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Chatgpt, AI जैसी टेक्नोलॉजी को-वर्कर होंगी, नहीं खाएगी आपकी नौकरी: TCS

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (Tata Consultancy Services - TCS) को लगता है कि CHATGPT जैसे जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (generative artificial intelligence) प्लेटफॉर्म एक "AI को-वर्कर" बनाएंगे और इससे नौकरियों को कोई खतरा नहीं है.

देश की सबसे बड़ी आईटी सर्विसेज फर्म, जो 6 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देती है, के चीफ ह्यूमन रिसॉर्स ऑफिसर (CHRO) मिलिंद लक्कड़ ने कहा कि इस तरह के टूल प्रोडक्टिविटी में सुधार करने में मदद करेंगे, लेकिन कंपनियों के बिजनेस मॉडल को नहीं बदलेंगे.

लक्कड़ ने हाल ही में पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में कहा, "यह AI जेनरेटिव एक को-वर्कर होगा और को-वर्कर को ग्राहक के संदर्भ को समझने में समय लगेगा."

उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं है कि ये आपकी नौकरी खा जाएगा, लेकिन नौकरी की परिभाषाएं बदल जाएंगी."

CHATGPT जैसे प्लेटफार्मों की शुरूआत ने इस बात की चिंता पैदा कर दी है कि क्या एक प्रशिक्षित मानव को उस काम को देने के लिए सभी की आवश्यकता है जो एक टेक कंपनी ग्राहकों को प्रदान करती है. पहले से ही, ऐसे प्लेटफार्मों के माध्यम से पूरे कोड लिखने के उदाहरण हैं. दुनिया भर में बड़ी टेक कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर छंटनी के कारणों में से एक को ऐसे सहज ज्ञान युक्त प्लेटफार्मों के उद्भव के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.

लक्कड़ ने कहा कि जिस संदर्भ में एक विशेष ग्राहक काम करता है वह बेहद महत्वपूर्ण है, और प्रतियोगिता से इसे अलग करने की आवश्यकता ग्राहक के लिए लगातार विकसित होने के लिए आवश्यक बनाती है.

उन्होंने कहा कि एक इंसान द्वारा किए जाने वाले काम की मात्रा उद्योग के रूप में भी अलग -अलग होगी.

यदि कुछ भी हो, तो यह प्रबंधकीय प्रतिभा की आवश्यकता को कम करेगा, लेकिन श्रमिकों की पदानुक्रम को कम करने की मांग जारी रहेगी क्योंकि उन्हें संदर्भ के मोर्चे पर महत्वपूर्ण कौशल मिलेगा, उन्होंने कहा.

लक्कड़ ने कहा, "यह (जेनरेटिव AI) भविष्य के लिए अच्छी बात है, लेकिन मुझे लगता है कि यह प्रतिस्थापन के बजाय सहयोग होगा," लक्कड़ ने कहा, इस तरह के उपकरणों के उद्भव से बिजनेस मॉडल नहीं बदलेंगे.

इस तरह के टूल प्रोडक्टिविटी में सुधार करने में मदद करेंगे, काम की स्थिरता जो वितरित हो जाती है और शासन की आवश्यकता को कम करती है, वितरण की गति को बढ़ाती है और परिधीय कार्यों की आवश्यकता को कम करती है, उन्होंने कहा.

लक्कड़ ने कहा, यह कहते हुए कि इन क्षेत्रों में बहुत सारा काम आगे बढ़ेगा और पूरी तस्वीर केवल दो साल के समय में स्पष्ट हो जाएगी.

प्रशिक्षण में बदलाव होंगे जो परिणामस्वरूप होगा, लक्कड़ ने कहा, कंपनी इस पहलू पर बहुत ध्यान देती है और आमतौर पर भविष्य की आवश्यकताओं के लिए अग्रिम में योजना बनाती है.

लक्कड़ से पहले, हाल ही में ओला कैब्स (Ola) के को-फाउंडर और ग्रुप सीईओ भाविश अग्रवाल (Bhavish Aggarwal) ने शनिवार को कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence - AI) प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए एक बड़ा टेक्नोलॉजी टूल है और भारत को ऐसी टेक्नोलॉजी को अपनाने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए. एक टीवी चैनल के समिट में बोलते हुए, अग्रवाल ने इस धारणा को भी खारिज कर दिया कि इस तरह की टेक्नोलॉजी को अपनाने से नौकरियां खत्म हो जाएंगी.