Biogas बनाने के लिए Adani-Ambani फिर आमने-सामने, जानिए आपको कैसे होगा फायदा
5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के बाद एक बार फिर आमने-सामने होंगे अडानी-अंबानी, जानिए कितने रुपये खर्च कर के घुस रहे हैं बायोगैस बिजनेस में.
पिछले ही दिनों 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी (5G Spectrum Auction) खत्म हुई है, जिसमें पहली बार अडानी-अंबानी (Adani-Ambani) आमने-सामने थे. अब एक बार फिर से दोनों के आमने-सामने होने की खबर आ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की कंपनी
और गौतम अडानी (Gautam Adani) की कंपनी अडानी न्यू इंडस्ट्रीज लिमिटेड (ANIL) कम्प्रेस्ड बायो गैस (CBG) प्लांट में निवेश करने जा रहे हैं. दोनों एक ही तरह के बिजनस में हैं तो मुमकिन है कि कीमतें कॉम्पटीटिव रहें, जिससे सीधा फायदा ग्राहकों को होगा.कितना निवेश करने वाले हैं अडानी-अंबानी?
खबर तो ये है कि दोनों ही 500-600 करोड़ रुपये का अलग-अलग निवेश बायोगैस प्लांट में करने की योजना बना रहे हैं. इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अडानी न्यू इंडस्ट्रीज लिमिटेड यूपी और गुजरात में 40 मिलियन टन प्रतिवर्ष के प्रोडक्शन की क्षमता वाले प्लांट लगाने की तैयारी कर रही है. वहीं दूसरी ओर अभी रिलायंस इंडस्ट्रीज अपनी दो लोकेशन को लेकर कैल्कुलेशन कर रही है, जिसके बाद वह लोकेशन की घोषणा करेगी.
समझिए क्या होता है बायोगैस प्लांट में
एग्रिकल्चर की बची हुई चीजें और तमाम घरों से नगरपालिका की तरफ से इकट्ठा किए गए कचरे से बायोगैस बनाई जाती है. इन सभी चीजों को एनारोबिक तरीके (जिसके लिए ऑक्सीजन की जरूरत नहीं) डीकंपोज किया जाता है, जिससे बायोगैस पैदा होती है. इस बायोगैस को कम्प्रेस कर के स्टोर किया जा सकता है और फिर जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल किया जा सकता है.
कहां-कहां इस्तेमाल होगी ये गैस?
कम्प्रेस की गई बायोगैस को घरों में खाना बनाने में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे पाइम्ड नेचुरल गैस यानी पीएनजी का सबसे अच्छा विकल्प माना जा रहा है. अभी भी कई जगहों पर लोग गोबर से बायोगैस बनाते हैं और उससे घरों में खाना बनाया जाता है. ऑटो इंडस्ट्री के जानकारों के अनुसार इसका इस्तेमाल गाड़ियों में भी किया जा सकता है.
नेचुरल गैस पर निर्भरता होगी कम
अगर बात पिछले साल यानी विर्त वर्ष 2022 की करें तो भारत ने कुल 63.9 अरब क्यूबिक मीटर गैस की खपत की है. इसमें से लगभग 48 फीसदी नेचुरल गैस आयात की गई थी. नेचुरल गैस से ही सीएनजी बनाई जाती है, जिसका इस्तेमाल गाड़ियों में होता है. वहीं इससे पीएनजी भी बनती है, जिसका इस्तेमाल घरों में खाना बनाने के लिए होता है. जब इन कामों के लिए बायोगैस का इस्तेमाल होने लगेगा, तो नेचुरल गैस के आयात से हमारी निर्भरता घटेगी. देखा जाए तो बायोगैस प्लांट में अडानी-अंबानी का निवेश देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.
सरकार 2018 में भी लाई थी स्कीम
2018 में जब बायोगैस की बात चली थी तो इसकी कीमत करीब 46-56 रुपये प्रति किलो रखी जा रही थी, जो निजी खिलाड़ियों को लुभा नहीं पाई. आज के वक्त में यह दाम बढ़कतर 70-76 रुपये प्रति किलो हो गया है, जिसके चलते देश को टॉप-2 अरबपति कारोबारी इसमें खास दिलचस्पी ले रहे हैं. बता दें कि 2018 में केंद्र सरकार ने कम्प्रेस्ड बायोगैस को बढ़ावा देने के लिए एक स्कीम शुरू की थी.