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अंतरिक्ष का Google Map: अतंरिक्ष में ट्रैफिक मैनेजमेंट का ईकोसिस्टम बना रहा है स्पेसटेक स्टार्टअप 'दिगांतरा'

अंतरिक्ष का Google Map: अतंरिक्ष में ट्रैफिक मैनेजमेंट का ईकोसिस्टम बना रहा है स्पेसटेक स्टार्टअप 'दिगांतरा'

Tuesday January 11, 2022 , 6 min Read

अनिरुद्ध शर्मा, राहुल रावत और तनवीर अहमद ने मिलकर दिसंबर 2018 में दिगांतरा की स्थापना की। यह एक बिजनेस टू बिजनेस (B2B) और बिजनेस टू गवर्नमेंट (B2G) स्पेसटेक स्टार्टअप है। जब दिगांतरा को शुरू किया, उस वक्त अंतरिक्ष क्षेत्र यानी स्पेस सेक्टर में काफी तेजी देखी जा रही थी। हालांकि, स्पेसटेक स्टार्टअप को शुरू करना अपने आप में काफी चुनौती पूर्ण कार्य है।

यह स्टार्टअप, स्पेस सर्विलांस और स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस (SSA) पर केंद्रित है। यानी ऑर्बिट में वस्तुओं का ट्रैक करना और पूर्वानुमान करना कि वे भविष्य में किसी भी समय कहां होंगे। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष मलबे से संबंधित समस्याओं को हल करना और टकराव के जोखिम को खत्म करना है।

शुरुआत में विश्वसनीयता बनाना सबसे बड़ी चुनौती थी। बेंगलुरु मुख्यालय वाली दिगांतरा को शुरू करने की पीछे की कहानी को बताने हुए अनिरुद्ध कहते हैं, “जब एक 17-18 वर्ष का व्यक्ति किसी निवेशक के पास जाकर यह कहता है कि वह उपग्रह या सैटेलाइट बनाना चाहता है, तो उसे गंभीरता से नहीं लिया जाता है। इसलिए, हमारा पहला लक्ष्य निवेशक समुदाय या बाजार में विश्वसनीयता बनाना था।” आपको बता दें, कि दिगांतरा योरस्टोरी के 2021 के सबसे सबसे होनहार टेक 50 स्टार्टअप में से एक है। 

अनिरुद्ध और राहुल के पास ना ही भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की डिग्री थी और न ही इनका एजुकेशन बैकग्राउंड एयरोस्पेस विषय में था। ऐसे में गैर-एयरोस्पेस डोमेन के बैकग्राउंड के साथ अनिरुद्ध और राहुल स्पेस सेक्टर में कारोबार शुरू करने की कठिनाइयों से अच्छी तरह वाकिफ थे।

अनिरुद्ध बताते हैं, "उस बाधा को तोड़ना वाकई मुश्किल था। इसलिए, हमने अपनी विश्वसनीयता का निर्माण शुरू किया, जिसने हमें अपना पहला प्रोटोटाइप बनाने के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) से 15 लाख रुपये का पहला अनुदान यानी ग्रांट हासिल किया।"

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अनिरुद्ध उस वक्त को याद करते हैं, जब वो और राहुल अपने छात्र दिनों में नैनो उपग्रहों को डिजाइन कर रहे थे। अनिरुद्ध उस वक्त को याद करते हुए बताते हैं कि कैसे एक उस समय सोचा गया एक विचार से एक पूर्ण कारोबारी मॉडल तक पहुंच दया। जब उनके द्वारा बनाई तकनीकों में से एक को एक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी से सराहाना मिली, तब वे इसका कमर्शियलाइजेशन करने और अपनी पहली कमाई हासिल करने में सक्षम हो सके।

अनिरुद्ध याद करते हैं, "उसी समय हमने इस कंपनी को शुरू किया था, ताकि इसके नाम इनवॉयस यानी बिल हासिल कर सकें। बतौर छात्र, हमारा उद्देश्य अंतरिक्ष हार्डवेयर और एवियोनिक्स बेचना था।"

अनिरुद्ध और राहुल ने जैसे-जैसे अंतरिक्ष क्षेत्र के स्टेकहोल्डर्स के सामने आने वाली समस्याओं और कठिनाइयों का पता लगाना शुरू किया, वैसे-वैसे उन्हें अंतरिक्ष स्थिरता के लिए एक समाधान बनाने की आवश्यकता का एहसास हुआ। साथ ही उन्होंने महसूस किया कि वे एक टीम के रूप में इसे हल कर सकते हैं।

अनिरुद्ध बताते हैं, "हम जिस पहले सम्मेलन में शामिल हुए थे, वह 2018 में जर्मनी में था, और इससे हमें इस बात की बेहतर समझ मिली कि समस्या कितनी बड़ी थी और भविष्य के लिए अंतरिक्ष की स्थिरता क्यों महत्वपूर्ण है। अंतरिक्ष में कचरे की समस्या अब एक हॉट बन चुका है, लेकिन तब वो शुरुआती समय था।”

2019 में, उन्हें दुनिया के शीर्ष आठ स्टार्टअप में से एक के रूप में चुना गया था और अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री कांग्रेस में शामिल होने वाला यह भारत का एकमात्र स्टार्टअप आइडिया था।

स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस (SSA) टेक्नोलॉजी के लिए कौन भुगतान करेगा?

असल में उन्होंने अपनी तकनीक के लिए एक पेटेंट हासिल किया था, जो उनके पक्ष में काम किया। हालांकि, अंतरिक्ष में चीजों को ट्रैक करने के लिए टेक्नोलॉजी बनाने और उसका पेटेंट कराने और आवश्यक ज्ञान और अनुभव हासिल करने के बावजूद, वे अभी भी यह नहीं समझ पाए थे कि आखिर कोई उनसे डेटा क्यों खरीदना चाहेगा। अनिरुद्ध बताते हैं, “इसलिए, हमने बाजार में अपना उत्पाद जारी करने के बाद उन कंपनियों तक पहुंचना शुरू कर दिया, जिनके बारे में हमें लगा कि हमारे संभावित ग्राहक हो सकते हैं। हमने उनसे इनपुट लेना शुरू किया।”

अंतरिक्ष सेक्टर काफी पूंजी प्रधान है।

अनिरुद्ध बताते हैं, "जब हमने शुरू किया, तो लोगों को संदेह था कि क्या कोई अंतरिक्ष मलबे को ट्रैक करके पैसा कमा सकता है, और कोई इसके लिए भुगतान क्यों करेगा? इसलिए, सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक जिसे हमें पार करना था, वह थी एक बिजनेस मॉडल या एक कमर्शियल यूज केस खड़ा करना।”

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इंजीनियरिंग से लेकर बिजनेस खड़ा करने तक

अनिरुद्ध बताते हैं कि कैसे शुरुआती दिनों में, एक अंतरिक्ष कंपनी शुरू करते समय आपको ऐसा महसूस होता है कि आप एक कंपनी नहीं बल्कि एक रिसर्च एंड डेवलेपमेंट (R&D) परियोजना चला रहे हैं। 

अनिरुद्ध बताते हैं, "बतौर इंजीनियर, हमारे लिए कारोबारी एंगल को समझना वास्तव में कठिन था। हमें नहीं पता था कि एक वेंचर कैपटलिस्ट, स्पेसटेक स्टार्टअप से क्या उम्मीद करेगा और इसकी विकास संभावनाएं और राजस्व अनुमान क्या हो सकते हैं। यहीं पर IISc में इनक्यूबेशन सेंटर ने हमारे लिए अहम भूमिका निभाई और हमने एक बिजनेस मॉडल बनाने या एक वेंचर कैपटलिस्ट के नजरिए के समझने के बारे में सीखना शुरू कर दिया कि कैसे अंतरिक्ष उद्योग अगली बड़ी चीज कैसे बनने जा रहा है।"

व्यापार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा समय था। अनिरुद्ध बताते हैं, "अगर हमने 2020-21 में इस कंपनी को शुरू किया होता, तो हमारे पास आज जैसा आकर्षण नहीं होता, क्योंकि हम क्षेत्र में पहले कदम रखने के मौके से चूक जाते।" 

बीटा ग्राहकों का एक समूह बनाना

इस साल की शुरुआत में दिगांतरा ने कलारी कैपिटल से 25 लाख डॉलर की सीड फंडिंग जुटाई थी। इससे पहले, स्टार्टअप को अपनी तकनीक के विकास के लिए कई अनुदान प्राप्त हुए थे। 

अनिरुद्ध अगली उपलब्धि के बारे में बात करते हुए बताते हैं, “हम अगले साल अपना सैटलाइट लॉन्च करेंगे। हम अंतरिक्ष ट्रैफिक मैनेजमेंट या अंतरिक्ष स्थिरता के लिए सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। इसलिए हम बीटा ग्राहकों के एक समूह के निर्माण पर काम कर रहे हैं जो हमारे पहले सैटलाइट को लॉन्च करने के बाद हमारे डेटा का इस्तेमाल कर सकते हैं।”

अंतरिक्ष में बड़ा अवसर 

अंतरिक्ष में 128 मिलियन वस्तुएं हैं जिनमें से 3,000 वस्तुएं सक्रिय सैटलाइट हैं। अनिरुद्ध बताते हैं कि दुनिया इनमें से केवल चार प्रतिशत वस्तुओं को ट्रैक करती है और बाकी 96 प्रतिशत वस्तुओं का पता नहीं चलता है।  

वे कहते हैं, "हम जो करने की कोशिश कर रहे हैं वह अंतरिक्ष के लिए एक तरह से Google मैप का निर्माण कर रहा है, जो निकट भविष्य के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में कार्य कर सकता है और कंपनियां हमारे बुनियादी ढांचे पर समाधान बना सकती हैं।" 


Edited by Ranjana Tripathi