी इंदौर से आती हैं और फ़िलहाल यूनिवर्सिटी और कैलिफ़ोर्निया जॉइन करने की तैयारी में हैं. वो कहती हैं, "जब मैं 18 की हुई तो मैंने पाया कि मेरा बैंक अकाउंट भी है और कुछ ही साल में मैं पैसे भी कमाना शुरू कर दूंगी लेकिन मुझे सेविंग और इन्वेस्टमेंट के बारे में कुछ भी नहीं पता है. शॉर्ट में कहूं तो पैसों के मामले में मेरी जानकारी है ही नहीं.
फिर वो 15 साल की विया से मिलीं जो ओबेरॉय इंटरनेशनल स्कूल, मुंबई में पढ़ाई कर रही थीं. दोनों ने अपने TEA मेंटर्स के साथ घंटों चर्चा की. जिसके बाद जन्म हुआ
का, एक ऐसा प्लेटफॉर्म जो खेल-खेल में 4 से 9 साल के बच्चों को सेविंग और इन्वेस्टमेंट के बारे में बताता है.आकर्षी और विया के मेंटर ने उन्हें प्रोत्साहित किया कि वो इस एरिया में और रिसर्च करें और 100 पेरेंट्स के बीच एक सर्वे करें.
सर्वे के नतीजे प्रोत्साहित करने वाले थे. 100 फीसदी माता-पिता ने माना था बच्चों में छोटी उम्र से ही फाइनेंस की समझ डालना महत्वपूर्ण है. 85% ने माना था कि 4-11 साल के बच्चों में फैसले लेने और बजट की समझ होनी जरूरी है. 95% माता-पिता को ऐसे किसी प्रोडक्ट की जानकारी नहीं थी जो बच्चों को पैसों के बारे में बताता हो. वहीं 88% ये चाहते थे कि उनके बच्चों का स्क्रीनटाइम कम हो जाए.
लकड़ियों को सर्वे के बाद ये भी पता चला कि केवल एक-तिहाई वयस्कों को ही फाइनेंस से जुड़े कॉन्सेप्ट्स की जानकारी थी. ऐसे में वो अपने बच्चों को ये ज्ञान कैसे दे पाते?
TEA में मौजूद टीम की मदद से आकर्षी और विया ने अपने आइडिया को असलियत में बदलने की कवायद शुरू कर दी.
"हमारे मेंटर आनंद अग्रवाल और कुनाल मेहरा ने काफी चिंतन-मनन और प्लानिंग के बाद FinFloat को शुरू करने और पिच करने में हमारी मदद की. हमें हमेशा से पता था कि हम आन्त्रप्रेन्योर बनकर बदलाव लाना चाहते हैं और अब सपना सच होने वाला था", आकर्षी बताती हैं.
लड़कियों ने अपना आइडिया TEA के इन्वेस्टर पैनल को पिच किया और दोनों को 40,000 की फंडिंग मिली जो उनके वेंचर के लिए 'सीड मनी' बना.
FinFloat का आइडिया बहुत मुश्किल नहीं है. ये एक बॉक्स है जिसमें एक रिवॉर्ड कार्ड, एक इंस्ट्रक्शन कार्ड, एक स्टीकर शीट के साथ 55 और कार्ड हैं जो दो सेट में बंटे हैं. इन कार्ड्स का लक्ष्य है बच्चों को फाइनेंस के कॉन्सेप्ट सिखाना. कार्ड्स के दोनों सेट्स भी समझ लीजिए:
1. लीन कार्ड्स: इन कार्ड्स में बेसिक कॉन्सेप्ट लिखे हुए हैं जो बच्चों को फाइनेंस की दुनिया में दाखिल होने में मदद करते हैं. इन कॉन्सेप्ट्स में शामिल हैं- 'नीड', 'वांट', डिलेड ग्रैटीफ़िकेशन, बजट, सेविंग वगैरह, जिन्हें आसान भाषा में समझाया गया है. इन कार्ड्स से सीखने के बाद बच्चे टास्क कार्ड की ओर बढ़ते हैं, जहां वो अपने सीखे हुए ज्ञान को अप्लाई करना सीख पाते हैं.
2. टास्क कार्ड्स: इन कार्ड्स में पेरेंट्स की मदद से बच्चों को टास्क पूरा करने के लिए दिया जाता है. हर टास्क के पॉइंट्स होते हैं. ये पॉइंट्स जमा होते हैं और जमा पॉइंट्स को रिडीम करवाकर बच्चे रिवॉर्ड ले सकते हैं. ये बच्चों के ऊपर है कि वो कितने पॉइंट कबतक जमा करते हैं, कब उन्हें रिवॉर्ड के लिए खर्च करते हैं. बच्चे अपने पॉइंट तुरंत खर्च कर छोटे रिवॉर्ड ले सकते हैं या उन्हें बड़े रिवॉर्ड के लिए बचा सकते हैं. इससे उनके अंदर पैसों को बचाने और खर्च करने को लेकर फैसले लेने की समझ बढ़ती है.
"बच्चे बड़े होकर असल दुनिया में गलती करें, इससे अच्छा वो इस उम्र में सीखते हुए अपने माता-पिता के सामने गलतियां करें. यही सिखाना FinFloat का लक्ष्य है", विया बताती हैं.
अपनी विशेषता खोजना
लड़कियों के मुताबिक़, सबसे मुश्किल था विशिष्टता का चुनाव और फिर जो कॉन्सेप्ट्स वे रखना चाहती थीं, उन्हें चुनना.
"हमारे मेंटर्स ने ये सभी चुनाव करने में हमारी मदद की और हमारे प्रोडक्ट का फॉर्मेट तय किया. फिर चुनौती ये थी कि सही मैनूफैक्चरर खोजा जाए. लेकिन हमें वो भी मुंबई में मिल गए.
2021 में शुरू हुआ FinFloat अभी तक 100 बॉक्स बेच चुका है. एक बॉक्स की कीमत 499 रुपये है और इसे इनके इन्स्टाग्राम हैंडल @finfloatlearnings से खरीदा जा सकता है.
"हमें पुणे, हैदराबाद, मुंबई, अहमदाबाद और कुछ अन्य शहरों से ग्राहक मिल चुके हैं. इन्स्टाग्राम पर हमारी मौजूदगी के चलते हम अधिक लोगों तक पहुँच पा रहे हैं. साथ ही साथ ब्लॉगगिंग करने वाली कुछ मॉम्स की मदद से भी हम लोगों को आकर्षित कर पा रहे हैं", विया बताती हैं.
ये युवा आंत्रप्रेंयोर लड़कियां यहां रुकने के मूड में नहीं हैं.
"हमने स्कूलों, स्टेशनरी की दुकानों और ई-प्लेटफॉर्म्स को कॉन्टैक्ट करना शुरू किया है. हमारा लक्ष्य है कि लॉन्च के 6 महीने के अंदर ही हम 500 बॉक्स बेच लें. साथ ही हम बक्सों में छोटे खिलौने जोड़ने के बारे में सोच रहे हैं. इसके साथ ही हम 9-13 साल के बच्चों के लिए एक बॉक्स निकालने का प्लान बना रहे हैं", आकर्षी बताती हैं.
कॉम्पटीशन की बात करें तो विया को यकीन है कि उनके जैसा और कोई प्रोडक्ट मार्केट में नहीं है.
"ये बॉक्स एक गेम है जिसे बच्चे परिवार के साथ खेलते हैं, साथ ही साथ सीखते हैं. इसलिए FinFloat सबसे अलग है. हमें मालूम है कि हमें कॉपी भी किया जा सकता है. इसलिए हम समय-समय पर नए मॉडल लाने के प्लान में हैं. जिससे हम यूनीक बने रहें", विया बताती हैं.
Edited by Prateeksha Pandey