गोल्ड मेडल : वर्ल्ड पैरा बैडमिंटन में मानसी जोशी ने तो एक पैर से जग जीत लिया
आख्यान है कि बालि ने तीन कदम में तीनो लोक नाप लिए थे। कुछ वैसी ही मिसाल बनती हुई मानसी जोशी ने अपने एक पैर के बूते पैरा बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल कर लिया। वर्ष 2011 में ट्रक की टक्कर से उनका एक पैर चला गया था। 2015 में पैरा बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था।
पीवी सिंधु के शोर में पैरा बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल करने वाली मानसी जोशी की सुर्खियां तो ओझल सी होकर रह गईं। स्विट्ज़रलैंड में पीवी सिंधु के साथ उन्होंने भी इतिहास रचा। बासेल (स्विट्जरलैंड) में पीवी सिंधु के खिताब जीतने से कुछ घंटे पहले मानसी पदक जीत चुकी थीं। फाइनल में उनके सामने उन्हीं के राज्य की पारुल परमार थीं। पारुल डिफेंडिंग चैंपियन थीं। मानसी ने महिला एकल एसएल-3 के फाइनल में जीत हासिल की। इस कैटिगरी में वे खिलाड़ी शामिल होते हैं, जिनके एक या दोनों लोअर लिंब्स काम नहीं करते और जिन्हें चलते या दौड़ते समय संतुलन बनाने में परेशानी होती है।
मानसी हिंदुस्तान की एक ऐसी विरल खिलाड़ी हैं, जो वर्ष 2011 में एक सड़क हादसे में अपना बायां पैर खो चुकने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी हैं। उनका हौसला सचमुच एक शानदार मिसाल है। विश्व का पहला पैरा बैडमिंटन खिताब उन्होंने अपने नाम कर लिया है।
विश्व पैरा बैडमिंटन गोल्ड मेडलिस्ट मानसी जोसी छह साल की उम्र से ही बैडमिंटन खेल रही हैं। वह गुजरात और महाराष्ट्र में पली-बढ़ी हैं। उनके पापा मुंबई के भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में साइंटिस्ट हैं। मानसी ने सन् 2010 में इलेक्ट्रॉनिक्स से इंजीनियरिंग की शिक्षा पूरी की, जिसके अगले साल टू-व्हीलर से कहीं जाते समय ट्रक की टक्कर उन्होंने अपना बायां पैर खो दिया था। उसके बाद दो महीने तक हॉस्पिटलाइज रहीं लेकिन स्वस्थ होते ही दोबारा बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया।
पुलेला गोपीचंद की अकादमी में ट्रेनिंग ले चुकीं मानसी ने सितंबर 2015 में पैरा बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता और वर्ष 2017 में पैरा बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल फ़तह करने के बाद अगले साल 2018 में पैरा गेम्स में एक बार फिर ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया।
पैरा वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल कर भारत लौटने ने पर गत मंगलवार को खेलमंत्री किरन रिजिजू ने मानसी को नकद धनराशि से सम्मानित किया। बुधवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनको बधाई दी। स्विट्जरलैंड में गोल्ड मेडल जीतने के बाद मानसी ने अपने फेसबुक पेज पर अपनी खुशी का इज़हार किया कि 'गोपी सर मेरे हर मैच के लिए मौजूद रहने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया।' मानसी कृत्रिम टांग के जरिए फिर उठ खड़ी हुईं और अबकी बार तो जग ही जीत लिया।
बचपन से ही मानसी की आंखों में बैडमिंटन का एक सुनहला सपना समाया हुआ था। जीतकर वतन लौटने के बाद वह सबसे पहले हैदराबाद के पुलेला गोपीचंद अकादमी पहुंची। बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली तीस वर्षीया इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग मानसी कहती हैं-
'मैंने इसके लिए बहुत मेहनत की है। मैं बहुत खुश हूं। मेहनत रंग लाई। यह वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहला गोल्ड मेडल है। यह मेडल मेरे ट्रेनर्स और गोपीचंद अकादमी के बिना संभव नहीं था। गोपी सर, हर वक्त साथ देने के लिए शुक्रिया।'